विधानसभा बजट सत्र: फसल बीमा योजनाओं के नाम पर किसानों से धोखाधड़ी, सदन में गूंजा मामला

बीमा कंपनियों की धोखाधड़ी के मामले पर किन्नौर के कांग्रेस विधायक जगत सिंह, जुब्बल-कोटखाई के विधायक रोहित ठाकुर, रोहड़ू के विधायक मोहन लाल और रामपुर के विधायक नंद लाल ने सत्तारूढ़ भाजपा पर तीखे निशाने साधे। नयना देवी के विधायक राम लाल ठाकुर ने भी फसलों को सही मुआवजा नहीं देने का मामला उठाया।

हिमाचल प्रदेश विधानसभा में गुरुवार को प्रश्नकाल के बाद गैर सरकारी सदस्य कार्य दिवस के उपलक्ष्य पर बीमा कंपनियों की धोखाधड़ी का मामला प्रमुखता से उठा। किन्नौर के कांग्रेस विधायक जगत सिंह, जुब्बल-कोटखाई के विधायक रोहित ठाकुर, रोहड़ू के विधायक मोहन लाल और रामपुर के विधायक नंद लाल ने सत्तारूढ़ भाजपा पर तीखे निशाने साधे। नयना देवी के विधायक राम लाल ठाकुर ने भी फसलों को सही मुआवजा नहीं देने का मामला उठाया। सेब के पेड़ों को बर्फ गिरने से बहुत नुकसान हुआ है। टीम एक साल बाद आकर अगर रिपोर्ट दिल्ली में बना रही है तो ये सही नहीं है। इन विधायकों ने राहत मैनुअल को संशोधित करने का मामला भी उठाया। प्राकृतिक आपदा से मकानों को होने वाले नुकसान पर राहत राशि को डेढ़ लाख से बढ़ाकर पांच लाख करने की बात की। सदन में पिछली बार गैर सरकारी सदस्य दिवस पर माकपा विधायक राकेश सिंघा के लाए गए संकल्प प्रस्ताव पर चर्चा को जारी रखा।

इस पर गुरुवार को भी गैर सरकारी सदस्य दिवस पर चर्चा को आगे बढ़ाया।  किन्नौर के कांग्रेस विधायक जगत सिंह नेगी ने कहा कि राहत मैनुअल बाबा आदम के जमाने का है। बीमा योजनाओं का पैसा बीमा कंपनियों की जेब में जा रहा है। धरातल पर न तो कोई कार्यप्रणाली है और न मौसम स्टेशन हैं। जब तक जमीन पर ठीक से मूल्यांकन नहीं होगा तो बीमा के नाम पर धोखाधड़ी रुकने वाली नहीं है। किसानों का प्रीमियम के रूप में बहुत पैसा चला गया है, उस हिसाब से उन्हें राहत नहीं मिल रही है। कांग्रेस के कार्यकाल में किन्नौर में सेब का नुकसान हुआ था। तब हिंदुस्तान में सबसे बढ़िया राहत दी गई। तब हिमाचल और केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी। उन्होंने कहा कि आपदा प्रबंधन का पैसा किसानों को राहत देने पर खर्च किया जाता है। राजस्व विभाग ने सर्वे किया। एक साल हो गया। एक पैसा नहीं मिला। डबल इंजन की सरकार की एक टीम दिल्ली से आई। टीम की खातिरदारी हुई। एक साल के बाद अगर राहत दे रहे हैं, ये कोई राहत नहीं है।

 मकान बनाने के लिए वाजिब पैसा दिया जाए। डेढ़ लाख रुपये में तो एक शौचालय भी नहीं बनता है।

मंत्री सुन नहीं रहे, इनके तीन कान है क्या
जब विधायक जगत सिंह नेगी अपनी बात रख रहे थे, उस वक्त राजस्व मंत्री महेंद्र सिंह ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी से बातचीत कर रहे थे। चौधरी उनकी बगल में बैठ गए थे। उन्होंने तंज किया कि मंत्री गप्पें मार रहे हैं, ये सुनेंगे नहीं। जवाब इनका पहले से ही तैयार है। इस पर जब स्पीकर बोले कि ये सुन रहे हैं। इस पर जगत सिंह बोले- इनके तीन कान हैं क्या? न प्रदेश में खाद है न कुछ और है। हिमाचल के किसानों ने जीडीपी बढ़ाने में बहुत योगदान दिया है। यहां ये ऐसा कहते भी हैं। पर आप किसानों को क्या देते हैं। 

आज सरकार खुश भी बहुत है, जरूर किसानों के लिए सरकार कुछ करे : रोहित
जुब्बल-कोटखाई के कांग्रेस विधायक रोहित ठाकुर ने भी सवाल उठाया कि प्रीमियम ज्यादा दे रहे हैं और राहत कम दी जा रही है। किसानों के लिए सम्मानजनक बढ़ोतरी होनी चाहिए। मकान बनाने के लिए डेढ़ लाख की मदद को बढ़ाकर पांच लाख किया जाए। चुनावी नतीजों की ओर इशारा कर उन्होंने कहा कि आज सरकार खुश भी बहुत है। जरूर किसानों के लिए सरकार कुछ करे।

खाद या तो मिलती नहीं है या फिर महंगी
 कांग्रेस विधायक मोहन लाल ब्राक्टा ने कहा कि किसानों के लिए राहत मैनुअल को संशोधित किया जाए। खाद या तो मिलती नहीं है या फिर ये महंगी है। किसानों को दवाएं बहुत महंगी मिल रही हैं। आवास के लिए भी पर्याप्त पैसा नहीं मिल रहा है।

केवल एजेंटों की जेब में ही न जाए बीमा का पैसा : नंदलाल
रामपुर के कांग्रेस विधायक नंद लाल ने कहा कि बीमा का पैसा केवल एजेंटों की जेब में न जाए। उनके क्षेत्र ननखड़ी में सेब के पेड़ टूटे हैं, इन पर वाजिब मदद नहीं मिली। मकान बनाने की राहत के लिए पांच लाख रुपये से ऊपर के जाएं।

प्रीमियम के बराबर भी नहीं मिल रहा बागवानों को मुआवजा, केंद्र से पूछा ये कैसी योजना: महेंद्र सिंह

बागवानी मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर
विधायकों की बात से सहमति दर्ज करते हुए बागवानी मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर ने कहा कि विधायकों की ओर से एक विशेष बात आई है कि मौसम आधारित योजना का किसानों को लाभ नहीं मिल रहा है। दिवंगत विधायक नरेंद्र बरागटा ने भी यह प्रश्न लगाया था। विधायक जगत सिंह नेगी ने सही कहा कि मौसम आधारित फसल बीमा योजना में किसानों को प्रीमियम के बराबर भी मुआवजा नहीं मिल रहा है। इस पर उन्होंने अध्ययन किया है। भारत सरकार को भी कहा है कि ये कैसी योजना है, इसका कैसे किसानों को लाभ होगा। सितंबर के महीने में बारिश की वजह से नुकसान हुआ है।

महेंद्र सिंह ने कहा कि प्रदेश कृषि प्रधान है। मौसम की बेरुखी से नुकसान हो रहा है। मंत्री ने कहा कि लगभग एक साल में प्रदेश में मौसम की बेरुखी से 1,824 करोड का नुकसान हुआ है। केंद्रीय दल ने भी मुआयना किया है। लोगों के घरों को भी नुकसान होता है। 48 करोड़ रुपये कृषि और 30 करोड़ रुपये का बागवानी को नुकसान हुआ है। राहत मैनुअल को भारत सरकार की ओर से तय किया जाता है। इस बारे में केंद्र से बढ़ोतरी की मांग की गई है। उन्होंने बढ़ोतरी के सभी प्रस्ताव भी सदन में स्पष्ट किए। मंत्री बोले कि वे खुद बागवान हैं। मेरा भी नुकसान हुआ है। बर्फ से एंटी हेलनेट टेढ़े हो गए। विधायक राकेश सिंघा इस प्रस्ताव को वापस लें।

राकेश सिंघा ने ये कहा
माकपा विधायक राकेश सिंघा बोले – ये प्रस्ताव केवल एकेडमिक चर्चा के लिए नहीं लाया। केंद्र को बताएं कि हम भी देश का हिस्सा हैं। राहत मैनुअल को संशोधित करें। हिमाचल सरकार इस बारे में संशोधन से अवगत करवाएं। मंत्री आश्वस्त करेंगे तो वापस लूंगा। मेरे पास कोई चारा नहीं है। विरोध को वापस लेता हूं।