बंगाली फिल्म ‘महानंदा’ का भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में हुआ चयन, निर्देशक ने जाहिर की खुशी

फिल्म ‘महानंदा’ एक ऐसी महिला की कहानी है, जो एक ग्रामीण और आदिवासी लोगों के विभिन्न आंदोलनों से जुड़ती है। यह किरदार पद्म विभूषण पुरस्कार विजेता और ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्तकर्ता महाश्वेता देवी से प्रेरित है।

महानंदा फिल्म
महानंदा फिल्म

रेमन मैग्सेसे पुरस्कार विजेता लेखिका और कार्यकर्ता महाश्वेता देवी के जीवन और कार्यों से प्रेरित बंगाली फिल्म ‘महानंदा’ को भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) के भारतीय पैनोरमा के फीचर सेगमेंट के लिए चुना गया। अरिंदम सिल द्वारा निर्देशित ‘महानंदा’ फीचर सेगमेंट की 25 फिल्मों में एकमात्र बंगाली फिल्म है। इसके अलावा एक और बंगाली फिल्म ‘टॉनिक’, जो एक बुजुर्ग जोड़े के अपने ट्रैवल एजेंट के साथ रोमांच की कहानी बताती है, को आईएफएफआई की मुख्य धारा के लिए चुना गया है।

निर्देशक ने कही यह बात
अगले महीने गोवा में होने वाले 53वें आईएफएफआई के लिए फिल्म का चयन करने के लिए जूरी सदस्यों को धन्यवाद देते हुए सिल ने अरिंदम कहा कि उन्हें अपनी टीम पर गर्व है। उन्होंने कहा,  ‘मुझे खुशी है कि फिल्म अब राष्ट्रीय स्तर पर देखी जा सकती है। राष्ट्रीय स्तर पर निर्देशक के रूप में यह मेरा सबसे बड़ा सम्मान है। महानंदा जैसी फिल्में समकालीन समय में एक निश्चित सामाजिक उद्देश्य की पूर्ति करती हैं।’
निर्माता ने किया जूरी का आभार व्यक्त
फिल्म ‘महानंदा’ एक ऐसी महिला की कहानी है, जो एक ग्रामीण और आदिवासी लोगों के विभिन्न आंदोलनों से जुड़ती है। यह किरदार पद्म विभूषण पुरस्कार विजेता और ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्तकर्ता महाश्वेता देवी से प्रेरित है। फिल्म के निर्माता फिरदौसल हसन ने कहा, ‘मैं टीम महानंदा के प्रत्येक सदस्य को बधाई देता हूं। मैं भारतीय पैनोरमा, 53वें आईएफएफआई को हमारी फिल्म महानंदा का चयन करने के लिए प्रख्यात जूरी का भी आभार व्यक्त करता हूं।’

बंगाली अभिनेता देव ने दी बधाई
महानंदा के चयन पर बंगाली सुपरस्टार देव ने भी निर्देशक सिल को बधाई दी। वहीं, देव के प्रोडक्शन हाउस देव एंटरटेनमेंट वेंचर्स ने ट्वीट किया, ‘यह सम्मान की बात है कि हमारी फिल्म टॉनिक को भारतीय पैनोरमा की ओर से 53वें आईएफएफआई 2022 में स्क्रीनिंग (मुख्यधारा) के लिए आधिकारिक तौर पर चुना गया है। हमारा समर्थन करते रहें।’

इस दिन दिखाई जाएंगी फिल्में
महोत्सव के आयोजकों ने बताया कि फांसी का सामना करने वाले सबसे कम उम्र के स्वतंत्रता सेनानियों में से एक, बंगाली युवा खुदीराम बोस के जीवन पर बनी एक तेलुगू फिल्म को भी भारतीय पैनोरमा खंड के लिए चुना गया है। फिल्म ‘खुदीराम बोस’ का निर्देशन विजय जगरलामुदी और डीवीएस राजू ने किया था। चुनी गई फिल्मों को 20 से 28 नवंबर के बीच आईएफएफआई में प्रदर्शित किया जाएगा।