सिद्धार्थनगर में दो घंटे बाद एंबुलेंस पहुंची, चालक बोला-नहीं है डीजल, घायल वृद्ध की तड़प कर मौत

सीएमओ प्रभारी डॉ. उजेर अतहर ने कहा कि एंबुलेंस का संचालन लखनऊ में बने कंट्रोल रूम से होता है। जब कोई शिकायत प्राप्त होती है तो जांच की जाती है। इस मामले में मरीज के परिवार के लोग शिकायत करेंगे, तो जांच की जाएगी।

जोगिया क्षेत्र के करौंदा मसिना में मंगल प्रसाद के घर पर रोते-बिलखते परिजन और ग्रामीणों की भीड़। स
जोगिया क्षेत्र के करौंदा मसिना में मंगल प्रसाद के घर पर रोते-बिलखते परिजन और ग्रामीणों की भीड़।
सिद्धार्थनगर जिले में बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने के सरकारी दावे रविवार को उस वक्त फेल हो गए, जब एंबुलेंस कर्मियों की लापरवाही से घायल वृद्ध समय से अस्पताल नहीं पहुंच सका और उसकी जान चली गई। सूचना के दो घंटे बाद एंबुलेंस पहुंची तो एक में डीजल नहीं होने की बात बताई गई और दूसरी स्टार्ट ही नहीं हुई। परिजन ने निजी एंबुलेंस बुलाई। उसमें बैठाने से पहले ही वृद्ध ने दम तोड़ दिया। परिजन ने मौत के लिए स्वास्थ्य महकमा को जिम्मेदार ठहराया है। यह घटना रविवार सुबह जोगिया कोतवाली क्षेत्र के बांसी-बस्ती मार्ग पर स्थित करौंदा मसिना चौराहे पर हुई।

जोगिया कोतवाली के करौंदा मसिना गांव निवासी पूर्व प्रधान के पिता मंगल प्रसाद (60) सुबह बांसी-बस्ती मार्ग पर स्थित गांव के चौराहे पर घूमने निकले थे। बताया जा रहा है कि सड़क के किनारे खड़े थे, तभी तेज रफ्तार वाहन ने उन्हें चपेट में ले लिया। मंगल प्रसाद जख्मी होकर सड़क पर गिर गए। उनके पुत्र संतराम के मुताबिक, 7:15 बजे एंबुलेंस को सूचना दी। 7:45 बजे तक एंबुलेंस नहीं पहुंची तो टेंपो से लेकर जिला अस्पताल पहुंचे। यहां प्राथमिक उपचार के बाद हालत नाजुक देख डॉक्टर ने गोरखपुर मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया।

इसके बाद फिर एंबुलेंस को सूचना दी गई। 9:15 बजे एक एंबुलेंस पहुंची। जब ले जाने की बारी आई तो चालक ने डीजल नहीं होने की बात दी। दूसरी बार 108 नंबर डायल करने के कुछ देर बाद दूसरी एंबुुलेंस पहुंची तो उसकी सेल्फ खराब हो गई। चालक ने कोशिश की, लेकिन एंबुलेंस चालू नहीं हो सकी। निराश होकर प्राइवेट एंबुलेंस बुलाई गई। प्राइवेट एंबुलेंस आई और गाड़ी में मंगल प्रसाद को बैठाया जाने लगा। इसी बीच उन्होंने दम तोड़ दिया। परिवार के लोगों ने एंबुलेंस सेवा पर सवाल उठाया है।

 उन्होंने आरोप लगाया कि सूचना देकर आधे घंटे तक इंतजार किया, लेकिन एंबुलेंस नहीं पहुंची। किसी तरह अस्पताल पहुंचे, वहां से रेफर करने के बाद एंबुलेंस को सूचना दी गई। एंबुलेंस कर्मियों ने देरी तो की ही, लापरवाही भी की, जिससे जान चली गई। एंबुलेंस सेवा के प्रोग्राम मैनेजर सौरव पांडेय ने कहा कि जीपीएस की नेटवर्किंग सिस्टम में खराबी के कारण एंबुलेंस में डीजल नहीं भरा जा सका होगा। एंबुलेंस को रिस्पांस टाइम में नहीं पहुंचने के मामले में वे स्पष्ट जवाब नहीं दे सके। उधर, जोगिया पुलिस ने शव का पंचनामा करके पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। हादसा करने वाले कार चालक की तलाश की जा रही है। कोतवाल दिनेश सरोज ने बताया कि मामले की जांच की जा रही है।

रिस्पांस टाइम 15 मिनट, पहुंची दो घंटे बाद
एंबुलेंस सेवा के संचालक के मुताबिक, कहीं से भी मिलने वाली सूचना पर 15 मिनट के अंदर एंबुलेंस को पहुंचने का नियम है। कभी-कभार पांच मिनट लेट भी हो जाता है। लेकिन, इस घटना की बात करें तो घोर लापरवाही सामने आई है। यहां सूचना देने के दो घंटे बाद एंबुलेंस जिला अस्पताल पहुंची।

परिजनों का बुरा हाल, गांव में मातम
मंगल गांव के पूर्व प्रधान संतराम के पिता थे। ग्राम पंचायत करौंदा मसिना में जब लोगों को पता चला कि पूर्व प्रधान के पिता की हादसे में मौत हो गई है, तो लोग उनके घर पर पहुंचने लगे। परिवार के लोगों को रो-रोकर बुरा हाल है। वहीं गांव में मातम का माहौल छाया हुआ है। लोगों का कहना था कि मंगल बहुत ही अच्छे व्यक्ति थे।

सीएमओ प्रभारी डॉ. उजेर अतहर ने कहा कि एंबुलेंस का संचालन लखनऊ में बने कंट्रोल रूम से होता है। जब कोई शिकायत प्राप्त होती है तो जांच की जाती है। इस मामले में मरीज के परिवार के लोग शिकायत करेंगे, तो जांच की जाएगी।

दर्ज हो सकता है मुकदमा
अधिवक्ता संजय कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि एंबुलेंस सेवा की लापरवाही के मामले में मुकदमा दर्ज हो सकता है। घायल व्यक्ति की जान जाने के मामले में गंभीर धाराओं में आरोप साबित हो सकता है। टक्कर मारने वाले की तरह एंबुलेंस सेवा के जिम्मेदार भी दोषी साबित हो सकते हैं।