नई दिल्ली: सोयाबीन (Soybean) की नई फसल तैयार होने को है। फसल तैयार होने के बाद मंडियों में नई फसल की आवक बढ़ेगी। इससे सोयाबीन का भाव (Soybean Rate) 4,500 रुपये प्रति क्विंटल के निचले स्तर तक लुढ़क सकता है। कीमतों में गिरावट के कई कारण हैं। इनमें चालू खरीफ सीजन में सोयाबीन की बंपर फसल की संभावना, सरसों का ज्यादा स्टॉक और मलेशिया में सीपीओ की कीमतों में कमजोरी आदि शामिल हैं। इससे खाद्य तेलों के और सस्ता होने का आसार बन रहा है
घट रहा है सोयाबीन का दाम
ओरिगो ई-मंडी के असिस्टेंट जनरल मैनेजर (कमोडिटी रिसर्च) तरुण तत्संगी के मुताबिक इंदौर में सोयाबीन का भाव उनके अनुमान के अनुसार 5,500 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर तक गिर गया है। उनका कहना है कि 6,800 रुपये के स्तर से सोयाबीन लगातार मंदी में है। आने वाले कुछ दिनों में इसका भााव गिर कर 5,000 रुपये प्रति क्विंटल के निचले स्तर को छू सकता है।
आवक बढ़ी तो 4500 रुपये तक लुढ़क सकता है दाम
तरुण तत्संगी का कहना है कि नई फसल की आवक बढ़ने पर सोयाबीन का भाव 4,500 रुपये-4,800 रुपये के निचले स्तर तक भी लुढ़क सकता है। हालांकि, उनका कहना है कि इन स्तरों के नीचे और गिरावट की उम्मीद नहीं है। सोयाबीन का भाव इस स्तर पर स्थिर हो सकता है और खरीदार इस भाव के आस-पास सक्रिय हो जाएंगे।
जरूरत के मुताबिक ही ही सोयाबीन की खरीदारी
हाल ही में क्रूड सोयाबीन ऑयल और सूरजमुखी ऑयल पर आयात शुल्क को खत्म हुआ है। इंडोनेशिया और मलेशिया से सीपीओ और पामोलीन की ज्यादा सप्लाई हो रही है। इसके साथ ही सूरजमुखी ऑयल के आयात में बढ़ोतरी हो रही है। इन सबका प्रभाव सोयाबीन की कीमतों पर पड़ रहा है और इसमें गिरावट आ रही है। तरुण का कहना है कि इंडस्ट्री में अभी निराशा की भावना है। दरअसल, ऑयल और ऑयलसीड में भारी उतार-चढ़ाव नई सामान्य स्थिति हो गई है। कीमतों में भारी उतार-चढ़ाव की वजह से मिलर्स और प्रोसेसर अपनी इकाइयों को चलाने के लिए स्टॉक की एक छोटी मात्रा रखने के लिए घबरा रहे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि वे कीमतों में भारी उठापटक के लिए अपने कारोबार को जोखिम में नहीं डालना चाहते हैं।
पिछले साल के बराबर है सोयाबीन की बुआई का रकबा
2 सितंबर 2022 तक देशभर में सोयाबीन की बुआई 120.4 लाख हेक्टेयर में हुई थी, जो कि पिछले साल के 120.60 लाख हेक्टेयर के लगभग बराबर है। सोयाबीन की बुआई खत्म हो चुकी है। अब सोयाबीन के रकबे में बहुत ज्यादा बदलाव नहीं होने के आसार हैं।
खाद्य तेलों के आयात में बढ़ोतरी
जुलाई 2022 में भारत का खाद्य तेलों का आयात मासिक आधार पर 28 फीसदी बढ़ा है। इस महीने 12,05,284 टन खाद्य तेलों का आयात हुआ जबकि जून 2022 में यह आंकड़ा 9,41,471 टन था। सालाना आधार पर भी देखें तो आयात में 31 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। जुलाई 2021 में 9,17,336 टन तेलों का आयात हुआ था। नवंबर 2021 से जुलाई 2022 तक भारत का खाद्य तेलों का कुल आयात 9.70 मिलियन टन दर्ज किया गया था, जबकि पिछले ऑयल वर्ष की समान अवधि में कुल आयात 9.37 मिलियन टन था।