Aircraft Carrier Vikrant: भारत का पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर विक्रांत नौसेना को मिल गया है। यह 262 मीटर लंबा है और इसमें चार गैस टर्बाइन हैं और इसकी अधिकतम स्पीड 28 समुद्री मील है।
यह एयरक्राफ्ट कैरियर 262 मीटर लंबा है। इसमें चार गैस टर्बाइन हैं और इसकी अधिकतम स्पीड 28 समुद्री मील है। इसे बनाने में करीब 20 हजार करोड़ रुपये की लागत आई। इसे बनाने का काम फरवरी 2009 में शुरू किया गया था। इसे पहली बार पानी में अगस्त 2013 को लॉन्च किया गया। इसे बनाने में जो सामान इस्तेमाल हुआ है, उसमें 76 पर्सेंट स्वदेशी है। विक्रांत की डिलिवरी लेने के साथ ही भारत उन चुनिंदा देशों के ग्रुप में शामिल हो गया है, जिसके पास एयरक्राफ्ट कैरियर बनाने की क्षमता है।
एयरक्राफ्ट कैरियर में फिक्स्ड विंग और रोटरी दोनों तरह के एयरक्राफ्ट रखे जा सकेंगे। इससे 30 एयरक्राफ्ट ऑपरेट करने की क्षमता है। फिर चाहे मिग-29 के फाइटर जेट, कामोव-31, एमएच-60आर मल्टी रोल हेलिकॉप्टर हों या स्वदेशी अडवांस्ड लाइट हेलिकॉप्टर और लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट। विक्रांत के नेवी में शामिल होने से नेवी की क्षमता में इजाफा होगा। ऐसे वक्त में जब चीन लगातार आक्रामक रवैया दिखा रहा है और सबसे ज्यादा अपनी नेवी को मजबूत करने में लगा है, तब भारतीय नौसेना की क्षमता में तेजी से इजाफा जरूरी है। दूसरा एयरक्राफ्ट कैरियर मिलने से भारतीय नौसेना की क्षमता बढ़ेगी।
चीन की तैयारी कितनी
चीन जिस तरह हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी मौजूदगी बढ़ा रहा है, उससे एयरक्राफ्ट कैरियर और ज्यादा अहम हो जाते हैं। चीन के पास इस वक़्त दो एयरक्राफ्ट कैरियर हैं जो भारत के एयरक्राफ्ट कैरियर से बड़े हैं। चीन तीसरा एयरक्राफ्ट कैरियर भी तैयार कर रहा है और उसकी चौथा परमाणु इंधन से चलने वाला सुपर कैरियर बनाने की भी तैयारी है। चीन की योजना है कि साल 2030 तक 5 से 6 एयरक्राफ्ट कैरियर उसकी नेवी के पास हों। एयरक्राप्ट कैरियर से किसी भी देश की युद्ध की क्षमता बढ़ती है क्योंकि यह सिर्फ अपने बेस के पास ही नहीं बल्कि किसी भी लोकेशन में जा सकता है।
विक्रांत की खूबियां…
– 76% निर्माण सामग्री पूरी तरह स्वदेशी
– 30 एयरक्राफ्ट इससे उड़ान भर सकेंगे, 262 मीटर लंबाई
– 28 समुद्री मील की अधिकतम रफ्तार
कई बरसों की मेहनत …
– 2009 में निर्माण शुरू हुआ
– 2013 में पानी में उतरने के लिए तैयार हुआ
– 20 हजार करोड़ रुपये खर्च हुए बनाने में