लिए लगेगी अब एक और दीवार
स्मार्ट सिटी के पैसों की बर्बादी, बालूगंज चौक पर लगाई दीवार के समानांतर लगेगी
बनने के चंद दिन बाद ही ढह गई थी दीवार
लोग बोले पहले बनाई दीवार हो सकती थी ठीक
अमर उजाला ब्यूरो
शिमला। राजधानी में स्मार्ट सिटी मिशन के तहत बालूगंज में तीन करोड़ रुपये से लगाई दीवार बचाने के लिए अब एक और दीवार लगाई जाएगी। चंद महीने पहले तैयार हुई शहर की सबसे महंगी दीवार के ढहने की आशंका को देखते हुए अब इसे सहारा देने के लिए आरसीसी की दीवार लगाई जा रही है।
केंद्रीय लोक निर्माण विभाग ने इसका काम शुरू कर दिया है। नई दीवार अब स्टेप में बनेगी। हालांकि, इसके निर्माण को लेकर सवाल भी खड़े हो गए हैं। स्थानीय लोगों और कारोबारियों का कहना है कि पहले लगाई दीवार में पड़ी दरारें मरम्मत से ठीक हो सकती थी। ढह रहे हिस्से को तोड़कर नए सिरे से बनाया जा सकता था। लेकिन विभाग ऐसा न करके, इसके बाहर ही एक और समानांतर दीवार खड़ी कर रहा है। इससे न सिर्फ सड़क दो से तीन फीट तक तंग हो गई है बल्कि लाखों रुपया भी बर्बाद हो रहा है। गौरतलब है कि बालूगंज चौक चौड़ा करने के लिए यहां कटिंग कर बड़ी दीवार लगाई है। कामनादेवी के लिए नई एंट्री सड़क और दीवार बनाने के प्रोजेक्ट पर करीब तीन करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। चंद महीने पहले ही यह दीवार बनकर तैयार हुई थी कि बरसात के बीच इसका एक हिस्सा ढह गया। दीवार में कई और जगह भी लंबी दरारें पड़ गईं थी। गुणवत्ता पर सवाल उठने के बाद इसे बचाने के लिए विभाग ने इसके बाहर से एक और दीवार लगाने का फैसला लिया। कुछ दिन पहले इसका काम भी शुरू हो गया।
स्मार्ट सिटी नहीं देगा पैसा
बालूगंज चौक पर लगी दीवार को सहारा देने के लिए लग रही नई दीवार पर भी लाखों रुपये खर्च किया जा रहा है। स्मार्ट सिटी प्रबंधन का कहना है कि केंद्रीय लोक निर्माण विभाग को अब इस मरम्मत कार्य या नई दीवार लगाने के लिए पैसा नहीं मिलेगा। विभाग को यह काम अपने पैसे से करना होगा।
विभाग को दिए हैं निर्देश
केंद्रीय लोक निर्माण विभाग को बालूगंज चौक पर लगी दीवार बचाने के लिए निर्देश दिए गए हैं। विभाग अपने खर्च पर यह काम करेगा। स्मार्ट सिटी के कामों की गुणवत्ता को लेकर कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
-अजीत भारद्वाज, महाप्रबंधक, स्मार्ट सिटी मिशन शिमला।
सीवरेज लाइन के लिए बना दिया पुल
बालूगंज में एक भवन को सीवरेज लाइन से जोड़ने के लिए लोहे का पुल बनाया है। इस पर स्थानीय लोगों समेत पार्षद किरण बावा ने भी सवाल खड़े कर दिए हैं। पूछा कि आखिर सीवरेज लाइन के लिए पुल बनाने की क्या जरूरत पड़ गई। लाखों रुपये का लोहा पुल बनाने में बर्बाद किया गया। यह लाइन भूमिगत हो सकती थी। दीवार ढहने से बचाने के लिए नई दीवार लगाने पर भी पूर्व पार्षद ने सवाल उठाए हैं।