100 साल पूरे होने पर हिमाचल प्रदेश विधानसभा में अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों का 7वां सम्मेलन का आगाज आज से हो गया। सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी वर्चुअल जुड़े और उन्होंने देश में सदन की परम्पराओं को बनाये रखने का सुझाव दिये।
इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि यह प्रदेश के लिए गौरवपूर्ण क्षण है। उन्होंने कहा कि प्रदेश विधानसभा का एक गौरवमयी इतिहास रहा है। प्रथम अध्यक्ष जीवंत राम से लेकर विपिन परमार तक का कार्यकाल उल्लेखनीय है।
वन्ही उन्होंने धर्मशाला के तपोवन में स्थित विधानसभा भवन के उचित उपयोग करने की बात लोकसभा स्पीकर के समक्ष उठाई और कहा कि वहां राष्ट्रीय ई एकेडमी गठित करने की बात कही जिससे उस विधानसभा भवन का सही उपयोग हो सके।
वन्ही लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने कहा कि शिमला देश के अंदर ऐतिहासिक क्षणों का साक्षी रहा है। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी का इससे जुडने के किये आभार जताया। उन्होंने कहा कि सदन की गरिमा बनी रहे 100 वर्ष के इस अधिवेशन के निर्णयों की समीक्षा व मंथन करेंगे। पीठासीन अधिकारी मिलकर जनता के कल्याण के लिए कार्य करना चाहिए। हमारा एजेंडा 100 साल की समीक्षा करना शासन की जवाबदेही को लेकर इस दो दिवसीय सम्मेलन में मंथन होगा। देश की सभी विधानसभाओं को पेपरलेस बनाने का प्रयास किया जाए। वन्ही धर्मशाला में स्थित विधानसभा में ई एकेडमी के लिए अध्यक्ष व मुख्यमंत्री से चर्चा के बाद किस तरह का उसका मॉडल बताया जाए इस विचार विमर्श के बाद निर्णय किया जाएगा। उन्होंने बताया कि सदनों के अनुशासन में कमी आयी है। सदनों की गरिमा को बनाए रखने के लिए सारे विषयों पर चर्चा की जाएगी।
अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा कि यह सम्मेलन नये संकल्पों के साथ हर वर्ष होता है जो देश की संसदीय व्यवस्था को नई गति देता है। इस परंपरा को 100 साल हुए है इसके लिए सभी देशवासियों को बधाई। लोकतंत्र भारत का स्वभाव व प्रकृति है। भारत आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है यह कार्यक्रम हमारी जिम्मेदारी को बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि संघीय व्यवस्था में सभी राज्यो की भूमिका इसका आधार होता है।
उन्होंने कहा कि कोरोना की लड़ाई सभी राज्यो ने एकजुटता से लड़ी। भारत ने 100 करोड़ का वैक्सीन का आंकड़ा पूरा कर चुका है। उन्होंने कहा कि भारत के भविष्य के सपने पूरे होंगे जो सभी राज्यों के प्रयासों से पूरे होंगे। नई विजन के साथ भविष्य के लिए नए नियम बनाने है। नीतियां कानून एक भारत श्रेष्ठ भारत को मजबूत करने वाली होगी। सदन में हमारा अचार व्यवहार भारतीय मूल्यों के आधार पर हो यह भी आवश्यक है। भारत विविधता के बीच एकता की अखंड धारा बहती है। हर दल में ऐसे प्रतिनिधि होते है जो राजनीति से परे लोगों की सेवा में खपा देते हैं। ऐसे प्रतिनिधियों के लिए कुछ दिन ऐसे रखे जा सकते है जिसमे वह अपने अनुभव बताए। इस पक्ष की जानकरी दे इससे दूसरों को भी सीखने का मौका मिलेगा। इससे राजनीति समृद्ध होगी इसके लिए कोई कमेटी गठित कर ली जाए। इस आयोजन से लोगों को राजनीति के अलावा हटकर करने की प्रेरणा मिलेगी। कुछ ऐसी डिबेट जिसमे मर्यादा गंभीरता का पालन हो करने की आवश्यकता है। रोजमर्रा की राजनीति से हटकर नये सदस्यों को सदन की मर्यादा व अन्य विषयों की ट्रेनिंग आवश्यक है। सदन में नए सदस्य आएंगे तो नए आईडिया सदन तक पहुचेंगे। देश ने एक राष्ट्र एक राशन कार्ड जैसी व्यवस्थाएं बनाई है। एक राष्ट्र एक लेजिस्लेचर की व्यवस्था कैसी व्यवस्था आजादी के अमृत काल मे होना चाहिए। अगले 25 वर्ष के बाद हम आजादी के 100 साल मनाएंगे क्या इसमे हम पूरे जिम्मेदारी के साथ कर्तव्य,कर्तव्य, कर्तव्य। सदन के आचार व्यवहार, वाद विवाद समाधान में कर्तव्य का बोध हो। कर्तव्य को ही सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए। इसका प्रभाव पूरे देश पर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि 2047 तक देश कहा ले जाना है सदन इस पर चर्चा करेगा ऐसी उम्मीद है।
बता दे कि सम्मेलन में 36 राज्य विधान परिषदों तथा विधानसभाओं के पीठासीन अधिकारी उप पीठासीन अधिकारी व प्रधान सचिव भाग ले रहे है। कुल मिलाकर एक राज्य से 4 प्रतिनिधि अपनी स्पाउस के साथ इस सम्मेलन में भाग लेंने शिमला पहुँचे हैं जिनकी संख्या 288 है। सम्मेलन में भाग ले रहे प्रतिनिधियों की कुल संख्या 378 है।