मंदिर ट्रस्ट से जुड़े हुए एक वरिष्ठ सदस्य का कहना है कि बुधवार को मंदिर का शिलालेख भी एक विशेष मुहूर्त में ही किया गया है। वह कहते हैं कि जेष्ठ शुक्ल की द्वितीया तिथि को मृगशिरा नक्षत्र के साथ दुर्लभ संधि व सर्वसिद्धि योग बना था। उसी योग के दौरान ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंदिर में शिलालेख रखा…
अयोध्या में बनने वाले भव्य राम मंदिर का सूरज के साथ ऐसा नाता जुड़ने जा रहा है, जो पूरी दुनिया के राम भक्तों को ताउम्र जोड़े रखेगा। दरअसल बुधवार को अयोध्या में बन रहे राम मंदिर के गर्भ गृह की उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आधारशिला रखी, तो पूरी दुनिया की निगाहें इस ओर लग गई हैं कि राम मंदिर में दर्शन कब से शुरू होंगे। मंदिर निर्माण से जुड़े जिम्मेदारों के मुताबिक अगले साल यानी 2023 के नवंबर तक मंदिर का निर्माण हो जाएगा। योजना के मुताबिक दर्शन तो दिसंबर से ही होने हैं लेकिन राम मंदिर में रामलला की स्थापना का जो संयोग बन रहा है, वह सूरज के उत्तरायण में आने से ही पूरा होगा। ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि अयोध्या में बनने वाले भव्य राम मंदिर के गर्भ गृह में रामलला की स्थापना का मुहूर्त फिलहाल 14 जनवरी को माना जा रहा है। 14 जनवरी को सूर्य उत्तरायण में आएंगे और उसी के साथ पूरी दुनिया के लिए अयोध्या में बनने वाले भव्य राम मंदिर में रामलला के दर्शन शुरू होने का अनुमान है।
अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर के निर्माण से जुड़े प्रबंधन समिति के एक वरिष्ठ सदस्य बताते हैं कि बुधवार को शुभ मुहूर्त के बीच योगी आदित्यनाथ और तमाम अन्य विशिष्ट जनों की मौजूदगी में राम मंदिर के गर्भ गृह का शिलालेख रखा गया। यानी पूरे मंदिर परिसर में जिस जगह पर रामलला विराजमान होंगे, उस मंदिर के गर्भगृह का निर्माण आज से शुरू हो गया। योजना के अनुरूप इस गर्भगृह के साथ-साथ मंदिर के फर्स्ट फ्लोर का निर्माण अगले 16 महीनों में पूरा हो जाएगा। अभी तक की तय योजना के मुताबिक गर्भगृह के निर्माण के साथ-साथ मंदिर की पहली मंजिल पर बनने वाले अन्य निर्माणाधीन मंदिर परिसर को नवंबर 2023 पूरा किया जाना है। ताकि मंदिर में रामलला को विराजमान करके दुनिया भर के दर्शनार्थियों के लिए कपाट खोल दिए जाएं।
हालांकि सूत्रों के मुताबिक मंदिर का निर्माण करने वाली कार्यदायी संस्था इस कार्य को तय वक्त से तकरीबन दो महीना पहले ही पूरा करने की कोशिश में लगी हुई है। ऐसे में अनुमान है कि गर्भगृह और मंदिर परिसर को तय वक्त से पहले बना लिया जाएगा, लेकिन देश और दुनिया भर के लोगों के लिए मंदिर दर्शन के लिए कब खोला जाएगा, इसे लेकर जरूर अभी कई दौर की वार्ता होनी है।
राम मंदिर निर्माण कमेटी से जुड़े एक अहम सदस्य बताते हैं कि कोशिश तो यही है कि पूरे मंदिर के निर्माण के साथ ही भक्तों के लिए रामलला के दर्शन शुरू करा दिया जाए। हालांकि उनका कहना है कि अगर मंदिर का निर्माण उस दौरान पूरा होता है, जब सूर्य दक्षिणायन में होंगे, तो संभव है कि रामलला को गर्भ गृह में विराजित न किया जाए। इसके लिए सूर्य के उत्तरायण होने का इंतजार किया जा सकता है। 14 जनवरी 2024 को जैसे ही सूर्य उत्तरायण में आएंगे, तभी शुभ मुहूर्त देखकर रामलला को गर्भगृह में विराजित कर देश और दुनिया के भक्तों के लिए मंदिर के कपाट खोल दिए जाएंगे। हालांकि कमेटी से जुड़े उक्त वरिष्ठ सदस्य का कहना है कि यह तभी होगा जब मंदिर का निर्माण सूर्य के दक्षिणायन होने के दौरान पूरा हो। अगर ऐसी परिस्थितियां नहीं बनती हैं तो तय योजना के मुताबिक ही 2023 के अंत से पहले ही रामलला के दर्शन शुरू हो जाएंगे।
विशेष मुहूर्त में शिलालेख
मंदिर ट्रस्ट से जुड़े हुए एक वरिष्ठ सदस्य का कहना है कि बुधवार को मंदिर का शिलालेख भी एक विशेष मुहूर्त में ही किया गया है। वह कहते हैं कि जेष्ठ शुक्ल की द्वितीया तिथि को मृगशिरा नक्षत्र के साथ दुर्लभ संधि व सर्वसिद्धि योग बना था। उसी योग के दौरान ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंदिर में शिलालेख रखा। जिसके साथ ही भगवान राम के गर्भगृह के निर्माण का कार्य भी शुरू हो गया। मंदिर निर्माण कमेटी से जुड़े एक वरिष्ठ सदस्य बताते हैं कि भगवान राम के मंदिर के निर्माण में तिथियों और नक्षत्रों के साथ शुभ मुहूर्त का ध्यान रखा जा रहा है। यही वजह है कि रामलला के दर्शन और उनके गर्भगृह के कपाट खुलने के दौरान भी इसका पूरा विशेष ध्यान रखा जाएगा।मंदिर निर्माण से जुड़े कमेटी के सदस्य बताते हैं कि रामलला जिस गर्भगृह की कोठरी में विराजित होंगे वह 403 वर्ग फुट का होगा। रामलला के विराजित गर्भगृह का साइज 20X20 फुट रखा गया है। राम मंदिर का बनाया जाने वाला चबूतरा 21 फिट का बनाया जा रहा है। जिसमें तकरीबन चार फुट की पटाई के साथ तकरीबन 17 फुट की प्लिंथ बचेगी। उसी के ऊपर भव्य मंदिर का निर्माण होना शुरू हो रहा है। योजना के मुताबिक चबूतरा मकराना के संगमरमर से तैयार किया जा रहा है। चबूतरे पर बीच-बीच में पिलर और दीवारों के लिए जगह छोड़ी जा रही है। यह पिलर और दीवारें 1990 में तराशे गए पत्थर जो कि बंसीपहाड़पुर के पत्थर हैं, उनसे बनाई जाएंगी। क्योंकि 1990 में जो पत्थर तराशे गए थे उनकी संख्या मंदिर परिसर के मुताबिक ही है। चूंकि अब मंदिर के परिसर का विस्तार हुआ है ऐसे में उसकी संख्या बढ़ाई जा रही है।