ऑस्कर विनर (Oscar-winner ) मशहूर म्यूजिक कंपोजर और सिंगर एआर रहमान (AR Rahman) को आज किसी परिचय की जरूरत नहीं हैं. रहमान ने साउथ सिनेमा, बॉलीवुड और हॉलीवुड में अपने टैलेंट के दम पर पहचान बनाई है. लेकिन उनका बचपन बेहद मुश्किलों से गुजरा, जिस उम्र में बेटा बाप की उंगली पकड़कर समाज के बारे में जानना शुरू करता है, उस उम्र में एआर रहमान ने अपने पिता को खो दिया था. एआर रहमान महज 9 साल के थे, जब उनके पिता इस दुनिया को अलविदा कह गए. उनके पिता आरके शेखर (RK Shekhar) एक लोकप्रिय संगीतकार और संगीत संवाहक थे, जिन्होंने साउथ के कुछ प्रमुख संगीतकारों के साथ काम किया था.
एआर रहमान (AR Rahman) के सिर से पिता आरके शेखर (RK Shekhar) का साया छोटी सी उम्र में उठ गया, लेकिन संगीत की विरासत को बेटे को सौंप गए. हाल ही में म्यूजिक कंपोजर और सिंगर एआर रहमान ने अपने बचपन के उन कठिन दिनों को फिर से याद किया, जिसको भूल पाना उनके लिए बेहद कठिन है.
पिता के इलाज के लिए अस्पतालों में गुजरा बचपन
एआर रहमान ने यूट्यूब चैनल O2India earlier से बात की. इस दौरान उन्होंने अपने बचपन के दिनों को याद करते हुए अपने पिता की बीमारी और जीवन के मुश्किल दिनों को याद किया. उन्होंने कहा कि मेरा बचपन सामान्य नहीं था. मैं मुख्य रूप से अपने पिता के इलाज के लिए अस्पतालों में रहता था, मैं थोड़ा अकेला हो गया था. 11-12 साल की उम्र से मैंने काम करना शुरू कर गिया था.
9 साल की उम्र में एआर रहमान के सिर से पिता का साया उठ गया था.
‘बचपन में खेलने-कूदने को नहीं मिला’
बातचीत में उन्होंने आगे कहा कि मुझे बचपन में बाहर जाने या खेलने-कूदने का सौभाग्य नहीं मिल सका था. लेकिन, हां मेरे पास जो भी निजी समय था, जिसे मैं ज्यादातर संगीत के साथ बिताता था, जो एक तरह से मेरे लिए वरदान था.
1976 में अलविदा कह गए थे एआर रहनाम के पिता
उन्होंने ये भी खुलासा किया कि वो अपने पिता की बीमारी वाली बातों का याद न करें, लेकिन फिर कभी-कभी ये बातें उन्हें याद आ ही जाती हैं. एआर रहमान ने पुरानी बातों को याद करते हुए बताया कि एक बार उन्होंने स्कूल के बीच से घर वापस भेज दिया गया था. तब रहमान चौथी क्लास में पढ़ते थे. साल 1976 में उनके निधन तक उनके पापा लगभग 4 साल तक बीमार रहे.
एआर रहमान के पिता आरके शेखर लोकप्रिय संगीतकार और संगीत संवाहक थे.
आज भी आंखो के सामने आती है पिता के अंतिम संस्कार की तस्वीर
एआर रहमान को अपने पिता का अंतिम विदाई भी याद है. उन्होंने कहा कि मुझे आज भी याद है कि मैंने उनका अंतिम संस्कार किया था, मैं तब 9 साल का था. मेरे दिमाग से वो तस्वीर कभी नहीं जाती, वो यादें मुझे आज भी सताती है. लेकिन, ये मुझे जीवन को बेहतर ढंग से समझने में मदद करता है, क्योंकि यह सब मेरे जीवन के शुरुआती चरणों में हुआ था. इसने मुझे कुछ ऐसा दिया है, जो एक सामान्य बच्चे को कभी नहीं मिल सकता था.
पिता के निधन के बाद छोड़ना पड़ा था स्कूलपिता के निधन के बाद परिवार को चलाने की जिम्मेदारी रहमान के कंधों पर आ गई. परिवार के भरण-पोषण के लिए उन्होंने स्कूल जाना छोड़ दिया, जिससे फुल टाइम काम करके परिवार की मदद कर सके. उन्होंने अपने पिता के संगीत उपकरण को किराए पर देना शुरू किया और उनके पिता के लंबे समय के सहयोगी और दिवंगत संगीतकार एम. के. अर्जुनन ने रहमान को उनके संगीत करियर को आगे बढ़ाने में मदद की.
50 रुपये थी पहली पगार
50 रुपये उनकी पहली पगार थी. वह एक सेशन म्यूजिशियन और एक कीबोर्ड प्लेयर बन गए और धीरे-धीरे टेलीविजन विज्ञापनों के लिए जिंगल लिखकर आगे बढ़ते चले गए. एक-एक सीढ़ी चढ़ते हुए वह मंजिल की ओर बढ़ते गए और फिर पीछे मुडकर नहीं देखा