आपने ये कहावत तो ज़रूर सुनी होगी कि भगवान जिसे देता है छप्पड़ फाड़ के देता है. इसके साथ-साथ ये भी देखा होगा कि किस्मत जब छीनने पर आती है तो इंसान के पैरों के नीचे की ज़मीन तक छिन लेती है.
फर्श से अर्श तक जाने की और अर्श से फर्श पर गिरने की तमाम कहानियां आपने सुनी होंग, लेकिन आज जिस शख्स की कहानी हम आपको बताने जा रहे हैं उसने सफलता की चढ़ाई भी देखी और अपने बर्बाद होने की ढलान भी. तो चलिए आज हम आपको बताते हैं उस शख्स की कहानी जो मात्र आठ डॉलर से बना अरबपति और एक रिपोर्ट ने उसे बना दिया अरबों का कर्ज़दार:
पहले बीआर शेट्टी को जान लीजिए
शेट्टी दुनिया के सबसे अमीर कन्नड़ माने जाते रहे हैं. इसके साथ ही उन्हें दुबई की सबसे बड़ी फार्मास्यूटिकल कंपनी एनएमसी के मालिक के रूप में जाना जाता है. 1 अगस्त 1942 को कर्नाटक के उडुपी जिले के कापू शहर में जन्मे बावागुत्थु रघुराम शेट्टी ने एक आम मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव के रूप में अपने कैरियर की शुरुआत की तथा अपनी मेहनत से अरबों की सम्पत्ति के मालिक बने.
बी आर शेट्टी ने फ़ार्मा बिज़नेस से बुलंदियों की ओर अपना पहला कदम बढ़ाया लेकिन वो सिर्फ यहीं रुके नहीं रहे बल्कि हेल्थकेयर के साथ साथ फाइनैंशल सर्विसेज, हॉस्पिटेलिटी, फूड ऐंड बीवरेज, फार्मास्यूटिकल मैन्युफैक्चरिंग तथा रियल एस्टेट के क्षेत्रों तक अपने व्यापार का विस्तार किया. वो बी आर शेट्टी भी ही थे जिन्होंने 1980 में यूएई एक्सचेंज की शुरुआती की.
हालांकि, जिस तरह उन्होंने कामयाबी की बुलंदियों को छुआ उसी तरह वह तबाह होने की कगार तक भी पहुंच गये. ब्रिटिश निवेश फर्म मड्डी वॉटर्स द्वारा सामने आई एक रिपोर्ट ने शेट्टी के अरबों के बिज़नेस को तिनकों की तरह बिखेर दिया. बी आर शेट्टी को अच्छे से जानने के लिए उनकी कहानी को शुरू से जानना ज़रूरी है.
कई बार हमारे मन का नहीं होता तो हमें बहुत बुरा लगता है लेकिन समय के साथ हम ये देखते हैं कि नियति का सोचा हुआ हमारे मन के सोचे से कहीं गुना ज़्यादा अच्छा होता है. बी आर शेट्टी इसका प्रबल उदाहरण हैं. शेट्टी का जन्म एक साधरण परिवार में हुआ था. इनका परिवार भी भारत के उन लाखों परिवारों जैसा था, जिनके घर की दाल रोटी तो अच्छे से चल रही होती है लेकिन किसी ज़रूरतों के समय उन्हें कहीं ना कहीं हाथ फैलाने ही पड़ते हैं. अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद शेट्टी के अंदर नेता बनने की तीव्र इच्छा जागी. उन्होंने राजनीति में अपना कदम भी बढ़ा लिया था तथा दो बार नगर पालिका के चुनाव भी जीते.
इतना ही नहीं बल्कि शेट्टी तब उस समय के उन दिग्गज नेताओं से भी मिले थे जो आगे चल कर देश के प्रधानमंत्री बने. 1960 में शेट्टी की मुलाकात स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपाई तथा नरेंद्र मोदी से हुई थी. इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि शेट्टी की राजनीति में अपना कद ऊंचा करने की कितनी इच्छा थी. लेकिन उनका ये सपना तब टूट गया जब उनकी बहन की शादी तय हुई. शादी के लिए परिवार को लोन लेना पड़ा और उस लोन को चुकाने के लिए शेट्टी को राजनीति छोड़नी पड़ी.
मात्र 8 डॉलर और एक शर्ट का साथ
जिस शख्स ने अपने जीवन में अरबों की सम्पत्ति बनाई वो सन 1973 में एक तरह से खाली हाथ दुबई आया था. बहन की शादी के लिए जो कर्ज परिवार ने लिया था उसे चुकाने के लिए पैसों के अच्छे स्रोत की ज़रूरत थी और शेट्टी को ये स्रोत मिला दुबई में. यहां उन्हें एक कंपनी में मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव की नौकरी मिली. इस नौकरी के लिए वो अपने राजनीति में जाने का सपना छोड़ दुबई चले आए.
जब वह दुबई पहुंचे तो उनकी जेब में मात्र 8 डॉलर थे. इस अरब पति ने इसी 8 डॉलर से दुबई में अपनी एक नई शुरुआत की. फार्मास्यूटिकल्स साइंस में अपनी पढ़ाई पूरी करने वाले शेट्टी ने अपने इस नए काम में जी जान लगा दी. कामयाबी पाने की ललक उनमें शुरू से थे और इस कामयाबी के आगे उन्होंने किसी कठिनाई को रोड़ा नहीं बनने दिया.
शुरुआत के दिनों में शेट्टी के पास एक ही शर्ट हुआ करती थी जिसे वो हर रोज़ धोते और अगले दिन पहनते. ऐसा तब तक चला जब तक उन्होंने परिवार का सारा कर्जा चुका नहीं दिया. बी आर शेट्टी ने चंद्रा कुमारी शेट्टी से शादी कर ली. चंद्रा एक डॉक्टर थीं और ये बात शेट्टी के आगे बढ़ने में मददगार साबित हुई. शेट्टी ने 1975 में मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव की नौकरी छोड़ कर एक छोटा सा क्लिनिक खोल लिया.
क्लिनिक में जहां चंद्रा मरीजों को संभालती थीं. वहीं शेट्टी क्लिनिक की सफाई से लेकर एम्बुलेंस चलाने तक का काम करते थे. शेट्टी और और चंद्रा की इस साझेदारी ने खूब मेहनत की. धीरे-धीरे ये मेहनत रंग लाने लगी. आगे चल कर शेट्टी ने उस छोटे से क्लिनिक कक एनएमसी स्पेसिलीटी हॉस्पिटल में बदला और इसके साथ ही बी आर शेट्टी हेल्थ सर्विस के बिजनेस में उतर गये. देखते ही देखते शेट्टी ने 45 हॉस्पिटल खड़े कर लिए
हेल्थ फेसिलीटी के बिज़नेस में काम जमाने के बाद शेट्टी ने मनी एक्सचेंज बिज़नेस की ओर अपना कदम बढ़ाया. 1980 में शेट्टी ने घरों से दूर रह रहे लोगों के बीच सेंध मारी. बाहर रह रहे लोग बैंकों के माध्यम से पैसे भेजते थे जिसके चार्ज ज़्यादा थे. इसका हल निकालते हुए शेट्टी ने पहली बार यूएई एक्सचेंज शुरू किया. जिसके देखते ही देखते हज़ारों ग्राहक बन गये.
यूएई, एशिया, यूके तथा नॉर्थ अमेरिका सहित शेट्टी ने 30 देशों में यूएई एक्सचेंज की 700 ब्रांचें खोलीं. शेट्टी को सबसे बड़ी सफलता तब मिली जब 2012 में उनकी कंपनी के शेयर लंदन स्टोक एक्सचेंज पर लिस्ट हो गये. ये दुबई की पहली हेल्थ केयर कंपनी थी जिसे लंदन स्टोक एक्सचेंज में जगह मिली थी. शेट्टी ने 2018 में अपनी दो बड़ी कंपनियों के साथ अपने अन्य कारोबार को फिनब्लर के साथ मिल कर सार्वजनिक कर दिया.
शेट्टी समय के साथ साथ हेल्थकेयर और फाइनैंशल सर्विसेज के अलावा हॉस्पिटेलिटी, फूड ऐंड बीवरेज, फार्मास्यूटिकल मैन्युफैक्चरिंग तथा रियल एस्टेट में भी हाथ आजमाने लगे तथा उन्हें हर तरफ से फायदा ही हो रहा था. उस समय वह सफलता के शिखर पर थे. 2019 में फोर्ब्स द्वारा उन्हें दुनिया के भारतीय अरबपतियों में 42वां स्थान दिया गया था. उनकी कुल सम्पत्ति 4.2 बिलियन डॉलर आंकी गई थी.
भारत में कुछ इस तरह बढ़ाया व्यापार
शेट्टी ने जब दुबई में अपना अच्छा खासा बिजनेस सेट कर लिया तब उन्होंने अपनेे देश भारत का रुख किया. शेट्टी की इच्छा हुई कि वह भारत में भी अपना बिजनेस बढ़ाएं. यही सोच कर उन्होंने यहां के कुछ हॉस्पिटलों में पूंजी लगाई तथा उसकी हालत में काफ़ी सुधार कर के उन्हें सफल बनाया. इसके अलावा शेट्टी ने 2018 में भारत का पहला सेवन स्टार हॉस्पिटल सेवन हिल्स हॉस्पिटल भी खरीदा.
इसी साल शेट्टी ने 150 मिलियन डॉलर में असम टीम कंपनी खरीदी. शेट्टी हर भारतीय के लिए तब चर्चा का विषय बन गये थे जब दुनिया की सबसे बड़ी इमारत कहे जाने वाले बुर्ज खलीफा में उन्होंने दो फ्लोर्स खरीदे थे. 2010 में शेट्टी द्वारा खरीदे गये इन दो फ्लोर्स की कीमत 25 मिलियन डॉलर थी. 2005 में दुबई के सबसे काबिल नागरिक का सम्मान पाने वाले, अरबों की सम्पत्ति बनाने वाले,
8 डॉलर से कामयाबी की ऊंचाइयां छूने वाले तथा 2009 में पद्मश्री जीतने वाले बी आर शेट्टी की ज़िंदगी एक रिपोर्ट के कारण पूरी तरह हिल गई. दरअसल ब्रिटिश की एक मड्डी वॉटर्स नामक निवेश फर्म ने एक रिपोर्ट के हवाले से ये आरोप लगाए कि एनएमसी में शेयर्स को लेकर भ्रष्टाचार हो रहा है. रिपोर्ट में कहा गया कि शेट्टी की कंपनी की कीमत से ज़्यादा सम्पत्ति बताई गई है. इसके अलावा उन पर फर्जीवाड़े के आरोप भी लगे.
ये खबरें अखबारों में छपीं और शेट्टी की सम्पत्ति पर जांच शुरू हो गई. इन आरोपों के बाद शेट्टी से एनएमसी हेल्थ के निदेशक मंडल के फैसले लेने के अधिकार तत्काल प्रभाव से छीन लिए गए. एनएमसी हेल्थ को लंदन स्टॉक एक्सचेंज की लिस्ट से हटा दिया गया. सभी बैंक खाते भी सील कर दिए गए. बताया गया कि शेट्टी की कंपनियां पांच अरब डॉलर के कर्ज में डूबी हैं.
इसके साथ ही बोर्ड की तरफ से शेट्टी के इस्तीफे की मांग उठाने लगी और इसी साल 17 जनवरी को उन्होंने सह-अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया. हालांकि बी आर शेट्टी की तरफ से मड्डी वाटर्स की रिपोर्ट को फर्जी भी बताया गया. कहा गया कि ये फर्म पहले भी टेसला जैसी कंपनी पर भी ऐसे फर्जी आरोप लगा चुकी है. इसके अलावा शेट्टी की इस स्थिति के अन्य कई कारण भी बताए गये.
शेट्टी बीजेपी के कट्टर समर्थक थे तथा कई बार ऐसे बयान दे चुके थे जो दुबई जैसे देश को हजम होने वाले नहीं थे. कहते हैं कि आरएसएस और बीजेपी से नजदीकियां रखना शेट्टी को भारी पड़ गया. खैर कारण भले चाहे जो भी हो लेकिन अहम बात ये है कि कभी फर्श से अर्श की चढ़ाई करने वाले बी आर शेट्टी अब अर्श से फर्श की ओर तेजी से बढ़ते नज़र आ रहे हैं.
ऐसे बहुत कम उदाहरण देखने को मिलते हैं जहां सफलता और बर्बादी की कहानी एक ही अध्याय में समाई हो.