इजरायल (Israel) से भारत के लिए एक अच्छी खबर आ रही है। पूर्व प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू (Benjamin Netanyahu) बड़ी जीत के साथ वापसी करने को तैयार हैं। निश्चित तौर पर इस खबर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Indian Prime Minister Narendra Modi) काफी खुश होंगे। पीएम मोदी और पूर्व इजरायली पीएम के बीच काफी अच्छी बॉन्डिंग देखने को मिली है।
यरूशलम: इजरायल में कायम राजनीतिक संकट को खत्म करने के मकसद से मंगलवार को चुनाव हुए हैं। चार साल से भी कम समय में हुए इसे पांचवें आम चुनाव में पूर्व प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की वापसी तय हो चुकी है। नेतन्याहू इन चुनावों में बड़ी जीत के बाद फिर से सत्ता काबिज होने के लिए तैयार हैं। भारत के लिए भी नेतन्याहू का लौटना एक अच्छी खबर है। यूं तो भारत और इजरायल के रिश्ते हमेशा से मजबूत रहे हैं लेकिन नेतन्याहू की वापसी इन संबंधों को एक नई दिशा की तरफ लेकर जायेगी। साल 2021 तक नेतन्याहू सत्ता में थे।
संबंधों के 30 साल
इस साल फरवरी में भारत और इजरायल के बीच राजनयिक रिश्तों के 30 साल पूरे हुए हैं। इजरायल ने फरवरी 1992 में भारत में अपना दूतावास खोला था। इसके बाद भारत ने तेल अवीव में 15 मई को उसी साल दूतावास शुरू किया था। बेंजामिन नेतन्याहू ने पीएम रहते हुए भारत के साथ मजबूत द्विपक्षीय संबंधों की वकालत की थी। वह दूसरे इजरायली पीएम थे जो भारत दौरे पर आये थे। साल 2018 में नेतन्याहू का दौरा दोनों देशों के संबंधों में मील का पत्थर साबित हुआ था।
दोनों देशों के बीच व्यापार
इससे पहले जुलाई 2017 में मोदी इजरायल के दौरे पर गए और ऐसा करने वाले पहले भारतीय पीएम बने। मोदी के दौरे पर ही दुनिया ने नेतन्याहू के साथ उनकी वह केमेस्ट्री देखी जिसके बाद दोनों पक्के दोस्त कहे जाने लगे। दोनों नेताओं ने कई गंभीर मसलों पर चर्चा भी की। दोनों देशों के बीच मजबूत व्यापारिक संबंध भी कायम हुए हैं। 1992 में 200 मिलियन डॉलर का व्यापार था तो वहीं साल 2021-2022 में यह बढ़कर 7.86 अरब डॉलर तक पहुंच गया था।
फ्री ट्रेड एग्रीमेंट
भारत और इजरायल के बीच द्विपक्षीय संबंध पीएम मोदी के इजरायल दौरे के बाद और मजबूत हुए। उस दौरे के बाद से ही दोनों देशों के बीच संबंधों की आधारशिला नए आविष्कारों और रिसर्च पर तैयार हुई। राजनीतिक संकट के बाद भी दोनों देशों के रिश्तों पर कोई आंच नहीं आई। इजरायल, अमेरिका और संयुक्त अरब अमीरात के साथ मिलकर भारत एक फ्री ट्रेड एग्रीमेंट पर बातचीत कर रहा है। माना जा रहा है कि नेतन्याहू के सत्ता में लौटने के बाद इस पर ध्यान दिया जा सकता है।