शाहरुख खान और दीपिका पादुकोण का गाना ‘बेशरम रंग’ जितनी गर्मी मचाए हुए है, उतनी ही सर्द भरी हवाएं भी चला रहा। दीपिका के भगवा रंग की बिकिनी पहनने पर हिंदू धर्म का घोर अपमान! ये कहां तक जायज है? मेरी नजर में ये मजह एक सस्ती ढील है, जो हऊआ बनी हुई है।
शाहरुख खान और दीपिका पादुकोण का गाना ‘बेशरम रंग’ दुनिया भर में बहुत तेजी से वायरल हो रहा है। इस गाने ने हर तरफ तहलका मचा कर रख दिया है। गाने को लेकर दो तरह की बातें निकल कर सामने आ रही हैं। एक हैं दीपिका पादुकोण और शाहरुख खान के फैंस जो लगातार उन्हें सपोर्ट कर रहे हैं। और दूसरी तरफ हैं वह लोग जिन्हें बेशरम रंग गाने में कई सारी ऐसी चीजें देखने को मिल गई हैं, जिसकी वजह से उनका गुस्सा उफान पर है। उनका मानना है कि दीपिका के भगवा रंग की बिकिनी पहनकर नाचने से उनके हिंदू धर्म का अपमान किया गया है और ये लोग बस कबसे दीपिका का कैरेक्टर सर्टिफिकेट छापने का इंतजार कर रहे हैं।
दीपिका पादुकोण का कैरेक्टर सर्टिफिकेट बना क्या!
दरअसल दीपिका पादुकोण (Deepika Padukone) और शाहरुख खान (Shahrukh Khan) की फिल्म ‘पठान’ (Pathaan) का गाना ‘बेशरम रंग’ (Besharam Rang) बहुत खूबसूरत है लेकिन गाने में दीपिका पादुकोण ने अपनी स्लिम ट्रिम बॉडी को कुछ ज्यादा ही दिखा दिया है। उन्होंने पूरे गाने में अलग-अलग रंगों की बिकिनी और मोनोकिनी पहनी है। पूरे गाने में दीपिका तो हद से ज्यादा बोल्ड और ग्लैमरस दिख रही हैं, जिससे उनके फैंस उन्हें देखकर खुशी से पागल हो रहे हैं लेकिन एक सीन में दीपिका ने ऑरेंज कलर की बिकिनी पहनी है और इसी की वजह से पूरा देश दहल रहा है।
भगवा रंग और बिकिनी बवाल
तो कुल मिलाकर बात यही है कि दीपिका के ऑरेंज रंग की बिकिनी पहनने से अलग ही बवाल मचा हुआ है, खासकर पॉलिटिकल फील्ड से ज्यादातर लोग इसके खिलाफ बोलते दिख रहे हैं। उनका मानना है कि गाने का टाइटल है बेशर्म रंग और दीपिका ने इसमें भगवा रंग की बिकिनी पहनी है, जो कतई सही नहीं है। और दीपिका को ऐसा करने के लिए कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए, साथ ही इसके मेकर्स भी सजा का पात्र हैं। केवल राजनीतिक दलों के महान व्यक्तित्व ही नहीं बल्कि आम जनता भी दीपिका के खिलाफ जहर उगलती नजर आ रही है। सभी बस यही कह रहे हैं कि वह भगवा रंग पहनकर हिंदू धर्म का अपमान कर रही हैं। अब इस बात में सिर्फ एक ही पहलू जोड़ा जाना है और वह है मेरा खुद का।
शाहरुख कैसे बन गए छपरी
मैंने जबसे गाना बेशरम रंग सुना है, तब से ये मेरी जुबान पर छाया हुआ है और दिन रात मैं इसे गुनगुना रही हूं क्योंकि धुन ही इतनी प्यारी है। लेकिन एक बात जो मुझे समझ नहीं आई वह यह थी कि शाहरुख खान इतने भद्दे और घटिया एक्सप्रेशंस कैसे दे सकते हैं। शाहरुख निसंदेह एक उम्दा एक्टर हैं और दीपिका तो हसीन के साथ खूबसूरत अदाकारा भी। लेकिन इस गाने में शाहरुख खान जिस तरह के एक्सप्रेशन दे रहे हैं वह टिक टॉक पर आए दिन आने वाले छपरियों से कम नहीं लग रहे हैं। उनके एक्सप्रेशंस इतने भद्दे हैं कि उनकी फिल्म का टाइटल ‘पठान’ भी शरमा जाए।
शाहरुख खान से कहां चूक हुई?
शाहरुख खान के इंटरव्यूज देखने लायक होते हैं। उनके व्यूज इतनी सटीक और नायाब हैं कि उनको बहुत देर तक सुनने का मन करता है। इतना ही नहीं अपने करियर में शाहरुख ने जो भी फिल्में की हैं वह काबिले तारीफ हैं। लेकिन इस गाने में उन्हें देखकर तो बस यही समझ आ रहा है कि उनकी फिल्म की नैया अब भगवान ही पार लगा सकते हैं। बात करते हैं दीपिका की, तो उन्होंने अर्ध नंगापन दिखाकर शायद समाज के कुछ लोगों का ध्यान तो जरूर खींच लिया है लेकिन बाकियों से तारीफ पाने में पीछे रह गई हैं क्योंकि उन्होंने काम ही ऐसा किया है।
दीपिका ने लांघी फुहड़ता की सीमा?
कुल मिलाकर दीपिका पादुकोण का बिकिनी वाला बवाल भले ही शांत हो जाए और लोग ये भूल जाएं लेकिन धर्म के नाम पर रंग को इस तरह से जोड़ना कतई सही नहीं है। सोचने वाली बात ये भी है कि किसी फिल्म से जुड़ने पर ही ऐसे विवाद हावी क्यों हो जाते हैं। उन एक्टर्स को जरा भी फर्क नहीं पड़ रहा है और लोग आपस में ही पागल हुए जा रहे हैं। दीपिका के बिकिनी पहनने से देवी-देवता और हिंदू धर्म का अपमान हो गया है। न जाने कहां से आते हैं ये बुद्धजीवी। कैसी मनोदशा के साथ पनपते हैं ये! दीपिका ने फूहड़ता की कौन सी सीमाएं लांघी हैं, अब ये देंगे उनको कैरेक्टर सर्टिफिकेट।