ज्ञानेश्वर बोडके. महाराष्ट्र के पुणे के मुल्सी तालुका के रहने वाले. छोटे से किसान परिवार में जन्म. 10वीं तक पढ़ाई. घर वाले खेती करते थे तो ज्ञानेश्वर भी करने लगे, लेकिन आमदनी नहीं हो रही थी. इसके बाद ज्ञानेश्वर एक बिल्डर के दफ्तर में ऑफिस ब्वॉय की नौकरी करने लगे. लेकिन, एक बार फिर वह खेती-किसानी में आए और आज उनका टर्न ओवर करोड़ों का है.
ज्ञानेश्वर के मुताबिक़, वह बिल्डक के यहां ऑफिस ब्वाय के रूप में सुबह 6 से रात 11 बजे तक काम करते थे. वह यह काम तो कर रहे थे, लेकिन इनकी सोच कहीं और पहुंचने की थी. इस बीच उन्होंने एक अखबार में एक किसान की सफलता की कहानी पढ़ी. किसान ने एक हजार वर्ग फुट क्षेत्र में पॉलीहाउस खेती की और 12 लाख रुपये महीने कमाई शुरू कर दी.
इस खबर को पढ़ने के बाद ज्ञानेश्वर ने नौकरी छोड़ दी. वह पुणे पहुंचे और पॉलीहाउस खेती पर दो दिन का वर्कशॉप किया. लेकिन, यह सब उनके सिर के ऊपर से निकल गया. इसके बाद ज्ञानेश्वर ने अधिकारियों से बात की और कहा कि वे उनके साथ काम करना और सीखना चाहते हैं.
ट्रेनिंग लेने के बाद उन्होंने बैंक से लोन लिया और एक हजार स्क्वॉयर फीट में पॉलीहाउस शुरू कर दिया. साल 1999 में उन्होंने गुलनार (कार्नेशन) और गुलाब (रोज़) की खेती शुरू की. जल्दी ही बड़े शहरों में उन्होंने निर्यात करना शुरू कर दिया. उन्होंने अपने 10 लाख रुपये के लोन को 1 साल में भर दिया.
बाद में उन्होंने एक अभिनव किसान क्लब बनाया जो महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, गुजरात, मध्यप्रदेश और कर्नाटक में काम करता है. इसमें 1.5 लाख किसान जुड़े हुए हैं. इसका वार्षिक टर्नओवर 400 करोड़ रुपये है.