Agriculture News : ग्लाइफोसेट और इसके अवयव का उपयोग प्रतिबंधित है और कोई भी व्यक्ति, कीट नियंत्रण परिचालकों (PCO) को छोड़कर ग्लाइफोसेट का उपयोग नहीं करेगा। कंपनियों को प्रमाणपत्र वापस करने के लिए तीन महीने का समय दिया गया है। अन्यथा कीटनाशक अधिनियम, 1968 के प्रावधानों के अनुसार सख्त कार्रवाई की जाएगी।
नई दिल्ली : सरकार ने मानव/जानवरों के लिए स्वास्थ्य संबंधी खतरों और जोखिम को देखते हुए हर्बिसाइड (खरपतवार नाशक) ग्लाइफोसेट (Glyphosate) और इसके अवयव के उपयोग को प्रतिबंधित कर दिया है। ग्लाइफोसेट और इसके फॉर्मूलेशन व्यापक रूप से रजिस्टर्ड हैं और मौजूदा वक्त में यूरोपीय संघ और अमेरिका सहित 160 से अधिक देशों में इसे उपयोग में लाया जाता है। दुनियाभर के किसान 40 से अधिक वर्षों से सुरक्षित और प्रभावी खरपतवार नियंत्रण के लिए इसका उपयोग कर रहे हैं। एक उद्योग संगठन एजीएफआई ने वैश्विक अध्ययन और नियामक निकायों से समर्थन का हवाला देते हुए ग्लाइफोसेट पर प्रतिबंध का विरोध किया है।
सिर्फ पीसीओ के जरिए होगा उपयोग
कृषि मंत्रालय द्वारा जारी एक अधिसूचना में कहा गया है, ‘‘ग्लाइफोसेट का उपयोग प्रतिबंधित है और कोई भी व्यक्ति, कीट नियंत्रण परिचालकों (PCO) को छोड़कर ग्लाइफोसेट का उपयोग नहीं करेगा।’’ कंपनियों को ग्लाइफोसेट और उसके डेरिवेटिव के लिए दिए गए पंजीकरण प्रमाणपत्र को पंजीकरण समिति को वापस करने के लिए कहा गया है। जिससे लेबल और पत्रक पर बड़े अक्षरों में चेतावनी को शामिल किया जा सके।’’ अधिसूचना में कहा गया, ‘‘पीसीओ के माध्यम से ग्लाइफोसेट फॉर्मूलेशन के लिए अनुमति दी जाएगी।’’
वापस करने होंगे सर्टिफिकेट्स
कंपनियों को प्रमाणपत्र वापस करने के लिए तीन महीने का समय दिया गया है। अन्यथा कीटनाशक अधिनियम, 1968 के प्रावधानों के अनुसार सख्त कार्रवाई की जाएगी। इसमें कहा गया है कि राज्य सरकारों को इस आदेश के क्रियान्वयन के लिए कदम उठाने चाहिए। ग्लाइफोसेट को प्रतिबंधित करने वाली अंतिम अधिसूचना दो जुलाई, 2020 को मंत्रालय द्वारा एक मसौदा जारी किए जाने के दो साल बाद आई है। इस खरपतवार नाशक के वितरण, बिक्री और उपयोग पर रोक लगाने के लिए केरल सरकार की एक रिपोर्ट के बाद मसौदा जारी किया गया था।
ACFI ने किया विरोध
इस कदम का विरोध करते हुए, एग्रो-केमिकल फेडरेशन ऑफ इंडिया (ACFI) के महानिदेशक कल्याण गोस्वामी ने कहा, ‘‘ग्लाइफोसेट-आधारित फॉर्मूलेशन उपयोग करने के लिए बहुत सुरक्षित हैं। भारत सहित दुनियाभर में अग्रणी नियामक प्राधिकरणों द्वारा इसका परीक्षण और सत्यापन किया गया है।’’ उन्होंने यह भी कहा कि ‘‘केवल कीट नियंत्रण परिचालकों के माध्यम से ग्लाइफोसेट के उपयोग को सीमित करने का कोई तर्क नहीं है, जिनकी ग्रामीण क्षेत्रों में कोई उपस्थिति नहीं हैं।’’ उन्होंने कहा कि पीसीओ के माध्यम से इसके उपयोग को सीमित करने से किसानों को असुविधा होगी और खेती की लागत भी बढ़ेगी।