Bank Frauds in India : आरबीआई (RBI) के इन आंकड़ों के अनुसार, सरकारी बैंकों में फ्रॉड के मामलों की राशि लगातार घट रही है। वित्त वर्ष 2017-18 में 28,884 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी हुई थी। यह वि़त्त वर्ष 2018-19 में यह घटकर 26,720 करोड़ रुपये रह गई। वित्त वर्ष 2018 से 2022 के दौरान सरकारी बैकों में धोखाधड़ी की बात करें, तो वित्त वर्ष 2020 में सबसे अधिक मामले दर्ज हुए हैं।
लगातार घट रही धोखाधड़ी की राशि
वित्त राज्य मंत्री भागवत कराड (Bhagwat Karad) ने एक लिखित जवाब में बैंक फ्रॉड के आंकड़ों की जानकारी दी है। आरबीआई (RBI) के इन आंकड़ों के अनुसार, सरकारी बैंकों में फ्रॉड के मामलों की राशि लगातार घट रही है। वित्त वर्ष 2017-18 में 28,884 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी हुई थी। यह वि़त्त वर्ष 2018-19 में यह घटकर 26,720 करोड़ रुपये रह गई। वित्त वर्ष 2019-20 में इसमें और गिरावट आई। इस दौरान 21,170 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी हुई। इसके अगले वित्त वर्ष यानी 2020-21 में धोखाधड़ी की राशि काफी घट गई। इस दौरान 7,306 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी हुई। वित्त वर्ष 2021-22 यह राशि आधी घटकर 3,204 करोड़ रुपये रह गई।
अगर हम वित्त वर्ष 2018 से 2022 के दौरान सरकारी बैकों में धोखाधड़ी की बात करें, तो वित्त वर्ष 2020 में सबसे अधिक मामले दर्ज हुए हैं। भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2017-18 में धोखाधड़ी के 5,624 मामले सामने आए। वि़त्त वर्ष 2018-19 में 9,092 मामले सामने आए। वित्त वर्ष 2019-20 में 11,074 मामले सामने आए। इसके अगले वित्त वर्ष यानी 2020-21 में 4,680 मामले सामने आए। वहीं, वित्त वर्ष 2021-22 में धोखाधड़ी के मामलों की संख्या आधी घटकर 2,369 रह गई।
फ्रॉड रोकने के लिए उठाए गए कदम
भागवत कराड ने कहा कि बैंकिंग धोखाधड़ी से निपटने के लिए व्यापक कदम उठाए गए हैं। इनमें ऑनलाइन सर्चेबल डेटाबेस तैयार करना भी शामिल है। जिससे मामलों की समय पर पहचान हो, नियंत्रण रहे और धोखाधड़ी जोखिम को कम किया जा सका है। साथ ही कर्ज देने की प्रक्रिया में भी काफी जांच-पड़ताल की जा रही है। उन्होंने कहा, “सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को अधिकारियों / कर्मचारियों के रोटेशनल ट्रांसफर को सख्ती से सुनिश्चित करने की सलाह दी गई है।”