हमीरपुर, 19 सितंबर: भोरंज विधानसभा क्षेत्र में आगामी चुनावों से पूर्व बीजेपी के टिकट को लेकर घमासान है। भाजपा का गढ़ माने जाने वाले भोरंज विधानसभा में 34 सालों बाद पार्टी गुटों में बंटी नजर आ रही है। भोरंज में पूर्व विधायक डॉ. अनिल धीमान पहले ही चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके हैं। उनके इस फैसले के बाद से ही वर्तमान विधायक कमलेश कुमारी के साथ टकराव की स्थिति बन रही है। जैसे ही विधानसभा चुनावों का समय नजदीक आ रहा है, पूर्व विधायक ने भी सक्रियता बढ़ा दी है।
बीजेपी हाई कमान की परेशानियां बढ़ने लगी हैं। पूर्व विधायक डॉ. अनिल धीमान लगातार लोगों से संपर्क कर रहे हैं। खास बात यह भी है कि विधायक कमलेश कुमारी की कार्यशैली से जनता व कार्यकर्ता कुछ खास प्रभावित नजर नहीं आ रहे हैं। इस कारण अधिकतर कार्यकर्ता एवं पदाधिकारी पूर्व विधायक के पक्ष में खुलकर सामने आने लगे हैं।
बीजेपी की हालत ऐसी हो गई है कि अगर पूर्व विधायक को टिकट देती है तो विधायक कमलेश कुमारी का गुट विरोध करेगा और यदि कमलेश कुमारी को फिर टिकट मिलता है तो कार्यकर्ताओं के लगातार बढ़ते दबाव के कारण अनिल को चुनावी मैदान में उतरने के समीकरण बनते नजर आ रहे हैं। जिससे अब टिकट को लेकर भोरंज में घमासान मचना भी लाजमी है।
भोरंज में कांग्रेस की हालत भी कुछ खास नहीं है। यहां कांग्रेस में टिकट के दावेदारों की फेहरिस्त बहुत लम्बी हो चुकी है। कांग्रेस का हर नेता खुद को टिकट का दावेदार बता रहा है और अपनी किसी न किसी बड़े नेता से पहचान साबित करने में जुटा है। यदि इस बार भी कांग्रेस के बीच स्थिति पिछले चुनावों की तरह ही रही तो एक बार फिर कांग्रेस को यहां नुकसान हो सकता है, लेकिन यदि कांग्रेस यहां किसी नए चेहरे को टिकट देकर चुनावी मैदान में उतारती है तो बीजेपी की गुटबाजी का इस बार कांग्रेस को भोरंज में फायदा मिल सकता है।
भाजपा का तीसरा विकल्प “राज कुमार जाहू” बात यहीं खत्म नहीं होती भोरंज में एक और टिकट का चाहवान इन दिनों क्षेत्र में सक्रिय चल रहा है, वो है राज कुमार जाहू। इतिहास याद दिलाता है कि राजकुमार के पिता मेला राम 1985 में कांग्रेस पार्टी के नेता व मंत्री चौधरी धर्म सिंह से मात्र 1925 वोटों से हारे थे। भाजपा नेता मेला राम जाहू ने पार्टी कर्तव्य निष्ठा एवं सेवा भाव को स्वर्गीय नेता ईश्वर दास धीमान के समय तक जारी रखा। उनके ही नक्शे कदम पर चलते हुए उनके पुत्र राज कुमार ने भाजपा संगठन में अनेक पदों पर रहते हुए पार्टी का निष्पक्ष साथ दिया है।
राजकुमार इस दौरान भाजपा सहकारिता प्रकोष्ठ के जिला संयोजक हैं तथा संगठन में एक अच्छी पैठ रखते हैं। राजकुमार का नाम भी आगामी चुनावों लेकर भी चर्चा में है। हालांकि इन तीनों नेताओं के सक्रिय होने के चलते शीर्ष भाजपा नेता अभी विचार कर रहे हैं, लेकिन गेंद किसके पाले में पड़ती है यह भविष्य के गर्भ में छिपा है।