आज के दौर में जहां एक तरफ युवा शहरों की तरफ तेजी से पलायन कर रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ कुछ लोग अपनी लाखों की नौकरी छोड़कर खेती-किसानी की ओर रुख कर रहे हैं. यूपी के मेरठ के अजय त्यागी ऐसा ही नाम है. 16 साल तक दुनिया की प्रतिष्ठित मल्टीनेशनल कंपनी, IBM में काम करने के बाद एक दिन अचानक उन्होंने 30 लाख रुपए सालाना वाली नौकरी को अलविदा कह दिया और खेती करने के इरादे से अपने गांव लौट गए.
आज वह ना सिर्फ़ एक प्रगतिशील किसान हैं, बल्कि जैविक प्रोडेक्ट्स के बड़े कारोबारी भी हैं. इंडिया टाइम्स हिन्दी से बातचीत में अजय ने अपना पूरा सफर शेयर किया:
मेरठ के एक मध्यवर्गीय परिवार में पैदा हुए अजय
बातचीत की शुरुआत करते हुए अजय बताते हैं कि वो यूपी के मेरठ से आते हैं. माता-पिता उनकी पढ़ाई को लेकर हमेशा जागरूक थे. उन्होंने शुरुआती पढ़ाई के बाद अजय का दाखिला मेरठ के केंद्रीय विद्यालय में कराया, जहां से उन्होंने 12वीं पास की. आगे ग्रेजुएशन के बाद उन्होंने कंप्यूटर एप्लीकेशन में मास्टर्स की डिग्री हासिल की और फिर आईबीएम ज्वॉइन करके अपना प्रोफेशनल करियर शुरू किया था.
अजय के मुताबिक वो तेजी से तरक्की कर रहे थे. उन्होंने कंपनी में अपना एक अलग मुकाम हासिल कर लिया था. लेकिन उनके मन में हमेशा से एक हलचल थी. उन्हें अपना घर और गांव हमेशा याद आता. उन्होंने कई बार मन बनाया कि वह सब कुछ छोड़कर वापस लौटेगे. मगर वक्त इतनी तेजी से बीता कि उन्हें पता ही नहीं चला कि कब आईबीएम में उनके 16 पूरे हो गए.
जनरल मैनेजर के पद से इस्तीफ़ा देकर शुरू की खेती
अजय अब तक कंपनी में जनरल मैनेजर के पद पर पहुंच चुके थे. ऐसे में उनके सामने एक बड़ा आसमान था, जिसमें वो एक बड़ी उड़ान भर सकते थे. मगर इस बार उन्होंने अपने मन की आवाज सुनी और अपने पद से इस्तीफा दे दिया. गांव लौटकर उन्होंने खेती करने का फैसला किया. शुरुआत में परिवार के लोगों ने इसका विरोध किया. मगर अंतत: वो अजय के इस फैसले में साथ खड़े हो गए.
इस तरह शुरू हो गई अजय की खेती-किसानी. अजय ने तेजी से जैविक खेती के गुर सीखे. इसके लिए वो प्रगतिशील किसानों, कृषि वैज्ञानिकों यहां तक कि कई राष्ट्रीय जैविक खेती केंद्रों में मौजूद अधिकारियों से मिले. उनके दिखाए रास्ते पर चले. इससे उनकी राह आसान होती चली गई.
‘कार्बनिक मिडोज़ प्रा. लिमिटेड’ नाम की कंपनी बनाई
थोड़े वक्त बाद अजय ने ‘कार्बनिक मिडोज प्रा. लिमिटेड’ नाम की अपनी एक कंपनी बनाई और काम शुरू किया. उनके खेतों की मिट्टी केमिकलों के इस्तेमाल की वजह से खराब हो गई थी. इस कारण करीब छह महीने उन्हें अपने खेतों की मिट्टी सही करने में लग गए.
समय-समय पर वो एक्पर्ट्स से मिट्टी की जांच करवाते रहते थे. फिर एक बार जैसे ही उनका खेत तैयार हुआ, उन्होंने उसमें जैविक उत्पादन शुरु कर दिया. अजय की तैयारी इतनी बढ़िया थी कि उन्हें हर कदम पर सफलता मिली. पैदावार अच्छी हुई तो उन्होंने अपने जैविक उत्पादों को बाजार में उतार दिया. लाइसेंस, पैकिंग इत्यादि की प्रक्रिया वो पहले ही पूरी कर चुके थे.
बाजार में मौजूद हैं कार्बनिक के प्रोडक्ट
अजय बताते हैं कि उनके लिए यह सफ़र अकेले आसान नहीं था, इसलिए उन्होंने उन किसानों को जोड़ना शुरू कर दिया, जो प्रगतिशील थे. मौजूदा समय में उनके साथ हजारों की संख्या में किसान काम करते हैं. उनके द्वारा बनाए गए उत्पादों की बिक्री के लिए अजय ने मेरठ में एक प्रोसेसिंग और पैकिंग यूनिट लगाई है. सब्जी, फल, दाल जैसे उनके प्रोडक्ट्स कार्बनिक ब्रांड से ही बाजार में मौजूद हैं.
अजय अपनी इस कामयाबी का श्रेय उन किसानों को देते हैं, जिन्होंने उन पर विश्वास किया और साथ दिया. यही कारण है कि अजय आज भी समय-समय पर किसानों को जैविक खेती की ट्रेनिंग देते हैं, ताकि इसका प्रयोग करके वो अधिक लाभ ले सकें.
अजय की कहानी अपने आप में एक मिसाल है, दूसरे लोग इससे बहुत कुछ सीख सकते हैं.