कुछ स्थानों पर भाई दूज पर अनोखी परंपरा निभाई जाती है.
Bhai Dooj 2022: हिंदू धर्म में भाई दूज का पर्व खास महत्व रखता है. पांच दिवसीय दिवाली का पर्व भाई दूज के साथ संपन्न होता है. देश में त्योहारों को विभिन्न जगहों पर अपने रंग ढंग से मनाया जाता है. इसी तरह भाई दूज के पर्व की अनोखी परंपरा को भी अलग-अलग जगहों पर निर्वहन किया जाता है. यूं तो भाई दूज प्यार व स्नेह का पर्व है. इस दिन बहनें अपने भाई का तिलक सत्कार कर उसकी लंबी उम्र की कामना करती हैं.
वहीं, दूसरी ओर कुछ स्थानों पर भाई दूज पर बहनें अपने जीभ में कांटा गड़ाकर भाई को श्राप देती नजर आती हैं. तो चलिए जानते हैं भाई दूज की इस अनोखी परंपरा के पीछे क्या रहस्य है.
भाई को देती है श्राप
पंडित इंद्रमणि घनस्याल के अनुसार, बिहार, झारखंड व उत्तर प्रदेश में भाई दूज पर्व की ये अनोखी परंपरा देखी जा सकती है. इस परंपरा के तहत भाई दूज पर बहनें पहले अपने भाइयों को मरने का श्राप देती हैं और उसके बाद प्रायश्चित के लिए अपनी जीभ पर कांटा चुभाती हैं. इस दौरान बहनें यम लोक के प्राणियों की प्रतिमूर्ति बनाकर उसकी कुटाई भी करती हैं. मान्यता है कि भाई दूज के दिन भाइयों को गालियां व श्राप देने उन्हें यमराज का भय नहीं रहता है. इसके पीछे एक पौराणिक कथा का मत दिया जाता है.
क्या है पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार यम और यमनी लोक में विचरण कर रहे थे. उनका उद्देश्य ऐसे व्यक्ति को यमलोक पहुंचाने का था, जिसे उसकी बहन द्वारा गाली या श्राप नहीं दिया गया हो. इसी बीच दोनों को एक ऐसा व्यक्ति मिला, जिसको ना तो उसकी बहन ने कभी गाली दी ना ही श्राप दिया था.
बहन अपने भाई से बेहद प्रेम करती थी लेकिन यम और यमनी उसके भाई की आत्मा को ले जाने का प्रयास करने लगे. इसी बीच बहन को ये पता चला तो उसने अपने भाई को बचाने का पूरा प्रयास किया. उसने अपने भाई को बिना किसी वजह से खूब गालियां दीं और श्राप दिया. इस वजह से यम और यमनी का उद्देश्य पूरा नहीं हो पाया. मान्यता है तब से ही यह परंपरा चलती आ रही है