Apple: दिल्ली के मॉल में 500 किलो के भाव से बिक रहे सेब के किसानों को नहीं मिल रहे 70 रुपए, जानिए कैसे बढ़ी परेशानी

जिस समय आप दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु के मॉल में मौजूद स्टोर से सेब ₹500 किलो खरीद रहे हैं, किसानों को उनके बागान में उसके लिए ₹70 प्रति किलो का भी भाव नहीं मिल रहा है. ​​अगस्त के पहले हफ्ते में जहां सेब के भाव किसानों को 100 से ₹125 किलो तक मिल रहे थे, वहीं सितंबर के पहले हफ्ते में सेब के भाव ₹60-70 किलो पर आ गए हैं.

एपल किसान

सेब के किसानों की स्थिति सुधरने की उम्मीद नहीं है

नई दिल्ली: हिमाचल में इस साल सेब की फसल 10 फ़ीसदी तक अच्छी रहने की उम्मीद की जा रही है. हिमाचल में इस साल सेब का कारोबार 6000 करोड़ रुपए को पार कर सकता है. हिमाचल में सेब उगाने वाले किसान बाजार को खुशखबरी दे रहे हैं, लेकिन खुद किसानों को निराशा का सामना करना पड़ रहा है. जिस समय आप दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु के मॉल में मौजूद स्टोर से सेब ₹500 किलो खरीद रहे हैं, किसानों को उनके बागान में उसके लिए ₹70 प्रति किलो का भी भाव नहीं मिल रहा है.

बड़े शहरों में किन्नौर की अच्छी क्वालिटी का सेब ₹500 किलो तक बिक रहा है, जबकि इलाके के किसानों को ₹70 किलो देने में निजी कंपनियां और आढ़ती आनाकानी कर रहे हैं. किसानों के लिए सेब की खेती बहुत मेहनत का काम है और उन्हें इसकी फसल अच्छे दाम में बिकने की उम्मीद होती है.

राज्य की मंडियों में हर साल 15 अगस्त के बाद सेब के बाजार भाव अचानक गिरा दिए जाते हैं. अगस्त के दूसरे या तीसरे हफ्ते से ज्यादातर निजी घराने सेब की खरीद शुरू करते हैं. इस बार भी अगस्त के दूसरे सप्ताह के बाद सेब के भाव गिरने लगे हैं.

अगस्त के पहले हफ्ते में जहां सेब के भाव किसानों को 100 से ₹125 किलो तक मिल रहे थे, वहीं सितंबर के पहले हफ्ते में सेब के भाव ₹60-70 किलो पर आ गए हैं. किसानों की मांग है कि इलाके के बागवानों को सेब के दाम तय करने का कानूनी अधिकार मिलना चाहिए.

हिमाचल में पिछले साल 6.2 लाख मीट्रिक टन सेब उपज हुई, इसकी 3.5 करोड़ पेटियां आई थी. इस साल मौसम बेहतर रहने और किसानों द्वारा ओले से पेड़ की रक्षा सुनिश्चित करने की वजह से 50-60 लाख पेटियां ज्यादा आने की संभावना है. सेब की उपज का आंकड़ा 4 करोड़ के पार पहुंच सकता है. यह पिछले साल की तुलना में 10% ज्यादा है.

हिमाचल में सितंबर से सिर्फ रॉयल सेब के भाव गिरे हैं, क्योंकि इस सेब को निजी घराने और आढ़ती स्टोर कर रहे हैं. जिस वेरायटी का सेब स्टोर नहीं होता, उसके रेट आज भी बेहतर मिल रहे हैं. हिमचल के किसानों ने निजी घरानों और आढ़तियों पर सांठगांठ करके रेट गिराने का आरोप लगाया है.