हिमालय की गुफाओं में अवतरित होने वाले भगवान अमरनाथ के दर्शन के लिए गुरुवार को यात्रियों का पहला जत्था बेस कैंप से रवाना हुआ। इसमें 2750 यात्री शामिल हैं।
हिंदुओं की पवित्र वार्षिक श्री अमरनाथ यात्रा शुरू हो गई है। दक्षिण कश्मीरी हिमालय की गुफाओं में अवतरित होने वाले भगवान अमरनाथ के दर्शन के लिए गुरुवार को यात्रियों का पहला जत्था बेस कैंप से रवाना हुआ। इसमें 2750 यात्री शामिल हैं। अनंतनाग जिले के पहलगाम में बने नुनवान बेस कैंप से डिप्टी कमिश्नर पियूष सिंगला ने यात्रियों के पहले जत्थे को रवाना किया।
बता दें कि बेस कैंप से लेकर अमरनाथ गुफा तक की यात्रा में करीब तीन दिनों का समय लग जाता है। रास्ते में रात के वक्त यात्रियों के विश्राम करने के लिए शेषनाग और पंचतरणी में व्यवस्था की जाती है। इस यात्रा का अधिकतर हिस्सा यात्रियों को पैदल तय करना होता है।
सिंगला ने कहा कि 43 दिवसीय तीर्थयात्रा के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करने के लिए सभी इंतजाम किए गए हैं। उन्होंने कहा कि हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि सभी यात्री सुरक्षित महसूस करें और शांति भाव के साथ यात्रा पूरी करें। जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने बुधवार को जम्मू बेस कैंप से 4,890 तीर्थयात्रियों के पहले जत्थे को रवाना किया था।अधिकारियों ने बताया कि श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड ने प्राकृतिक रूप से प्रकट होने वाले बर्फ के शिवलिंग के ऑनलाइन दर्शन का भी प्रावधान रखा है। उन्होंने बताया कि इस साल यात्रियों की संख्या काफी अधिक होने की उम्मीद है क्योंकि तीन वर्ष के बाद यात्रा फिर से शुरू की गई है।
बता दें कि बेस कैंप से लेकर अमरनाथ गुफा तक की यात्रा में करीब तीन दिनों का समय लग जाता है। रास्ते में रात के वक्त यात्रियों के विश्राम करने के लिए शेषनाग और पंचतरणी में व्यवस्था की जाती है। इस यात्रा का अधिकतर हिस्सा यात्रियों को पैदल तय करना होता है।
सिंगला ने कहा कि 43 दिवसीय तीर्थयात्रा के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करने के लिए सभी इंतजाम किए गए हैं। उन्होंने कहा कि हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि सभी यात्री सुरक्षित महसूस करें और शांति भाव के साथ यात्रा पूरी करें। जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने बुधवार को जम्मू बेस कैंप से 4,890 तीर्थयात्रियों के पहले जत्थे को रवाना किया था।अधिकारियों ने बताया कि श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड ने प्राकृतिक रूप से प्रकट होने वाले बर्फ के शिवलिंग के ऑनलाइन दर्शन का भी प्रावधान रखा है। उन्होंने बताया कि इस साल यात्रियों की संख्या काफी अधिक होने की उम्मीद है क्योंकि तीन वर्ष के बाद यात्रा फिर से शुरू की गई है।
2019 में, केंद्र सरकार द्वारा संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने के कारण माहौल को देखते हुए यात्रा को बीच में ही रद्द कर दिया गया था। इसके बाद 2020 और 2021 में कोरोना संक्रमण के कारण यात्रा नहीं हो पाई थी।
सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने हाल ही में कहा था कि सुरक्षा की दृष्टि से इस साल तीर्थयात्रा के लिए खतरा अधिक है। सुरक्षित यात्रा के लिए भारी संख्या में सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है। बालटाल और पहलगाम मार्गों पर सुरक्षा कड़ी कर दी गई है।विध्वंसक तत्व तीर्थयात्रा को बाधित करने में सफल न हों, इसके लिए नए सुरक्षा पिकेट बनाए गए हैं । इसके अलावा, ड्रोन निगरानी और आरएफआईडी चिप्स भी तीर्थयात्रियों के लिए त्रिस्तरीय सुरक्षा व्यवस्था का हिस्सा हैं।