Bharat Jodo Yatra : ये मोहन भागवत जी को भी दे दीजिए… सावरकर की चिट्ठी लहराकर बोले राहुल गांधी

सावरकर की चिट्ठी एक बार फिर चर्चा में है। कांग्रेस समेत विपक्षी दल अक्सर सावरकर की चिट्ठी के हवाले से कई तरह के आरोप लगाते हैं। राहुल गांधी ने आज फिर चिट्ठी दिखाई और संघ प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) का भी नाम लिया। उन्होंने सावरकर की एक लाइन पढ़ते हुए कहा कि भागवत जी को भी यह दे दीजिए।

नई दिल्ली: भारत जोड़ो यात्रा लेकर महाराष्ट्र के अकोला पहुंचे राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने आज वीर सावरकर का जिक्र कर संघ प्रमुख मोहन भागवत पर निशाना साधा। उन्होंने एक डॉक्यूमेंट दिखाते हुए उसे सावरकर की चिट्ठी बताया और उसकी आखिरी लाइन पढ़कर सुनाया। कांग्रेस नेता ने अंग्रेजी में पढ़कर हिंदी में दोहराया, ‘सर, मैं आपका नौकर रहना चाहता हूं।’ उन्होंने कहा, ‘यह मैंने नहीं कहा, सावरकर जी ने लिखा है। इसे फडणवीस जी भी देखना चाहें तो देख सकते हैं। विनायक दामोदर सावरकर जी ने अंग्रेजों की मदद की थी।’ कुछ देर बाद वही चिट्ठी लहराते हुए उन्होंने कहा कि जब सावरकर जी ने यह चिट्ठी साइन की… गांधी जी, नेहरू, पटेल जी सालों जेल में रहे थे, कोई चिट्ठी साइन नहीं की। मेरा कहना है कि सावरकर जी को यह चिट्ठी क्यों साइन करनी पड़ी? इसका कारण डर है। अगर वह डरते नहीं तो इस पर साइन नहीं करते। ऐसा कर उन्होंने गांधी, नेहरू, पटेल सबको धोखा दिया। ये दो अलग विचारधाराएं थीं।

जब सावरकर जी ने माफीनामे पर हस्ताक्षर किए तो उसका कारण डर था। अगर वह डरते नहीं तो कभी हस्ताक्षर नहीं करते। इससे उन्होंने महात्मा गांधी और उस वक्त के नेताओं के साथ धोखा किया।
राहुल गांधी

सावरकर का माफीनामा या कूटनीति?
सावरकर ने जेल से छूटने के लिए अंग्रेजों से कई बार माफी मांगी थी। यह मसला अक्सर विपक्ष उठाता रहता है। पिछले दिनों रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि सावरकर ने गांधी जी के कहने पर ऐसा किया था। वीर सावरकर पर उदय माहूरकर और चिरायु पंडित की लिखी किताब के आधार पर शायद रक्षा मंत्री ने यह बात कही थी। इस किताब के विमोचन में उनके साथ संघ प्रमुख मोहन भागवत भी थे।

अक्सर पूछा जाता है कि क्या सावरकर ने सच में माफीनामा लिखा था? क्या गांधी जी ने माफीनामा लिखने को कहा था? या यह सावरकर की रणनीति थी? वैसे, इस बात पर कम लोग यकीन करते हैं कि वैचारिक विरोधी होने के बाद भी गांधी की बात मानकर सावरकर ने ऐसा किया होगा। अंडमान की सेल्युलर जेल के दस्तावेजों से पता चलता है कि सावरकर ने एक नहीं, छह बार दया याचिका दी थी।

संघ के नेता कहते हैं कि यह सावरकर की राजनीति का दांवपेच था। तरुण विजय ने एक बार कहा था कि सावरकर की रणनीति शिवाजी महाराज की कूटनीति की तरह थी। उन्होंने शिवाजी महाराज के औरंगजेब को लिखे पत्र का हवाला दिया था। औरंगजेब से शिवाजी कहते हैं, ‘हम भी आपके हैं और किले भी आपके हैं।’ संघ और भाजपा के नेता कहते रहे हैं कि कूटनीति में भाषा अलग होती है, लक्ष्य अलग होता है।

2024 में पीएम कैंडिडेट?

कांग्रेस नेता ने कहा कि यह परसेप्शन गलत है कि कांग्रेस, भाजपा के खिलाफ लड़ाई नहीं लड़ रही है। 2024 के आम चुनाव में राहुल गांधी के कांग्रेस पार्टी की ओर से प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार होने संबंधी सवाल पूछे जाने पर कांग्रेस नेता ने कहा कि यह भारत जोड़ो यात्रा से ध्यान भटकाने का प्रयास है।

आमतौर पर लोकतंत्र में एक राजनीतिक दल दूसरे राजनीतिक दल से लड़ता है। संस्थाएं इस लड़ाई के मैदान में निष्पक्षता कायम रखती हैं। आज ऐसा नहीं है। आज एक तरफ देश की सभी संस्थाएं खड़ी हैं। भाजपा का मीडिया, संस्थाओं पर नियंत्रण है। न्यायपालिका पर दबाव डाला जाता है…हमने यात्रा इसलिए शुरू की है क्योंकि विपक्ष के सामने कोई रास्ता नहीं बचा है।
राहुल गांधी

पत्रकारों ने उनसे पूछा कि जब भारत जुड़ा हुआ है तो ‘भारत जोड़ो यात्रा’ की क्या जरूरत है? इसके जवाब में राहुल ने कहा कि भारत में पिछले 8 साल से डर का माहौल है, नफरत और हिंसा फैलाई जा रही है। शायद भाजपा के नेता देश के किसानों और युवाओं से बात नहीं कर रहे हैं। अगर वे करते तो पता चलता कि उन्हें आगे का रास्ता नहीं दिख रहा है। बेरोजगारी और महंगाई बढ़ रही है और किसानों को सही दाम नहीं मिल रहा है। इस माहौल के खिलाफ खड़े होने के लिए हमने भारत जोड़ो यात्रा शुरू की है। राहुल ने कहा कि जब हम संसद में नोटबंदी, जीएसटी, चीन की बात करने की कोशिश करते हैं तो माइक ऑफ कर दिया जाता है। ऐसे में यात्रा निकालने के अलावा विकल्प नहीं बचा।

भारत में पिछले आठ साल से डर का माहौल है। नफरत और हिंसा फैलाई जा रही है। शायद भाजपा के नेता किसानों और युवाओं से बात नहीं करते। अगर वो बात करते तो पता चलता कि युवाओं और किसानों को आगे रास्ता नजर नहीं आ रहा है। इस माहौल के खिलाफ खड़े होने के लिए हमने यह यात्रा शुरू की है।
राहुल गांधी, भारत जोड़ो यात्रा पर

विधायक क्यों भाग रहे?
चुनाव आते ही कांग्रेस के विधायक पार्टी छोड़ने लगते हैं? इस सवाल के जवाब में राहुल गांधी ने कहा कि उनके साथ शिवसेना के एक विधायक चल रहे थे, उन्होंने बताया कि 50 करोड़ रुपये ऑफर किए गए थे लेकिन वह नहीं गए। एक प्रकार से विपक्ष की सफाई भी हो रही है। जो भी भ्रष्ट लोग हैं, जो 10 करोड़, 15 करोड़, 50 करोड़ के लिए बिक जाते हैं वे जा रहे हैं अच्छी बात है। हिंदुस्तान में साफ-सुथरे लोगों की कमी तो नहीं है, वे हमारे साथ आ जाएंगे।