अमेरिका (US) की इंटेलीजेंस एजेंसी सीआईए (US intelligence Agency CIA) ने अफगानिस्तान के काबुल (Kabul) में अल कायदा (Al Qaeda) के सरगना अयमान अल जवाहिरी (Ayman Al Zawahiri) को ढेर कर दिया है। इस ऑपरेशन के बाद एक बार फिर से अमेरिकी ड्रोन स्ट्राइक खबरों में है जिसका मुकाबला अभी तक कोई देश नहीं कर पाया है।
भारत भी खरीदेगा ये ड्रोन
MQ-9 रीपर ड्रोन को हासिल करने के लिए इंडियन नेवी भी प्रयास कर रही है। ये वही ड्रोन है जिसका प्रयोग अमेरिका ने साल 2019 में इराक मिलिट्री जनरल कासिम सुलेमानी को खत्म करने के लिए किया था। इस ड्रोन की सबसे बड़ी खासियत इसकी स्पीड है। रीपर ड्रोन 2000 किलोमीटर पर मौजूद दुश्मन को 370 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से निशाना बनाता है। इसके हमले के बाद बचने का कोई चांस नहीं रहता है। यूएस एयरफोर्स इसे अपने सबसे खतरनाक हथियार के तौर पर करार देती है। ये ड्रोन दिए हुए समय पर दुश्मन को निशाना बनाता है। रीपर ड्रोन इतना खतरनाक है कि सर्विलांस पर भी इसका पता नहीं लगाया जा सकता है।
कितना भी एडवांस रडार सिस्टम क्यों न हो, ये ड्रोन उस रडार की फ्रिक्वेंसी पर नहीं आ पाता है। ये ड्रोन चार लेजर गाइडेड मिसाइलों से लैस है। न सिर्फ हवा से जमीन बल्कि हवा से हवा में भी निशाना लगाकर दुश्मन को ढेर कर सकता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक एक ड्रोन की कीमत करीब 10 करोड़ रुपए है।कितना भी एडवांस रडार सिस्टम क्यों न हो, ये ड्रोन उस रडार की फ्रिक्वेंसी पर नहीं आ पाता है।
ये ड्रोन चार लेजर गाइडेड मिसाइलों से लैस है। न सिर्फ हवा से जमीन बल्कि हवा से हवा में भी निशाना लगाकर दुश्मन को ढेर कर सकता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक एक ड्रोन की कीमत करीब 10 करोड़ रुपए है। इस ड्रोन को खतरनाक काइनेटिक हेलफायर R9X मिसाइल से लैस किया गया था। ये वो मिसाइल हैं जिसमें बारूद जरा भी नहीं होता बल्कि इसकी ब्लेड्स पल भर में किसी की जान ले सकती हैं। जवाहिरी की मौत भी ऐसी ही हुई है। जवाहिरी की जान इस मिसाइल के तलवार जैसी धार वाले ब्लेड्स ने ली है। ये मिसाइल लेजर से लैस होती हैं और जैसे ही टारगेट पर ड्रॉप की जाती हैं, उसका बचना नामुमकिन हो जाता है।