इजराइल चुनाव से पहले अरब पार्टियों में फूट, क्या भारत के ‘दोस्त’ नेतन्याहू फिर बनेंगे प्रधानमंत्री?

Israel Election: इजरायल में चार साल में पांचवां चुनाव होने वाला है। इजराइल के चुनाव में अरब अल्पसंख्यक हैं। लेकिन एकजुट होकर अपना वर्चस्व जामाने वाली अरब पार्टियों में फूट पड़ गई है। अरब गुटों से अलग होकर दो पार्टियां अलग चुनाव लड़ेंगी। माना जा रहा है कि इससे सबसे बड़ा फायदा पूर्व पीएम बेंजामिन नेतन्याहू को होगा।

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इजराइल चुनाव में अरब दलों का गठबंधन बंटा।

यरूशलम: इजरायल में चार साल से भी कम समय में होने वाले पांचवें चुनाव से पहले अरब पार्टियों के एक गुट में फूट पड़ गई है। इससे देश में अल्पसंख्यकों का राजनीतिक प्रभाव घटने और पूर्व प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को सत्ता में वापसी में मदद मिलने की अटकलें लगाई जा रही हैं। इजरायली मीडिया में बृहस्पतिवार को प्रकाशित खबरों के मुताबिक, राष्ट्रवादी बलाद पार्टी अरब गुट की संयुक्त सूची में शामिल दो अन्य पार्टियों से अलग चुनाव लड़ेगी और अगर वह पर्याप्त वोट हासिल नहीं कर पाती है तो संसद में नहीं पहुंच सकेगी।

खबरों के अनुसार, यह फूट चुनावों में इजरायल के अरब अल्पसंख्यकों के मतदान प्रतिशत को भी प्रभावित कर सकती है। इजरायल की आबादी में अरब अल्पसंख्यकों की हिस्सेदारी 20 फीसदी के करीब है। अरब दलों ने हाल के वर्षों में हुए चुनावों में सत्ता में लौटने की नेतन्याहू की उम्मीदों को धूमिल किया है। हालांकि, एक चौथी अरब पार्टी ‘इस्लामिस्ट राम’ पिछले साल अरब दलों की ‘संयुक्त सूची’ से अलग हो गई थी। वह इजरायल में किसी सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल होने वाली पहली अरब पार्टी भी बनी थी।

अरब लोगों के साथ होता है भेदभाव
इजरायल में बसे अरब नागरिकों के उसके कब्जे वाले वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी में रह रहे फलस्तीनियों के साथ घनिष्ठ पारिवारिक संबंध हैं। वे बड़े पैमाने पर उनकी मांगों का समर्थन भी करते हैं। इससे कई इजरायली यहूदियों द्वारा उन्हें संदेह की नजरों से देखा जाता है। अरब नागरिकों ने हाल के दशकों में चिकित्सा और अन्य क्षेत्रों में बड़ी उपलब्धि हासिल की है, लेकिन फिर भी उन्हें व्यापक पैमाने पर भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है।

पिछले चार चुनावों की तरह ही एक नवंबर को होने वाले चुनावों में भी भ्रष्टाचारों के आरोपों में मुकदमे का सामना कर रहे नेतन्याहू और उन्हें शासन के लिए उपयुक्त न मानने वाले विभिन्न राजनीतिक दलों के समूह के बीच सीधा मुकाबला होने की संभावना जताई जा रही है।