Basant Panchami: बाबा बैद्यनाथ की नगरी में तिलकोत्सव के लिए उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़, जानिए क्या हैं सदियों पुरानी परंपरा

बसंत पंचमी के मौके पर झारखंड में देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथधाम मंदिर में आस्था का जनसैलाब उमड़ पड़ा। बसंत पंचमी के दिन मिथिलांचल से बड़ी संख्या में श्रद्धालु विशेष कांवर लेकर बाबानगरी पहुंचते है। इन तिलकहरुए श्रद्धालुओं की ओर से बाबा भोलेनाथ पर जलाभिषेक के साथ तिलकोत्सव मनाया जाता है।

  • शिव विवाह में शामिल होने का संकल्प

    शिव विवाह में शामिल होने का संकल्प

    देवघर के बाबा बैद्यनाथ मंदिर में हर साल की तरह इस बार भी तिलक का यह रस्म अदा करने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु आकर्षक कांवर के साथ पहुंचे थे। श्रद्धालुओं ने बाबा का तिलकोत्सव कर एक-दूसरे को बधाई दी। तिलकोत्सव में आए श्रद्धालु शिवरात्रि के अवसर पर शिव विवाह में शामिल होने का संकल्प लेकर वापस लौटते है।

     

  • तिलकहरुए श्रद्धालुओं का विशेष कांवर से पटा बाबा मंदिर

    तिलकहरुए श्रद्धालुओं का विशेष कांवर से पटा बाबा मंदिर

    बसंत पंचमी के मौके पर तिलकहरुए श्रद्धालुओं के विशेष कांवर से बाबा बैद्यनाथ मंदिर पूरी तरह से पटा नजर आए। श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के कारण मंदिर परिसर में पांव रखने के लिए जगह मिलना मुश्किल नजर आए। बाबा बैद्यनाथ मंदिर प्रांगण का विहंगम दृश्य अपने आप में श्रद्धा का समागम है।

     

  • सुबह से ही श्रद्धालुओं की उमड़ने लगी थी भीड़

    सुबह से ही श्रद्धालुओं की उमड़ने लगी थी भीड़

    बाबा बैद्यनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना और जलाभिषेक के लिए सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ जुटने लगी थी। बसंत पंचमी के दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु तिलकोत्सव के लिए मिथिलांचल से देवघर आते है। विशेष प्रकार के कांवर वेशभूषा से बाबा बैद्यनाथ मंदिर

     

  • मिथिला में आज से होली की होती है शुरुआत

    मिथिला में आज से होली की होती है शुरुआत

    बसंत पंचमी के मौके पर बाबा भोलेनाथ के तिलकोत्सव के साथ ही मिथिलांचल में होली की शुरुआत हो जाती है। बाबा भोलेनाथ पर तिलक चढ़ाने के बाद लोग एक-दूसरे को अबीर लेकर बधाई देते है। मंदिर में मां सरस्वती की भी मूर्ति है, जहां श्रद्धालु पूजा अर्चना करते है।

  • तिलक चढ़ाने की अति प्राचीन परंपरा

    तिलक चढ़ाने की अति प्राचीन परंपरा

    मिथिलांचल के श्रद्धालुओं की ओर से बाबा भोलेनाथ को तिलक चढ़ाने की परंपरा अति प्राचीन रही है। इसे लोग आज भी निभाते आ रहे है। तीर्थ पुरोहितों के अनुसार बसंत पंचमी के अवसर पर सुल्तानगंज स्थित उत्तरवाहिनी गंगा से एक विशेष तरह के कांवर में जलभर कर श्रद्धालु बाबा नगरी पहुंचते है। श्रद्धालु बाबा को हिमालय पुत्री मां पार्वती के विवाह में शामिल होने का निमंत्रण देकर वापस लौट जाते हैं।

     

  • कांवर से पटा बाबा मंदिर

    कांवर से पटा बाबा मंदिर

    कांवर से पटा बाबा मंदिर