भारत की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी Maruti Suzuki (मारुति सुजुकी) के चेयरमैन आरसी भार्गव ने कहा कि सरकार को भारत में Bharat-NCAP (भारत-एनसीएपी) मानदंडों को अनिवार्य नहीं बनाना चाहिए। यहां जानेंगे कि आखिर क्यों नितिन गडकरी भारत एनसीएपी को लागू करना चाहते हैं।
आरसी भार्गव ने मीडिया से एक बातचीत में यह बयान दिया। उनका कहना है कि भारतीय बाजार पश्चिमी, पूर्ण विकसित बाजारों से बहुत अलग है। वहां इस तरह के एनसीएपी बेंचमार्क आम हैं। भार्गव ने कहा कि एनसीएपी भारत में अनिवार्य नहीं होना चाहिए क्योंकि यह यूरोपीय बाजार से काफी अलग है। उन्होंने कहा,
NCAP अनिवार्य नहीं होना चाहिए, भारत यूरोपीय बाजार से अलग है। हम यूरोप के सड़क सुरक्षा उपाय का पालन नहीं कर सकते हैं, हमें यह देखना चाहिए कि दोपहिया चलाने वालों को बेहतर परिवहन देने के लिए क्या किया जा सकता है। हम भारत में अपने सभी वाहनों में सुरक्षा के यूरोपीय मानकों का पालन नहीं कर सकते क्योंकि हम इसे दोपहिया वाहनों पर लागू नहीं कर सकते। क्या हम दोपहिया वाहन मालिकों को सुरक्षा के दायरे से बाहर छोड़कर इसे सिर्फ अमीर लोगों पर लागू करने जा रहे हैं? निश्चित रूप से, हमें यह देखना चाहिए कि दोपहिया वाहनों का इस्तेमाल करने वाले लोगों को बेहतर परिवहन देने के लिए क्या किया जा सकता है।
मारुति इसलिए कर रही विरोध
मारुति सुजुकी भारत में अपनी बाजार हिस्सेदारी में गिरावट का सामना कर रही है, जो वित्त वर्ष 22 में गिरकर 43.4 प्रतिशत हो गई है। इसके पीछे वजह के तौर पर, छोटी कारों में लोगों की कम होती दिलचस्पी और प्रतिद्वंद्वी कार निर्माताओं से ज्यादा कॉम्पैक्ट और मिड-साइज एसयूवी की लॉन्चिंग को माना जा सकता है।
गडकरी ने क्या कहा जिसके विरोध में है मारुति
अभी देश के वाहन निर्माता ग्लोबल NCAP कार क्रैश टेस्ट से सुरक्षा रेटिंग हासिल करते हैं। दुनियाभर में कारों के क्रैश टेस्ट को यूरो NCAP, आसियान NCAP, ग्लोबल NCAP, ऑस्ट्रेलियन NCAP, जापान NCAP, लेटिन NCAP, कोरिया NCAP, चीन China NCAP, USA के लिए IIHS कर रही हैं। अब इस सूची में नया नाम भारत NCAP का शामिल हो गया है। सुरक्षा के दोहरे मापदंड के लिए लताड़ा
6 एयरबैग लगाने से बचेगी जान
छह एयरबैग के प्रस्ताव की घोषणा करते हुए, गडकरी ने मार्च में संसद को यह भी बताया था कि छह कार्यात्मक एयरबैग की तैनाती से 2020 में 13,000 लोगों की जान बचाई जा सकती थी। मंत्री ने कहा कि जब ऑटोमोबाइल उद्योग में वृद्धि होती है और वाहनों की संख्या में वृद्धि होती है, तो सुरक्षा का ख्याल रखना भी हमारी जिम्मेदारी है। भारत के पास दुनिया भर में बमुश्किल 1 प्रतिशत वाहन हैं, लेकिन देश में सड़क दुर्घटना से होने वाली मौतें दुनिया के मुकाबले 10 प्रतिशत ज्यादा है।
6 एयरबैग महंगा सौदा
सेफ्टी स्टैंडर्ड में क्या हैं अंतर
कितनी जरूरी है सुरक्षा रेटिंग
उन्होंने कहा, “यह पहल सड़क सुरक्षा के लिए अच्छी है और इसके अलावा, यह ग्राहकों की जानकारी भी बढ़ाएगा, और कार खरीदते समय ग्राहक इसे महत्व देंगे क्योंकि यह उनके निर्णय लेने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इसे सभी कारों के लिए अनिवार्य बनाया जाना चाहिए कि उनका मूल्यांकन हो और फिर ग्राहक को यह तय करने दें कि वह क्या चाहता है।”
तो ग्लोबल एनसीएपी मानदंडों के मामले में भारतीय कारें कहां खड़ी हैं? उन्होंने कहा, “सिर्फ 20 प्रतिशत उत्पाद वास्तव में ग्लोबल एनसीएपी के तहत आते हैं और 80 प्रतिशत उत्पाद की टेस्टिंग भी नहीं की जाती है। सिर्फ टाटा और महिंद्रा जैसे बड़े वाहन निर्माता ग्लोबल एनसीएपी को महत्व देते हैं और अपने वाहनों की टेस्टिंग करवाते हैं।”
सुरक्षा संस्कृति की पड़ेगी नींव
उन्होंने कहा, “सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है क्योंकि यह भारत में कारों की टेस्टिंग के स्टैंडर्ड तय करने (मानकीकरण) की प्रक्रिया को सरल बनाता है और उपभोक्ताओं के दिमाग में सुरक्षा संस्कृति डालने में मदद करता है। हालांकि, कंपनियां जो अपनी कारों को टेस्टिंग के लिए भेजती हैं, सिर्फ कुछ का ही टेस्ट हो पाता है, और इसलिए जब क्रैश टेस्टिंग की बात आती है तो वाहन सुरक्षा की भविष्यवाणी करना मुश्किल होता है।”