Ambur Beef Biryani: तमिलनाडु में अंबुर नाम के एक शहर की बिरयानी बहुत मशहूर है। यहां बिरयानी में बीफ समेत कई चीजें पड़ती हैं। हाल ही में आयोजित एक फेस्टिवल में बीफ बिरयानी शामिल करने पर विवाद उठ खड़ा हुआ था।
आयोग के मुताबिक, सरकारी कार्यक्रम में व्यंजन को नजरअंदाज करना ‘भेदभाव’ करने के बराबर है। आयोग ने कहा कि उनसे स्थानीय विदुथलाई चिरुथईगल काची (वीसीके) श्रमिक मोर्चा के प्रतिनिधियों ने मिलकर आरोप लगाया था कि इस आयोजन में ‘बीफ बिरयानी’ को शामिल न करना अंबुर और उसके आसपास रहने वाली एक महत्वपूर्ण अनुसूचित जाति की आबादी के खिलाफ ‘खाद्य भेदभाव’ है।
13-15 मई के बीच था बिरयानी फेस्टिवल
आयोग ने सोमवार को एक विज्ञप्ति में कहा कि जिला कलेक्टर ने घोषणा की थी कि बिरयानी फेस्टिल में ‘बीफ बिरयानी’ को शामिल नहीं किया जाएगा। असल में 13 से 15 मई के बीच ‘अंबूर बिरयानी थिरुविझा 2022’ का आयोजन होना था। इसका मकसद यहां से लगभग 186 किलोमीटर दूर अंबुर के इस लोकप्रिय व्यंजन के लिए जीआई टैग हासिल करना था। तब जिला प्रशासन ने बारिश के पूर्वानुमान का हवाला देते हुए इस आयोजन को टाल दिया था।
डीएम को भेजा नोटिस
आयोग ने इसके बाद तिरुपथुर के कलेक्टर अमर कुशवाहा को कारण बताओ नोटिस जारी किया। इसमें कहा गया कि उनकी घोषणा अंबूर क्षेत्र के दो लाख SC/ST सदस्यों के खिलाफ ‘सरकारी भेदभाव’ है। आयोग ने कलेक्टर से पूछा कि उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जानी चाहिए। आयोग का यह भी कहना है कि कार्यक्रम को स्थगित करने के बाद कलेक्टर ने कथित तौर पर कहा कि आयोग की कार्रवाई उन पर लागू नहीं होगी, क्योंकि कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया है।
क्या है अंबुर बिरयानी की खासियत
अंबुर तमिलनाडु के तिरुपथुर जिले का एक उपनगर है। पलार नदी किनारे बसा अंबुर अपनी मसालेदार बिरयानी और मक्खनपेड़ा के लिए मशहूर है। अंबुर 1749 और 1767 में हुए दो युद्धों के लिए मध्यकालीन इतिहास में दर्ज है। यहां की विशेष अंबुर बिरयानी एक मुगल व्यंजन है जिसमें केसर और दूसरे मसालों की खुशबू इसे अलग ही स्वाद देती है। बहुत लंबे समय से एंट्रप्रन्योर इसे जिओग्राफिकल टैग या जीआई टैग देने की मांग कर रहे थे ताकि इसे भी रतलाम सेव, सिलाव खाजा, धारवाड़पेड़ा और दार्जिलिंग चाय की तरह ट्रेडमार्क और विशेष पहचान मिल सके।