संसद के मानसून सत्र से पहले सरकार ने 17 जुलाई को बुलाई सभी दलों की बैठक

नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने संसद का मानसून सत्र शुरू होने से पहले 17 जुलाई को सुबह 11 बजे  सर्वदलीय बैठक बुलाई है. समाचार एजेंसी एएनआई ने मंगलवार को यह जानकारी दी. आपको बता दें कि संसद का मानसून सत्र 18 जुलाई से 12 अगस्त तक चलेगा. इसमें कुल 26 दिनों की अवधि में 18 बैठकें होंगी.  सूत्रों के मुताबिक मानसून सत्र के दौरान सरकार करीब एक दर्जन नये विधेयकों को पेश कर सकती है.

मानसून सत्र के दौरान करीब एक दर्जन नये विधेयक पेश किये जा सकते हैं. (फाइल फोटो)

सूत्रों ने ‘भाषा’ को बताया कि संसद में अभी भारतीय अंटार्कटिक विधेयक, बाल विवाह रोकथाम संशोधन विधेयक, राष्ट्रीय डोपिंग रोधी विधेयक और जैव विविधता संशोधन विधेयक जैसे महत्वपूर्ण विधेयक लंबित हैं. उन्होंने बताया कि सत्र के दौरान करीब एक दर्जन नये विधेयक पेश किये जा सकते हैं.

बेहद अहम है ये संसद का मानसून सत्र
संसद का यह सत्र खास रहने वाला है क्योंकि 18 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान होना है. दूसरी ओर, उपराष्ट्रपति का चुनाव 6 अगस्त को होगा. उपराष्ट्रपति पद के लिए यदि निर्विरोध निर्वाचन नहीं हुआ तो उसी दिन मतों की गणना भी होगी. विपक्ष अग्निपथ योजना, बेरोजगारी व मंहगाई, जांच एजेंसियों के कथित दुरुपयोग जैसे मुद्दों पर सरकार को घेरने की तैयारी कर रहा है.

मानसून सत्र के लिए तैयारियों की समीक्षा बैठक
संसद के आगामी मानसून सत्र के लिए विधायी एवं सरकारी कामकाज से जुड़े विषयों की तैयारियों की समीक्षा करने के लिए बीते 6 जुलाई को संसदीय कार्य और संस्कृति राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने विभिन्न मंत्रालयों/विभागों के सचिवों और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक बैठक भी की थी. संसदीय कार्य मंत्रालय के अधिकारी ने बताया कि बैठक में विभिन्न मंत्रालयों एवं विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों ने अपने-अपने मंत्रालयों द्वारा प्रस्तावित कामकाज पर आवश्‍यक जानकारी दी.

सरकार को घेरने की तैयारी में कांग्रेस
वहीं, मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने बीते दिनों कहा कि वह आगामी मानसून सत्र में विभिन्न मुद्दों पर सरकार को घेरने के लिए तैयार है. लोकसभा में कांग्रेस के मुख्य सचेतक कोडिकुनिल सुरेश ने बीते 3 जुलाई को कहा, “आसन्न मानसून सत्र में जिन मुद्दों को उठाना है, उनके बारे में अगले कुछ दिनों के भीतर पार्टी के रणनीतिक समूह की बैठक में फैसला होगा, लेकिन कई ऐसे मुद्दे हैं जिनको उठाना तय है. इनमें महंगाई, बेरोजगारी, ‘अग्निपथ’ योजना और जांच एजेंसियों के दुरुपयोग के विषय प्रमुख हैं.”