Assam: आज दुनिया गंभीरता से लेती है और कान खोलकर सुनती है…रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने बताई भारत की हैसियत

राजनाथ सिंह ने कहा, ‘हमारे प्रधानमंत्री के प्रयासों के कारण, आज हम केवल एक पर्यवेक्षक से एक मुखर बन गए हैं। भारतीय सेना का पूरे विश्व में सम्मान किया जाता है। हमारे मित्र विदेशी देश उन पर भरोसा है। यह एक प्रमुख कारण है कि भारत एक शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में उभरा है।

Indian Army personnel at Dinjan, Assam with Rajnath singh
राजनाथ सिंह सेना के जवानों के साथ

ईटानगर: रक्षामंत्री राजनाथ सिंह असम के दौरे पर हैं। यहां उन्होंने तेजपुर में सोलमारा सैन्य स्टेशन पर सेना के जवानों से बातचीत की और बड़ाखाना पर संबोधन किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि पहले भारत अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कुछ बोलता था तो लोग भारत की बातों को गंभीरतापूर्वक नहीं सुनते थे लेकिन आज भारत यदि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कुछ बोलता है तो लोग कान खोलकर सुनते हैं कि भारत क्या बोल रहा है। यह भारत की हैसियत बन गई है।

राजनाथ सिंह ने कहा कि जो भारत आज से 10-14 वर्ष पहले दुनिया के 12 आर्थिक दृष्टि से ताकतवर देशों में आता था आज वो भारत दुनिया के 5 आर्थिक दृष्टि से ताकतवर देशों में आ गया है। उन्होंने सेना से जवानों से कहा कि देश का भरोसा और देश का ताकत आप ही हैं

‘सैन्य शक्ति मजबूत करना सर्वोच्च प्राथमिकता’
रक्षामंत्री ने कहा कि दुनिया के कई देशों में जाने का अवसर मिला है, पहले भी जाता था लेकिन अब लोगों के हावभाव बदल गए हैं। समय-समय पर शौर्य और पराक्रम दिखाने के चलते ऐसा हुआ है। उन्होंने कहा, ‘2014 से सत्ता में आने के बाद से भारत की सैन्य शक्ति को मजबूत करना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता रही है, जिसमें आत्मनिर्भर रक्षा उद्योग के माध्यम से सेवाओं को अत्याधुनिक हथियारों, उपकरणों से लैस करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।’

‘दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था’
राजनाथ सिंह ने कहा, ‘हमारे प्रधानमंत्री के प्रयासों के कारण, आज हम केवल एक पर्यवेक्षक से एक मुखर बन गए हैं। भारतीय सेना का पूरे विश्व में सम्मान किया जाता है। हमारे मित्र विदेशी देश उन पर भरोसा है। यह एक प्रमुख कारण है कि भारत एक शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में उभरा है। आज, हम दृढ़ता से आगे बढ़ते हुए दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं।’

रक्षामंत्री के साथ सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे, पूर्वी कमान के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल आर पी कलिता और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी थे। दिबांग घाटी में उन्होंने गोरखा राइफल्स के जवानों, सिख रेजिमेंट, अरुणाचल स्काउट्स, आईटीबीपी जवानों और सीमा सड़क संगठन के कर्मचारियों के साथ बातचीत की।