जवाहिरी ने ओसामा बिन लादेन के साथ मिलकर अमेरिका में 11 सितंबर 2001 को हुए हमले की साजिश रची थी। काबुल में हुए इस हमले के बाद यह कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या जवाहिरी पर हमले के लिये सीआईए ने पाकिस्तानी हवाईक्षेत्र का इस्तेमाल किया। दरअसल, यह हमला वॉशिंगटन में अमेरिका के टॉप सैन्य अधिकारी से पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बावजा की मुलाकात के तीन दिन बाद किया गया था।
जनरल बाजवा के अमेरिका दौरे के तीसरे दिन ही हुआ हमला
जवाहिरी ने ओसामा बिन लादेन के साथ मिलकर अमेरिका में 11 सितंबर 2001 को हुए हमले की साजिश रची थी। काबुल में हुए इस हमले के बाद यह कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या जवाहिरी पर हमले के लिये सीआईए ने पाकिस्तानी हवाईक्षेत्र का इस्तेमाल किया। दरअसल, यह हमला वॉशिंगटन में अमेरिका के टॉप सैन्य अधिकारी से पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बावजा की मुलाकात के तीन दिन बाद किया गया था। वो आर्थिक तंगी से जूझ रहे पाकिस्तान को आईएमएफ की आर्थिक मदद दिलाने के लिए अमेरिका गए हुए थे।
इमरान की पार्टी ने पाकिस्तानी एयरस्पेस के इस्तेमाल पर पूछा सवाल
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी की वरिष्ठ नेता शिरीन मजारी ने एक ट्वीट में कहा, “अमेरिकी ड्रोन खाड़ी क्षेत्र की दिशा से अफगानिस्तान में उड़ा- मानते हुए कि पाकिस्तान ने अपने अड्डों के इस्तेमाल की इजाजत अभी नहीं दी है (बशर्ते इस सरकार ने गुपचुप तरीके से ऐसा न किया हो)- लेकिन किस देश के हवाई क्षेत्र के ऊपर से उड़ान भरी। ईरान ने अपना हवाईक्षेत्र का अधिकार अमेरिकी सेना को नहीं दिया तो क्या पाकिस्तान के हवाईक्षेत्र का इस्तेमाल किया गया?”
अमेरिकी ड्रोन ने किर्गिस्तान से भरी थी उड़ान
मजारी का यह ट्वीट उन खबरों के बाद आया जिनमें कहा गया था कि जवाहिरी को मार गिराने वाले ड्रोन ने संभवत: किर्गिस्तान के सैन्य हवाईअड्डे से उड़ान भरी थी। खबरों में दावा किया गया है कि हमला उत्तरी किर्गिस्तान के मानस में एक अमेरिकी पारगमन सुविधा गैंसी एयरबेस से किया गया था। गैंसी किर्गिस्तान में बिश्केक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास एक पूर्व अमेरिकी सैन्य अड्डा है। इसे अमेरिकी वायु सेना द्वारा संचालित किया जाता था लेकिन जून 2014 में इसे किर्गिस्तान की सेना को सौंप दिया था। बाइडन प्रशासन हालांकि अब भी इस बात का खुलासा नहीं कर रहा कि ड्रोन ने कहां से उड़ान भरी और इसने कौन सा मार्ग लिया था।
अमेरिका बोला- तालिबान के मेहमान के तौर पर रह रहा था जवाहिरी
अमेरिकी रक्षा विभाग ने केवल एक संक्षिप्त बयान जारी किया, जिसमें कहा गया था: “जवाहिरी को काबुल शहर में एक अभियान में मारा गया था, जहां वह तालिबान के अतिथि के रूप में रह रहा था। रविवार को स्थानीय समयानुसार सुबह छह बजकर 18 मिनट पर एक सटीक, आतंकवाद विरोधी अभियान में दो हेलफायर मिसाइलों से घर पर हमला किया गया था।
पाकिस्तानी एयरस्पेस के इस्तेमाल की संभावना अधिक
वॉशिंगटन के विल्सन सेंटर में दक्षिण एशियाई मामलों के विशेषज्ञ माइकल कुगेलमन ने कहा कि ड्रोन हमलों पर अमेरिका में “पाकिस्तान की संभावित भूमिका” को लेकर काफी चर्चा हो रही है। उन्होंने ट्वीट किया, “जवाहिरी पर हमले में पाकिस्तान की संभावित भूमिका को लेकर काफी चर्चा हो रही है। मैं इसे बढ़ा-चढ़ाकर नहीं कहूंगा, लेकिन पाकिस्तानी अधिकारियों के इस दावे कि इसमें उनकी कोई भूमिका नहीं है से मैं पूरी तरह सहमत नहीं हूं। उन्होंने कहा, “भूगोल झूठ नहीं बोलता। अगर यह ड्रोन खाड़ी में अमेरिकी अड्डे से भेजा जाता, तो यह ईरान के ऊपर से उड़ान नहीं भर पाता। यदि आप तेजी से ऑपरेशन कर रहे हैं तो मध्य एशिया के ऊपर से उड़ान भरना कठिन है। ऐसे में पाकिस्तानी हवाई क्षेत्र सबसे वांछनीय विकल्प के रूप में बचता है।”