समय के साथ भारत अपनी कुरीतियों को पीछे छोड़ रहा है. इसमें से एक है बेटियों को लेकर हमारी सामाजिक सोच. कभी बेटी को पराया धन और बोझ जैसे शब्दों से सम्बोधित करने वाला हमारा देश अब इनके कन्धों में बड़ी ज़िम्मेदारियां देने में समर्थ हो रहा है.
इस कड़ी में एक डॉक्टर का नाम लेने की भी ज़रूरत है, जो बेटी के पैदा होने पर एक रुपये भी नहीं लेती. ये डॉक्टर उन कई डॉक्टर्स की तरह मिसाल हैं, जो समाज सेवा में बिना किसी लोभ के लगे हुए हैं. डॉक्टर का नाम है शिप्रा धर, बनारस में रहती हैं. बेटी के जन्म लेने पर शिप्रा एक रुपये नहीं लेती और अपनी तरफ़ से मिठाई भी बांटती हैं.
शिप्रा धर के नर्सिंग होम में जब भी किसी कपल का बच्चा ‘लड़की’ होती है, तो वो उनसे इसके पैसे चार्ज नहीं करती हैं. इसके साथ ही वो पूरे नर्सिंग होम में मिठाई बंटवाती हैं. बच्ची के परिवार के साथ ख़ुशी बांटने का ये उनका तरीका है. इस नेक काम में उनका साथ उनके पति, एम.के. श्रीवास्तव भी देते हैं.
डॉ. शिप्रा ने BHU से ही MBBS और MD किया है और कई वर्षों से यहीं प्रैक्टिस कर रही हैं. रिपोर्ट्स के हिसाब से, उनके हाथों अभी तक 100 बच्चियों का जन्म हो चुका है. ये सभी डिलीवरी उन्होंने मुफ़्त में की हैं. शिप्रा के इस नेक काम की ख़बर प्रधानमंत्री मोदी को भी मिली और उन्हें शाबाशी देने के लिए वो उनसे मिल भी चुके हैं. उनके काम को सराहते हुए उन्होंने कहा कि शिप्रा की तरह सभी डॉक्टर्स को एक दिन फ़्री डिलीवरी करनी चाहिए.
इसके अलावा शिप्रा धर, कुपोषण से जूझ रहे बच्चों के लिए अनाज बैंक भी चलाती हैं. त्यौहार के समय गरीब बच्चों के लिए नए कपड़े, मिठाइयां और लड़कियों की शिक्षा पर भी काम करती हैं डॉ. धर. ऐसे डॉक्टर की ज़रूरत हर समाज को है. इस निःस्वार्थ सेवा के लिए शिप्रा जी को सलाम!