पेड़-पौधे कार्बन डाई ऑक्साइड अवशोषित करते हैं यानी लेते हैं और ऑक्सीजन यानी प्राणवायु छोड़ते हैं। इसका मतलब यह है कि पेड़ हैं तो जीवन है। हर देश में कार्बन उत्सर्जन कम करने और वृक्षारोपण पर जोर दिया जाता है। दुनिया में एक जगह ऐसी भी है जहां पेड़ ही पेड़ हैं। जी हां, पर यहां भी पेड़ घट रहे हैं।
नई दिल्ली: ‘जंगल न्यूज’ में हम आपके लिए रोज जंगली और समुद्री जानवरों के बारे में जानकारियां लेकर आते हैं। आज हम आपको धरती पर मौजूद एक ऐसे क्षेत्र के बारे में बताने जा रहे हैं जहां हर किसी के लिए पहुंचना मुश्किल है। यह है दुनिया का सबसे बड़ा जंगल, जिसे अमेजन रेनफॉरेस्ट कहते हैं। दक्षिण अमेरिकी महाद्वीप में करीब 65 लाख वर्ग किमी में यह कई देशों में फैला है। यह जंगल धरती पर करीब 20 फीसदी ऑक्सीजन का अकेले उत्पादन करता है। प्रतियोगी परीक्षाओं में यह प्रश्न भी पूछा जाता है कि धरती का फेफड़ा किसे कहते हैं? जवाब होगा नौ देशों की सीमाओं के बीच स्थित अमेजन वर्षावन को। हजारों साल से यह धरती पर जीवन संतुलन को बनाए हुए हैं। यहां अनगिनत जीव-जंतु और असंख्य पेड़-पौधे पाए जाते हैं।
रेन फॉरेस्ट इसलिए कहा जाता है क्योंकि यहां अक्सर बारिश होती रहती है। अमेजन के जंगल के बीच अमेजन नदी बहती है। अमेजन जंगल के बारे में कह सकते हैं कि अगर यह कोई देश होता तो दुनिया में 9वां सबसे बड़ा मुल्क होता। यहां कई खतरनाक जानवर पाए जाते हैं। यहां जैव विविधताएं पाई जाती हैं। ये धरती पर बड़ी मात्रा में कार्बन सोखने का काम करते हैं लेकिन यहां आग लगने की घटनाओं से नुकसान भी काफी होता है।
अमेजन जंगल का सबसे ज्यादा हिस्सा करीब 60 फीसदी ब्राजील, 13 फीसदी पेरू, 10 फीसदी कोलंबिया और बाकी हिस्सा इक्वाडोर, गुयाना, सूरीनाम, फ्रेंच गुयाना, वेनेजुएला में है।
अमेजन जंगलों के बारे में कहा जाता है कि यहां सैकड़ों आदिम जनजातियां रहती हैं जो दुनिया से बिल्कुल अलग-थलग हैं। अमेजन नदी में एनाकोंडा जैसे खतरनाक और विशालकाय स्नेक पाए जाते हैं। 20 फीट से भी बड़े एनाकोंडा इसी नदी में पाए जाते हैं। यहां पाई जाने वाली चीटियां भी काफी खतरनाक होती हैं। कुछ चीटियों के काटने से मौत भी हो सकती है। यहां मकड़ी की भी हजारों प्रजातियां पाई जाती हैं और वे भी शांत स्वभाव की नहीं होती हैं।