नई दिल्ली. भगवानी देवी डागर (Bhagwani Devi Dagar) ने खेल में अलग पहचान बनाई है. 94 साल की उम्र में उन्होंने वर्ल्ड मास्टर्स एथलेटिक्स चैंपियनशिप में एक गोल्ड सहित 3 मेडल जीते. यह उपलब्धि इसलिए भी बड़ी है, क्योंकि उन्होंने सिर्फ 6 महीने पहले ही अपने पैरा एथलीट पोते के साथ ट्रेनिंग शुरू की थी. उन्होंने 100 मीटर स्प्रिंट में गोल्ड मेडल जीता. इसके अलावा शॉट पुट और डिस्कस थ्रो में ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया. हालांकि वे ब्रॉन्ज मेडल से संतुष्ट नहीं हैं. उन्हें यहां तक पहुंचने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा है. उन्होंने अगले साल के लिए अपना नया टारगेट भी बना लिया है.
टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, भगवानी देवी का जीवन बेहद संघर्षपूर्ण था. जब वे 29 साल की थी और प्रेग्नेंट थीं, तब उनके पति की मौत हो गई थी. 11 साल की उम्र उनकी बेटी का निधन हो गया. 2007 में उनकी बायपास सर्जरी तक हुई. फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी और इंटरनेशनल लेवल पर भारत का झंडा लहराया. उन्होंने कहा, ‘मैंने स्टेट और नेशनल चैंपियनशिप में 3 गोल्ड मेडल जीते थे. ऐसे में मैं ब्रॉन्ज मेडल जीतकर अधिक खुश नहीं हूं.’
पाेते हैं पैरा एथलीट
भगवानी देवी ने 38 साल के अपने पोते और पैरा एथलीट विकास डागर के साथ ट्रेनिंग शुरू की. विकास ने पहले उन्हें शॉट पुट दी. हालांकि उनकी शुरुआत अच्छी नहीं रही. अगली सुबह उन्होंने फिर गेंद मांगी. विकास ने बताया कि दादी ने कहा कि वे लोहे की गेंद फेंकना (गोला फेंक) चाहती हूं. उनमें मुझे इसके प्रति ललक दिखी. इसके बाद मैं उन्हें काकरोला स्टेडियम ले गया, यह देखने कि वे कितना फेंक लेती हैं.
पीछे मुड़कर नहीं देखा
स्टेडियम जाने के बाद भगवानी देवी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. 4 महीने बाद उन्होंने दिल्ली स्टेट मास्टर्स चैंपियनशिप में 3 गोल्ड जीते. 1 और 2 अप्रैल को हुए इवेंट में उन्होंने स्प्रिंट, शॉट पुट और डिस्कस थ्रो में मेडल अपने नाम किया. फिर 26 अप्रैल से 2 मई तक चले नेशनल मास्टर्स चैंपियनशिप में भी उन्होंने 3 मेडल जीते. मूलत: हरियाणा की रहने वाली भगवानी देवी इससे पहले कबड्डी में भी हाथ आजमा चुकी थीं.
विकास को अपना रोल मॉडल मानती हैं
5वीं क्लास तक पढ़ीं भगवानी देवी बताती हैं कि मैं अपने घर की दीवारों पर पोते की तस्वीरें और प्रमाणपत्रों को देखती थी. उसकी तरह मैंने देश के लिए मेडल जीते हैं. इससे काफी अच्छा लगता है. वे हफ्ते में 2 से 3 दिन एक घंटे तक प्रैक्टिस करती हैं. विकास ने बताया कि उनकी उम्र के हिसाब से मुझे लगता है कि उनके लिए यह पर्याप्त है. राजीव गांधी खेल रत्न अवार्ड से सम्मानित विकास ने बताया कि हम कड़ी ट्रेनिंग नहीं करना चाहते, क्योंकि अधिक उम्र के कारण उन्हें चोट लग सकती है.
भगवानी देवी बताती हैं कि उनकी दिनचर्या सुबह 6 से शुरू होती है. वे रोजाना 2 किमी वॉक करती हैं. उन्होंने बताया कि हमारा घर 3 मंजिला है और मुझे पौधों को पानी देने के लिए छत पर जाने के लिए सीढ़ियों का इस्तेमाल करना पड़ता है. वे केवल घर का बना खाना ही खाती हैं कहती हैं कि मैं देसी खाना खाती हूं. दूध, दाल, चपाती, सब्जियां पसंद हैं. वे अब वर्ल्ड मास्टर्स एथलेटिक्स इंडोर चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतना चाहती हैं. यह इवेंट अगले साल पाेलैंड में होना है.