बहुत कम लोगों को मालूम है कि दिल्ली के लंबे चौड़े राष्ट्रपति भवन के अलावा देश में दो और शहरों में भी राष्ट्रपति का आधिकारिक निवास है, हालांकि वहां राष्ट्रपति का जाना कभी कभार ही होता है. ये परंपरा वायसराय के जमाने से ही चली आ रही है. जब वायसराय और गर्वनर जनरल की परिपाटी खत्म हुई और देश के मुखिया के तौर पर राष्ट्रपति संविधान में सर्वोपरी पर हुआ,तब भी अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे इन आवासों को यथावत रहने दिया गया.
वैसे तो राष्ट्रपति भवन के बारे में आपने पढ़ा ही होगा कि पूरा परिसर काफी लंबा चौड़ा और आलीशान महल की तरह है तो इसमें शानोशौकत भी कम नहीं. क्षेत्रफल के हिसाब से ये दुनिया का सबसे बड़ा राष्ट्रपति भवन भी है. इसके अलावा देश के राष्ट्रपति के दो विशेष आवास शिमला और हैदराबाद में भी हैं. इसे आमतौर पर भारतीय राष्ट्रपति आरामगाह के तौर पर इस्तेमाल करते हैं.
वैसे कई देशों में राष्ट्रपति के कई आवास होते हैं. इसमें अमेरिका, मिस्र, श्रीलंका, इंडोनेशिया, उत्तर कोरिया, ब्राजील आदि के राष्ट्रपति शामिल हैं, जिनके एक नहीं बल्कि उससे आधिकारिक आवास हैं. भारत में जब वायसराय और गर्वनर जनरल का जमाना था तो वो दिल्ली में रहते थे लेकिन गर्मियों में शिमला प्रवास करते थे. कभी कभार दक्षिण की ओर जाने पर हैदराबाद आवास का इस्तेमाल करते थे.
एक हैदराबाद और दूसरा शिमला में
हैदराबाद और शिमला के ये दोनों ‘रिट्रीट’ सालभर राष्ट्रपति की यात्रा और उनके निवास के लिए तैयार रहते हैं. हमेशा उनके इर्द-गिर्द कड़ी सुरक्षा रहती है तो एक बड़ा स्टाफ उसके रखरखाव के लिए हमेशा तैनात रहता है. शिमला की राष्ट्रपति बिल्डिंग द रिट्रीट बिल्डिंग कहलाती है तो हैदराबाद स्थित आवास को राष्ट्रपति निलायम कहा जाता है.
प्रणब मुखर्जी नियमित शिमला रिट्रीट में जाते थे
प्रणब मुखर्जी जब राष्ट्रपति थे, तो वो नियमित तौर पर गर्मियों में शिमला स्थिति राष्ट्रपति के रिट्रीट हाउस में जाकर रहते थे लेकिन बाकी राष्ट्रपतियों ने ऐसा कम ही किया है. हैदराबाद के दूसरे रिट्रीट पर तो राष्ट्रपति और भी कम जाते हैं. इन दोनों हाउस के आसपास इतनी कड़ी सुरक्षा होती है कि कोई उसके आसपास भी नहीं फटक सकते.
बहुत खूबसूरत पहाड़ी पर है ये
शिमला में राष्ट्रपति की आरामगाह द रिट्रीट बिल्डिंग चाराब्रा में है. आमतौर पर गर्मियों में यहां राष्ट्रपति दो हफ्ते आकर रुकते हैं. तब अपने आधिकारिक कामकाज यहीं से निपटाते हैं. ये शिमला शहर से 13 किलोमीटर दूर है और काफी ऊंचाई पर है. यह रिट्रीट मशोबरा पहाड़ी की चोटी पर स्थित है. प्राकृतिक सुंदरता के कारण मशोबरा एक प्रसिद्ध पर्यटक स्थल है.
क्या है इस बिल्डिंग का इतिहास
दरअसल ये बिल्डिंग शिमला के मेडिकल सुपरिटेंडेंट ने बनवाई थी. जिनका नाम का रिकॉर्ड सही तरीके से नहीं मिलता. फिर इस रिट्रीट को कोटी के राजा ने खरीद लिया था. बाद में लार्ड विलियम ने इसे लीज पर ले लिया. तब इस कोठी को लार्टी साहिब की कोठी के तौर पर स्थानीय लोगों के बीच जाना जाता था. इसके बाद इसमें कई अंग्रेज साहब आकर रहे. लेकिन 1896 में राजा कोटी ने इस संपत्ति को फिर अपने कब्जे में ले लिया. फिर इसे स्थायी तौर पर सरकार को लीज पर दे दिया गया.
पूरी तरह लकड़ी से बनी हुई
जब पहले वायसराय अर्ल ऑफ एल्गिन भारत आए तो उन्होंने इसे गर्मियों में अपने आवास के तौर पर इस्तेमाल करना शुरू किया. इसके बाद सभी वायसराय का ये गर्मियों में आधिकारिक आवास हो गया. इसके अलावा वायसराय यहां छुट्टियां बिताने भी आते थे. इसका डिजाइन बहुत खास है. ये पूरी तरह लकड़ी से बना घर है.
ये पूरी बिल्डिंग 10,628 स्क्वेयर फीट में बनी हुई है. दीवारें ‘दज्जी दीवार निर्माण’ शैली की हैं. ‘दज्जी दीवार’ निर्माण की पारंपरिक कश्मीरी शैली है, जो अपनी स्थिरता और भूकंप-प्रतिरोध के लिए जानी जाती हैं. शिमला के रिट्रीट को कभी आम लोगों के लिए खोला नहीं गया है हालांकि हैदराबाद स्थित राष्ट्रपति निलायम को आम लोगों के लिए खोला जा चुका है.
हैदराबाद का राष्ट्रपति निलयम
निलयम तेलगू में आवास को कहा जाता है. इसे पहले रेजिडेंसी हाउस के तौर पर भी जाना जाता था. वायसराय जाड़ों में यहां रुकने आते थे, क्योंकि ठंड में यहां का मौसम बहुत ठंडा होने की बजाए काफी सुखद होता था.
इसके बाद भारतीय राष्ट्रपति भी यहां आए. जब राष्ट्रपति यहां आते हैं तो उनका स्टाफ भी साथ होता है ताकि उनका आधिकारिक काम जारी रहे. ये निलयम सिकंदराबाद में बोल्लरम में है. जो हैदराबाद का ही सिस्टर शहर कहा जाता है. इसे आम पब्लिक के देखने के लिए 01 जनवरी से 10 जनवरी तक खोला जाता है.
इसमें 16 कमरे
इस शानदार घर को 1860 में निजाम नाजिर उद दौला ने बनवाया था. लेकिन ये फिर सिकंदराबाद में ब्रिटिश रेजीडेंस बन गया. 1948 में जब हैदराबाद राज्य का भारत में विलय हुआ तो इसे प्रेसीडेंट रिट्रीट में बदल दिया गया. इसमें 16 कमरे हैं. ये 90 एकड़ में फैला हुआ है. ये भवन एक मंजिला भवन है. इसमें साथ ही कुछ और भी क्वार्टर हैं, जिसमें 150 लोग रुक सकते हैं.
भवन सुख सुविधाओं से लैस
ये भवन सुविधाओं से लैस है, इसमें दरबार हाल, मार्निंग रूम, सिनेमा हाल आदि हैं, इसका किचन और डायनिंग हाल इसी परिसर में अलग भवन में हैं. एक टनल उन्हें मुख्य भवन से जोड़ती है.इसका गार्डन बहुत खूबसूरत है, जिसमें तमाम तरह के पेड़ पौधे लगे हुए हैं. तरह तरह के फलों के पेड़ भी इसमें हैं.