उत्तर प्रदेश के बरेली में पत्नी से झगड़ा एक पति को भारी पड़ गया। पति को टीचर की नौकरी गंवानी पड़ी। मामले की शिकायत आरोपी वीरपाल की पत्नी मीना मौर्य ने सीएम पोर्टल पर की थी। इसके बाद इसकी जांच शुरू की गई। जागृति नगर, करगैना निवासी वीरपाल ने करीब 10 साल पहले तत्कालीन तहसीलदार सदर से अनुसूचित जाति (धनगर) प्रमाण पत्र संख्या 20411401136 प्राप्त कर लिया।
अफसरों ने कमेटी बनाकर जांच कराई
मामले की शिकायत आरोपी वीरपाल की पत्नी मीना मौर्य ने सीएम पोर्टल पर की थी। इसके बाद इसकी जांच शुरू की गई। जागृति नगर, करगैना निवासी वीरपाल ने करीब 10 साल पहले तत्कालीन तहसीलदार सदर से अनुसूचित जाति (धनगर) प्रमाण पत्र संख्या 20411401136 प्राप्त कर लिया। वीरपाल मूल रूप से लोहापट्टी भोलानाथ, तहसील मिलक, जिला रामपुर, निवासी था। बताया जाता है कि बरेली तहसील से अनुसूचित का प्रमाण पत्र प्राप्त करने के बाद उसने बेसिक शिक्षा विभाग पीलीभीत में अध्यापक की नौकरी प्राप्त कर ली। बताया जाता है कि इसी दौरान पत्नी से संबंध खराब हो गए, जिसके चलते पत्नी ने फर्जी प्रमाण पत्र की शिकायत शासन स्तर पर कर दी।
फर्जी मिलने पर निरस्त हुआ प्रमाण पत्र
सदर तहसीलदार बरेली अनिल कुमार ने बताया कि पिछले कई माह से इसकी शिकायत इधर-उधर घूम रही थी। बाद में संबंधित तहसील या यानी तहसील सदर बरेली सत्यापन के लिए पहुंच गई। उन्होंने जिला स्तर पर गठित सत्यापन समिति से जांच कराई। समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र गलत है, क्योंकि वीरपाल मूलरूप से रामपुर निवासी होने के साथ-साथ गडरिया जाति से ताल्लुक रखता है, जोकि अनुसूचित जाति श्रेणी में नहीं है। धनगर जाति आसपास कहीं नहीं पाई जाती है। रिपोर्ट मिलते ही तहसीलदार सदर अनिल कुमार ने अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र निरस्त कर दिया।
बीएसए करेंगे विधिक कार्रवाई
सदर तहसीलदार बरेली अनिल कुमार ने अपने आदेश में कहा है कि यदि वीरपाल द्वारा इस अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र का किसी लाभ/योजना के लिए प्रयोग में लाया जाता है तो उसकी पूर्ण जिम्मेदारी स्वयं की होगी। बेसिक शिक्षा अधिकारी पीलीभीत अमित कुमार सिंह ने बताया कि फर्जी प्रमाण पत्र फार्म नौकरी करने वाला वीरपाल पर सुसंगत धाराओं में विधिक कार्रवाई की जाएगी।