महंगी कीमतों ने अभिभावकों की बढ़ाई चिंताएं
बढ रही महंगाई का असर अब बच्चों की कॉपी-किताबों पर भी पड़ने लगा है। पेट्रोल- डीजल और कच्चे माल की रेट बढ़ने के बाद अब कॉपी-किताबों के दाम 35 से 50 प्रतिशत तक बढ़ गए हैं। कहा जा रहा है कि दो साल बाद मांग काफी ज्यादा आने से बाजार में किताबों की कमी बनी हुई है। इस माह से नया शैक्षिक सत्र शुरू हो गया है। वहीं दूसरी तरफ अब किताबों और ड्रेस, जूता आदि के कीमत में 50 प्रतिशत तक की वृद्धि हो गई है। स्कूली बैग की कीमत में सौ से डेढ़ सौ रूपए का इजाफा हुआ है। फुटवियर पर जीएसटी दर पांच से 12 फीसदी होने के बाद स्कूल शूज की कीमतों में 150 रूपए तक का इजाफा हुआ है।
गणित, विज्ञान, अंग्रेजी की जो किताब 300 से 325 रुपए तक की आती थी वो अब 400 रूपए तक हो गई है। कोरोना महामारी के चलते साल 2020 में लॉकडाउन लगने से स्कूल बंद हो गए थे। 2021 में भी समय से स्कूल नहीं खुल पाए, जिसका असर पुस्तक व स्टेशनरी कारोबार पर पड़ा है। देर से स्कूल खुलने पर अपेक्षाकृत कारोबार नहीं हो सका। कम संख्या में ही बच्चों द्वारा पुस्तक व स्टेशनरी की खरीदारी की जिससे पुस्तकों और स्टेशनरी का स्टॉक बच गया। लेकिन साल 2022 में शासन ने कोरोना की सभी पाबंदियां हटा दी गई है। इसके बाद कॉपी.किताबों की डिमांड काफी बढ़ गई और इनकी महंगी कीमतों ने अभिभावकों की चिंता बढ़ा दी।
कारोबारियों के अनुसार कॉपी-किताब तैयार करने के लिए जरूरी कच्चे माल के दाम कोरोना काल में ज्यादा बढ़ गए हैं। प्लास्टिक के दाने की कीमत 80 रूपए से 160.170रूपए किलो हो गई है। वहीं, कागज का रेट 50 से बढ़कर 85 रूपए प्रति किलो हो गया है। कारोबारियों के अनुसार कॉपी-किताबों का जो सेट पहले औसतन तीन हजार रुपये में आता था, वह इस बार पांच हजार रुपए में बिक रहा है। इसी के चलते कॉपी- किताबों के मूल्यों पर असर पड़ा है।