‘रॉकेट्री’ के निर्देशन से हटने पर अनंत महादेवन का खुलासा, बोले, ‘असली सच मैं बताऊंगा’
अनंत महादेवन का नाम भारतीय मनोरंजन जगत के उन चंद कद्दावर लोगों में शामिल है जो बीते पांच दशकों से लगातार काम कर रहे हैं। बतौर अभिनेता टेलीविजन व सिनेमा में पर लंबे समय तक काम करते रहने के बाद अनंत ने निर्देशन में कदम रखा। बतौर निर्देशक उनकी पहली फिल्म ‘दिल विल प्यार व्यार’ साल 2002 में रिलीज हुई थी। उनकी निर्देशित तमाम फिल्में मसलन ‘मी सिंधुताई सपकाल’, ‘गौर हरी दास्तान’, ‘डॉक्टर रखमाबाई’ और ‘बिटरस्वीट’ तमाम राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोहों में सराही और पुरस्कृत की गई हैं। संवाद लेखन में राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी जीत चुके अनंत महादेवन के बारे में कम लोगों को ही पता होगा कि इस शुक्रवार को रिलीज होने जा ही फिल्म ‘रॉकेट्री: द नंबी इफेक्ट’ के पहले निर्देशक वही थे। फिल्म के हीरो आर माधवन और अनंत महादेवन दोनों ने इस बायोपिक के अधिकार खरीदे लेकिन बाद में दोनों के रास्ते अलग अलग हो गए।
भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिक नंबी नारायणन के जीवन पर बनी फिल्म ‘रॉकेट्री: द नंबी इफेक्ट’ के निर्देशन से अनंत क्यों अलग हुए, इस पर वह ज्यादा बात नहीं करना चाहते। लेकिन, अपनी नई वेब सीरीज ‘अवरोध 2’ के सिलसिले में मिले अनंत महादेवन से ‘अमर उजाला’ ने इस मामले के बारे में जानना चाहा तो वह कहते हैं, ‘बड़ी लम्बी कहानी है। उसके बारे में अभी कुछ बोलने का समय नहीं है। हां, इतना जरूर है कि जब कभी इस फिल्म की बात होगी तो इस पर पूरे किस्से पर पूरी किताब छप सकती है। उसमें जो हुआ सो हुआ। अभी मैं उस बारे में बात नहीं करना चाहता हूं।’
अनंत महादेवन जब ये कहते हैं तो उनके चेहरे पर एक दर्द सा झलकता है। फिल्म ‘रॉकेट्री: द नंबी इफेक्ट’ की चर्चा पहले पहल कोई छह साल पहले शुरू हुई थी। अभिनेता आर माधवन को ये कहानी पता चली तो उन्होंने अनंत महादेवन के साथ केरल जाकर अंतरिक्ष वैज्ञानिक नंबी नारायणन से मुलाकात की। यही वह समय था जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केरल की अपनी यात्रा के दौरान इन वैज्ञानिक से भेंट की थी। तभी पहली बार लोगों को नंबी नारायणन की पूरी राम कहानी पता चली। माधवन ने फिल्म के विषय पर लंबी रिसर्च की। फिल्ममेकिंग के हॉलीवुड विशेषज्ञों को फिल्म में शामिल किया और फ्रांस की असली अंतरिक्ष एजेंसी एरिएन में जाकर इसकी शूटिंग की।
माधवन अपनी फिल्मों और सीरीज के समर्पित अभिनेता रहे हैं। फिल्म ‘रॉकेट्री: द नंबी इफेक्ट’ में निर्देशन का काम उनके मुताबिक उन्होंने आखिरी वक्त पर संभाला क्योंकि तब उन्हें कोई दूसरा निर्देशक ये जिम्मेदारी उठाने के लिए नहीं मिल रहा था। माधवन के मुताबिक उन दिनों अनंत महादेवन अपनी मराठी फिल्मों मे इतना व्यस्त थे कि फिल्म ‘रॉकेट्री: द नंबी इफेक्ट’ की तैयारियों के लिए समय निकाल पाना उनके लिए मुश्किल हो रहा था। अनंत महादेवन कहते हैं, ‘फिल्म ‘रॉकेट्री: द नंबी इफेक्ट’ मेरा अतीत है। मैं इसके बारे में बोलना नहीं चाहता। लेकिन हां, अगर किसी ने उस फिल्म के बारे में पहले कुछ बात की और अधूरा सच बताने की कोशिश की तो असली सच मैं बताऊंगा। वैसे भी मेरी ये आदत है कि जो चीज जिस वक्त मैं छोड़ देता हूं, दोबारा उस बारे में सोचता नहीं हूं।’
फिल्म ‘रॉकेट्री: द नंबी इफेक्ट’ हाल के दिनों में बनी ऐसी मेगा बजट फिल्म है जिसकी शूटिंग दुनिया के आधा दर्जन के करीब देशों में हुई है। ये फिल्म अंतरिक्ष वैज्ञानिक नंबी नारायणन के जीवन के ऐसे ऐसे पहलू दर्शकों के सामने लाती है जिनके बारे में सोचकर ही सिहरन होने लगती है। अपने देशप्रेम के चलते नासा का ऑफर ठुकराकर इसरो में नौकरी करने वाले इस युवा अंतरिक्ष वैज्ञानिक को केंद्र में कांग्रेस शासनकाल में बहुत दुख झेलने पड़े हैं। जिस तकनीक के सहारे अंतरिक्ष विज्ञानी 21वीं सदी में तमाम दूसरे ग्रहों तक पहुंचना मुमकिन मान रहे हैं, उस तकनीक की नींव नंबी नारायणन ने इसरो में बरसों पहले डाल दी थी। लेकिन, फिल्म में दिखाया गया है कि एक महाशक्ति के इशारे पर उनके प्रयोग के दुनिया की नजरों में सामने आने से पहले ही उन्हें जासूसी के झूठे आरोप में जेल में डाल दिया गया।
माधवन कहते हैं, ‘फिल्म ‘रॉकेट्री: द नंबी इफेक्ट’ एक ऐसे देशभक्त की कहानी है जिसने देश को अमेरिका और रूस से आगे ले जाने का सपना देखा और जब वह इस सपने को हकीकत में बदल देने के बिल्कुल करीब था, उसे जेल में डाल दिया गया। भला हो देश की न्याय व्यवस्था का जिसने उन्हें दोषमुक्त किया, सर्वोच्च न्यायालय ने उन्हें इस मामले में फंसाने वालों से जुर्माना वसूलने का आदेश दिया और केंद्र की मोदी सरकार ने उन्हें पद्मभूषण से सम्मानित किया।’ फिल्म ‘रॉकेट्री: द नंबी इफेक्ट’ बनाने के लिए माधवन ने पिछले पांच साल साधना की है। फिल्म का प्रदर्शन हाल ही में संपन्न हुए कान फिल्म फेस्टिवल में भी किया गया।