अमेरिका की ‘कमजोर’ सेना रूस के साथ एक युद्ध तक लड़ने के लायक नहीं, रिपोर्ट ने उड़ाए पेंटागन के होश

रूस का यूक्रेन की जंग (Russia-Ukraine War) के बीच अमेरिका (US) के साथ तनाव बढ़ता जा रहा है। चीन और अमेरिका (China-US) के बीच भी सबकुछ ठीक नहीं है। लेकिन इन सबके बीच ही एक ऐसी खबर आई है जो अमेरिकी राष्‍ट्रपति जो बाइडेन (US President Joe Biden) के लिए चिंताजनक हो सकती है।

US-Military

वॉशिंगटन: ताइवान, जापान और यूक्रेन को मदद का वादा करने वाली अमेरिका की मिलिट्री खुद इतनी कमजोर है कि वह युद्ध का सामना ही नहीं कर सकती है। दुनिया में अमेरिका वह इकलौता देश है जो अपनी सेनाओं पर इतना खर्च कर डालता है कि एक देश की जीडीपी सुधर जाए। लेकिन इसके बाद भी चीन और रूस से मिलते खतरों से निबटने के लिए उसके पास पर्याप्‍त उपकरण ही नहीं हैं। इंडेक्‍स ऑफ यूएस मिलिट्री स्‍ट्रेंथ नाम से एक रिपोर्ट आई है। इस रिपोर्ट में जो कुछ भी कहा गया है उसके बाद अमेरिकी राष्‍ट्रपति जो बाइडेन का ब्‍लड प्रेशर बढ़ सकता है। इस रिपोर्ट को कंजर्वेटिव हैरिटेज फाउंडेनशन थिंक टैंक की तरफ से तैयार किया है।
बड़े युद्ध झेलने में असमर्थ
रिपोर्ट में कहा गया है कि कई सालों तक कम वित्‍तीय मदद और खराब प्राथमिकताओं ने मिलिट्री को इतना कमजोर कर दिया है कि वह देश के हितों की रक्षा करने में समर्थ ही नहीं है। इसमें आगे लिखा है कि वर्तमान समय में अमेरिकी मिलिट्री बल पर काफी खतरा है और वह एक भी क्षेत्रीय संघर्ष की चुनौती का सामना नहीं कर सकती है। रिपोर्ट के मुताबिक सेना बहुत ज्‍यादा कुछ नहीं कर पायेगी और निश्चित तौर पर दो बड़े युद्धों को तो बिल्‍कुल नहीं झेल सकती है।

नौसेना और वायुसेना बेहद कमजोर
यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब रूस ने यूक्रेन में जंग छेड़ रखी है तो चीन भी ताइवान पर आक्रामक होता जा रहा है। रिपोर्ट में साफ-साफ लिखा है कि वर्तमान हालातों में मिलिट्री की स्थिति को कमजोर करार दिया जाता है। सभी रक्षा बलों में सिर्फ मरीन कोर ही अकेला ऐसा बल है जो मजबूत है। थिंक टैंक का अनुमान है कि मरीन कोर की क्षमता और उसकी तैयारियों को देखते हुए ही यह बात रिपोर्ट में कही गई है। सेना को औसत की रेटिंग दी गई है तो स्‍पेशल फोर्स और नौसेना को कमजोर करार दिया गया है। वहीं यूएस एयरफोर्स को बहुत ही कमजोर बताया गया है।

महंगाई का असर

थिंक टैंक की तरफ से कहा गया है मिलिट्री अपनी प्राथमिकताएं लगातार तय करती आ रही है। उसमें पिछले कुछ सालों में सुधार भी हुआ है। लेकिन आधुनिकीकरण के प्रोग्राम खासतौर पर वॉरशिप का निर्माण और दूसरे संसाधनों पर बुरा असर पड़ रहा है। रिपोर्ट की मानें तो पिछले 20 साल के ऑपरेशंस और महंगाई ने मिलिट्री पर असर डाला है और वह इनसे उबरने की कोशिशों में लगी है। रिप्रजेंटेटविस माइक गालाघेर की मानें तो यह रिपोर्ट काफी डरावनी है,खासतौर पर तब जब चीन हिंद-प्रशांत क्षेत्र में लगातार आक्रामक हो रहा है। उनका कहना है कि नौसेना और वायुसेना दो प्राथमिक बल हैं और ये सबसे खराब स्थिति में हैं। यह बात बेहद ही चिंताजनक है।