Ajit Pawar: महाराष्ट्र में हर दिन सियासी सरगर्मी बढ़ती जा रही है। इसकी सबसे बड़ी वजह अजित पवार के बीजेपी से हाथ मिलाने की खबर है। यह भी दावा किया जा रहा है कि अजित पवार के पास एनसीपी के 40 विधायकों के समर्थन वाला पत्र है। जिसे वह समय आने पर राज्यपाल के समक्ष रखेंगे। हालांकि, यह सब कुछ सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर निर्भर करता है।
हालांकि, इस मुद्दे पर उद्धव ठाकरे गुट के सांसद संजय राउत ने कहा है कि अजित पवार ऐसा कुछ भी नहीं करेंगे। अजित पवार ने महाविकास अघाड़ी के आधार स्तंभ है। मेरी खुद्द आज शरद पवार समेत कई एनसीपी नेताओं से बात हुई हैं। एनसीपी को तोड़ने का प्रयास शुरू है लेकिन पार्टी आज भी एनसीपी के साथ हैं। शिवसेना की तरह एनसीपी को भी तोड़ने के लिए केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल किया जा रहा हैं।
शरद पवार की चुप्पी के मायने क्या?
इस पूरे मामले में शरद पवार की चुप्पी को लेकर भी हैरानी जताई जा रही है। एनसीपी के संरक्षक और संस्थापक शरद पवार एक तरफ खामोश हैं दूसरी तरफ अजित पवार विधायकों को व्यक्तिगत रूप से उनके हस्ताक्षर लेने के लिए बुला रहे हैं। साल 2019 में अजीत पवार की बगावत के बाद शरद पवार ने अपनी पार्टी को टूटने से बचाने के लिए सभी एनसीपी विधायकों और सांसदों को बुलाया था।
इस बात की भी संभावना है कि शायद शरद पवार पिछली बार की तरह इस बार भी आखिरी पल में वह मैदान में आएं। वहीं दूसरी तरफ से अजित पवार सोमवार को पुणे में अपने दिन के निर्धारित कार्यक्रमों को रद्द कर दिया और अपने करीबी विश्वासपात्रों के साथ चर्चा जारी रखने के लिए मुंबई में रुके रहे।
एनसीपी के कई विधायक अजित पवार के समर्थन में!
उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के करीबी निर्दलीय विधायक रवि राणा ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की हरी झंडी मिलने के बाद महाराष्ट्र की सियासत में महत्वपूर्ण ट्विस्ट आएगा। यह सुप्रीम कोर्ट के फैसले या कर्नाटक चुनाव से पहले हो सकता है। वहीं कुछ कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार यह बदलाव सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले होना चाहिए। इसके पीछे तर्क यह है कि अगर अजीत पवार अदालत के फैसले से पहले शपथ लेते हैं, तो नई सरकार नहीं गिरेगी। सूत्र यह भी कहते हैं कि शरद पवार के करीबी माने जाने वाले एनसीपी के कई वरिष्ठ विधायक भी अजित पवार का समर्थन कर रहे हैं।