आकासा एयर से अब दिग्गज निवेशक राकेश झुनझुनवाला का साया उठ गया था। उनके रहते हुए ऐसी उम्मीद थी कि एयरलाइन कंपनी को रुपये-पैसे से कोई किल्लत नहीं होती। हालांकि, न होते हुए यह देखना होगा कि कंपनी कैसे आगे बढ़ती है। फिलहाल, आकासा एयरलाइन में एक प्रमुख निवेशक ने कहा है कि इससे कुछ खास फर्क नहीं पड़ेगा।
नई दिल्ली: राकेश झुनझुनवाला (Rakesh Jhunjhunwala) का रविवार को निधन हो गया। आकासा एयर (Akasa Air) के आकाश में उड़ान भरने के कुछ दिन बाद ही यह दुखद घटना घट गई। 7 अगस्त को आकासा एयर ने अपना सफर शुरू किया था। दिग्गज निवेशक झुनझुनवाला की असमय मौत के बाद एयरलाइन के भविष्य पर सवाल उठने लगे। एविएशन सेक्टर में वैसे भी बहुत ज्यादा प्रतिस्पर्धा रही है। इसमें कई दिग्गज बाजी हार चुके हैं। माना जा रहा था कि राकेश झुनझुनवाला एयरलाइन को कभी आर्थिक संकट से गुजरने नहीं देते। उनके रहते एयरलाइन के सामने कभी रुपये-पैसे की चुनौती नहीं आ सकती थी। एयरलाइन में उनकी हिस्सेदारी करीब 47 फीसदी थी। आकासा एयर की एंट्री के बाद से एविएशन सेक्टर (Aviation Sector) में हलचल थी। प्राइस वॉर छिड़ने के आसार जताए जा रहे थे। हालांकि, झुनझुनवाला के गुजरने के बाद पूरी तस्वीर पलट गई है। फिलहाल विमानन कंपनी को भरोसा है कि झुनझुनवाला के नहीं रहने से आकासा एयर के कारोबार पर असर नहीं होगा।
झुनझुनवाला के निधन से करीब एक हफ्ते पहले आकासा एयर ने उड़ान भरी थी। उनके नहीं रहने के तुरंत बाद यह सवाल खड़ा होने लगा कि अब एयरलाइन का क्या होगा। हमारे सहयोगी अखबार इकनॉमिक टाइम्स के साथ बातचीत में लॉ फर्म जे सागर एसोसिएट्स के पूर्व मैनेजिंग पार्टनर और आकासा एयर में निवेशक बी देसाई ने बताया है कि झुनझुनवाला को वैसे भी रोजमर्रा के ऑपरेशनों में शामिल नहीं होना था। लिहाजा, आकासा एयर के कारोबार पर उनके निधन से शायद ही फर्क पड़े।
देसाई के मुताबिक, को-प्रमोटर और सीईओ विनय दुबे की अगुआई में मजबूत टीम है। यह ऑपरेशनों को मैनेज करने में समर्थ है। इस टीम में इंडिगो के पूर्व सीईओ आदित्य घोष भी हैं। जाने-माने फंड मैनेजर मधु केला और अमेरिका का हेज फंड पार कैपिटल भी आकासा एयर में निवेशक हैं। इस पूरे मामले से जुड़े लोगों का कहना है कि एयरलाइन के सामने फंड की कोई समस्या नहीं है। न ही उस पर बैंकों का कोई कर्ज है। अगले सात महीनों में बेड़े में 16 और विमान जुड़ जाएंगे। एयरलाइन ने 72 बोइंग 737 मैक्स विमानों का ऑर्डर दिया है। इनमें से दो उसे मिल चुके हैं।
बहुत बड़ी ताकत थे झुनझुनवाला
इसके पहले इंडस्ट्री से जुड़े तमाम लोग आकासा एयर के भविष्य पर आशंका जता रहे थे। उनका कहना था कि झुनझुनवाला एयरलाइन में बहुत ज्यादा निवेश करने वाले थे। यह देखने वाली बात होगी कि उनके उत्तराधिकारी उस तरह का निवेश कर पाते हैं या नहीं। उनका कद ऐसा था कि वह कई निवेशकों को इसके साथ जोड़ सकते थे। एक्सपर्ट्स यह भी कहते हैं कि झुनझुनवाला सिर्फ निवेशक नहीं थे। अलबत्ता, उनकी जानकारी और ज्ञान बेजोड़ था। जिस तरह का नेटवर्क उनका था शायद उसकी भरपाई करना भी मुश्किल है। बेशक, विनय दुबे और आदित्य बेहद प्रतिभावान हैं। लेकिन, झुनझुनवाला की बात ही अलग थी।
आकासा का इम्तिहान शुरू होना था
जानकार मानते हैं कि झुनझुनवाला के गुजरने से आकासा एयर की आकांक्षाओं पर अस्थायी तौर पर अंकुश लगेगा। वह कंपनी में पूंजी लाने में बड़ी भूमिका निभा सकते थे। उनके नहीं रहने पर मैनेजमेंट को किसी अन्य निवेशक की तलाश करनी पड़ सकती है। हालांकि, यह भी एक देखने वाली बात होगी कि एविएशन सेक्टर में कौन भारी-भरकम लगाने के लिए तैयार होगा। झुनझुनवाला भरतीय बैंकों और विदेशी संस्थागत निवेशकों से सस्ते कर्ज की आसानी से जुगाड़ कर सकते थे। अब देखना होगा कि उनकी गैर-मौजूदगी में अकासा की उड़ान कितनी लंबी रहती है।