बंजर जमीन पर आम की बागवानी कर मालामाल हो रहे किसान, आम्रपाली-लंगड़ा और बॉम्बे ग्रीन से होती है लाखों की कमाई

हजारीबाग/रामगढ़. फलों का राजा कहे जाने वाले आम की बागवानी कर पैसे कमाने की एक से बढ़कर एक कहानी आप पढ़ते-सुनते रहते होंगे. लेकिन, इस बार की कहानी थोड़ी खास और अलग है. दरअसल अलग इसलिए क्यों झारखंड के रामगढ़ जिले में एक किसान बंजर जमीन पर आम की फसल उगा रहे हैं और लाखों का मुनाफा भी कमा रहे हैं. जिस जमीन को लोग बंजर मानकर उस पर खेती करने से संकोच कर रहे थे. सुधीर मिंज उसी बंजर जमीन पर आम की अलग-अलग वेराइटी की बागवानी कर रहे हैं.

दरअसल हजारीबाग के बडकागांव प्रखंड के गुड़कुंवा में बंजर जमीन पर आम की बागवानी करके किसान सुधीर आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन रहे हैं और सीजन में लाखों रुपये कमा रहे हैं. किसान सुधीर ने अपने तीन एकड़ बंजर भूमि पर कई नस्ल के आम के सैकडों पौधे वर्ष 2004 में लगाए थे. अब वो पौधे फल देने लगे हैं और सुधीर फलों को बाजार में बेच कर पैसे कमा रहे हैं.

फिलहाल सुधीर के बगीचे में आम्रपाली, बॉम्बे ग्रीन, लंगड़ा, तोता परी, मिठूवा, हिमसागर समेत कई नस्ल के आम मिल जाएंगे. सुधीर आम को सीधे पेड़ से तोड़ कर ग्राहकों और व्यापारियों को बेचते हैं. सुधीर का कहना है कि आज उनका पूरा परिवार आम की बागवानी में लगा हुआ है. उन्होंने बताया कि आम के अलावे वह अपने बगीचे में अमरुद, कटहल, और जामुन का पेड़ भी लगा चुके हैं. सुधीर के अनुसार फिलहाल बाजार में आम्रपाली-लंगड़ा और बॉम्बे ग्रीन की खूब डिमांड है. ऐसे में कहा जा सकता है कि बागवानी सुधीर के लिए फायदे का सौदा साबित हो रहा है.

3 वर्ष में पौधे देने लगे थे आम का फल 

किसान सुधीर मिंज ने बताया के मेरे पास गांव में 3 एकड़ बंजर भूमि है जिस पर किसी तरह का आना आज या फसल नहीं होता था. कुछ लोगों की सलाह पर वर्ष 2004 में मैंने हजारीबाग नर्सरी से आम के 100 पौधे लाकर लगाएं 3 वर्षों के बाद लगाए गए पौधे अच्छे किस्म के आम फल देने लगे. धीरे-धीरे आसपास के बाजारों में आम की खपत होने लगी. अब तो बाहर के व्यापारी सीधे बगीचे में पहुंचकर आम ले जाते हैं. सुधीर ने बताया कि उन्होंने आम के अलावा कटहल अमरूद और जामुन का पेड़ भी बगीचे में लगा रखा है. सुधीर ने कहा कि कम खर्च में किसान बंजर भूमि पर बागवानी करके आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन सकते हैं. इसमें ज्यादा मेहनत भी नहीं करना पड़ता है और पूंजी भी कम लगती है.