Anti-defect law became a sore throat for BJP

एंटी डिफेक्शन लॉ बना भाजपा के गले की फांस

नगर निगमों के चुनावों को लेकर भाजपा ने प्रदेश में दो निर्णय लिए थे | पहला निर्णय कांग्रेस की चुनौती पर सिंबल पर चुनाव करवाए गए | जिसमे भाजपा और कांग्रेस की आमने सामने की टक्कर देखने को मिली | दूसरा निर्णय एंटी डिफेक्शन  लॉ  को भी चुनावों में लगा दिया गया | यह दोनों निर्णय ख़ास कर पालमपुर , धर्मशाला  और सोलन में बेहद गलत साबित हुए या यूँ कहें कि भाजपा की गले की फांस बन गए | ऐसा हम इस लिए कह रहे है कि अब भाजपा चाह कर भी अपनी नगर निगम नहीं बना सकती | अगर वह कांग्रेस खेमे में सेंध मारी भी करती है तो भी वह अपने मंसूबों में कामयाब नहीं हो सकती | यह जानकारी वरिष्ठ अधिवक्ता मनोज वर्मा ने मीडिया को दी | 

अधिवक्ता मनोज वर्मा ने  बताया कि कोई भी नेता किसी भी दूसरी पार्टी में पद और धन के लालच में शामिल न हो जाए इसके लिए यह क़ानून बनाया गया था | उन्होंने कहा कि जनता द्वारा जिस पार्टी को बहुमत दिया जाता है वह उस पर कायम रहे और वोटर की गरिमा को कोई आंच न आए इसके लिए यह क़ानून बेहद आवश्यक है |  उन्होंने कहा कि यह क़ानून आज़ाद रूप से चुनाव लड़े नेता पर भी लागू होता है वह किसी भी पार्टी को बाहर से तो समर्थन कर सकता है लेकिन पार्टी में शामिल नहीं हो सकता है | उन्होंने भाजपा नेताओं को सलाह दी और  कहा कि भाजपा सरकार जब खुद   एंटी डिफेक्शन  लॉ लेकर आई है तो उनका कर्तव्य बनता है कि वह जनता के फैंसले का स्वागत करे और जोड़ तोड़ की राजनीति से दूर रहे |