बाड़मेर. कहते हैं कि कुछ करने के लिए अपनों का साथ बेहद जरूरी होता है. अपनों का साथ हो तो मुश्किल हालात में भी घुटने टेक देते और नए रास्ते खुलने लगते हैं. सरहदी बाड़मेर के 15 कॉलेजी विद्यार्थियों ने एक-दूसरे का साथ दे मदद का एक नायाब चमचमाता रास्ता खोल दिया है. नतीजा है कि अब इन 15 युवाओं का ग्रुप अपनी पढ़ाई तो कर ही रहा है, तकरीबन 400 बच्चों को निशुल्क कोचिंग दे रहा है.
यह बात कोरोना समय की है जब देश और दुनिया की स्थिति डगमगा रही थी. उस समय कॉलेज के 15 स्टूडेंट्स ने एक ग्रुप बनाया. इस ग्रुप में 4 लड़कियां और 11 लड़के हैं. इन सभी ने तय किया कि हर महीने ग्रुप का हर शख्स ग्रुप के खाते में हजार रुपए जमा करेगा. ताकि इस ग्रुप के किसी भी स्टूडेंट को जरूरत हो तो उन पैसों का उपयोग कर सके. ऐसा करते-करते 15 महीने बीत गए. इस बीच कुल 2 लाख 25 हजार रुपए जमा हुए. इनमें से कुछ पैसे इस ग्रुप के किसी न किसी की जरूरत के काम आए. लेकिन 15 महीने बाद इस ग्रुप के खाते में 1 लाख 60 हजार रुपये जमा रहे. तब इन युवाओं ने इन पैसों का उपयोग कर बच्चों के लिए निःशुल्क कोचिंग सेंटर खोल दिया.
कॉलेज की पढ़ाई करते इन युवाओं ने डॉक्टर बीआर अंबेडकर निशुल्क कोचिंग सेंटर की नींव रखी. यहां बच्चों को बैग, पेन, पेंसिल, आईडी कार्ड आदि चीजें कोचिंग द्वारा निशुल्क दी जा रही हैं. इस अनूठे कोचिंग सेंटर में पहली क्लास से दसवीं तक के बच्चे निःशुल्क पढ़ाई करते हैं. अभी तकरीबन 400 बच्चे यहां पढ़कर रहे हैं. दो बैच में सुबह और शाम को यह अनूठी कोचिंग चल रही है.
इस कोचिंग में पढ़नेवाले बच्चे बेहद उत्साह के साथ अपने अनुभव साझा करते नजर आते हैं. निःशुल्क कोचिंग में पढ़नेवाले जानवी व धर्मेश का कहना है कि स्कूल में जो बातें अधूरी रह जाती हैं वे इस जगह आकर पूरी हो जाती हैं. सभी शिक्षकों के पढ़ाने का अंदाज भी अनूठा है. हर सप्ताह कई प्रतियोगिताएं भी करवाई जाती हैं. ऐसे में यह कोचिंग गरीब बच्चों के लिए भी काफी मददगार साबित हो रही है.
इस कोचिंग सेंटर में पवन चौहान निदेशक हैं और संयोजक पद पर भूपेंद्र बडेरा अपना काम कर रहे हैं. इनके साथी राकेश, महेंद्र जाटोल, रवि सिंगारिया, गणपत फुलवरिया, ललित, कुलदीप, पूनम बडेरा, संजना गोसाई, निकिता चौहान, दिव्या, चंद्रशेखर और संतुष्ट मोसलपुरिया इस कोचिंग सेंटर में बतौर शिक्षक अपना योगदान करते हैं. कोचिंग की शुरुआत से अब तक सफर की कहानी साझा करते हुए निदेशक पवन चौहान बताते हैं कि शुरुआत तो दोस्तों की आर्थिक मदद के लिए की थी, लेकिन जब ग्रुप के पास पैसे जुट गए तो इस कोचिंग सेंटर की नींव पड़ी और आज इस कोचिंग सेंटर में 400 बच्चे पढ़ रहे हैं.