: दुनिया में कई अनोखी जगहें हैं। इन जगहों में कई बेहद खूबसूरत हैं, तो कुछ अजीबोगरीब हैं। इन स्थानों पर यकीन करना मुश्किल होता है। दक्षिण अफ्रीका के उत्तर-पूर्व में हिंद महासागर में एक द्वीप स्थित है। धरती पर मौजूद यह एक एलियन दुनिया की तरह है। इस द्वीप का नाम है सोकोत्रा द्वीप जिसे देखने के बाद लगता है कि हम दूसरी दुनिया में पहुंच गए हैं। अफ्रीका से काफी दूर स्थित है यह अनोखा आईलैंड। इसको लोग पहले नहीं जानते थे, लेकिन इस समय यह पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है।
इस अनोखे आइलैंड पर यमन का शासन है। अरब सागर और गार्डाफुई चैनल के बीच में स्थित इस द्वीप पर मौजूद पेड़-पौधों को देखकर लगता है कि यह कोई काल्पनिक दुनिया है। यह द्वीप गैलगोपास द्वीप की तरह दिखता है और इस पर पेड़-पौधों की करीब 800 दुर्लभ प्रजातियां मिलती हैं।
इस द्वीप पर कई प्रजातियों के साथ ही दुनिया के सभी रंग जैसे रेगिस्तान, हरी-भरी वादियां, बंजर जमीन, धरती, समुद्र की लहरें सभी कुछ दिखता है। सोकोत्रा द्वीप 3796 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है जिसकी लंबाई करीब 132 किलोमीटर और चौंड़ाई 50 किलोमीटर है। यहां पर स्थित सबसे बड़ा पहाड़ माशानिग है जो 4931 फीट ऊंचा है। इस द्वीप की राजधानी हदीबू है।
सोकोत्रा आइलैंड समेत इसके पास स्थित चारों द्वीप पर करीब 60 हजार लोग रहते हैं। यहां पर हर किमी में सिर्फ 11 लोग रहते हैं। यहां पर क्षेत्रफल के हिसाब से आबादी बेहद कम है। इस द्वीप की अनोखी बनावट की वजह से साल 2008 में यूनेस्को ने वल्र्ड हेरिटेज घोषित किया है। यहां पर अनोखे वृक्ष पाए जाते हैं।
यहां पर अनोखे पेड़-पौधे हैं जिसकी वजह से यह एलियन की दुनिया की तरह लगता है। इस स्थान पर अधिकतर सोकोत्री लोगों की आबादी रहती है। हालांकि दक्षिण अरबी लोगों की आबादी भी रहती है। प्राचीन समय में यह गोंडवाना महाद्वीप में शामिल था। अफ्रीका से धीरे-धीरे दूर हो गया और फिर रुक गया। यहां पर दो छोटे-छोटे पथरीले द्वीप भी हैं। जहां पर इंसान नहीं रहते हैं बल्कि पक्षियों का बसेरा है।
इस द्वीप पर तटीय मैदान, दूसरा चूना पत्थर के पठार और तीसरा हजहीर पहाड़ पाए जाते हैं। इस द्वीप पर अधिकतर तापमान गर्म रहता है और यहां पर जलवायु रेगिस्तानी है। सोकोत्रा आइलैंड पर सामान्य तापमान 25 डिग्री सेल्सियस रहता है और यहां बारिश कम होती है। यहां पर अक्टूबर से दिसंबर तक बारिश का महीना रहता है और यहां उत्तर-पूर्व से मॉनसून पहुंचता है। यहां पर साल में अधिकतम 31.50 इंच बारिश ही होती है।