Bharat-NCAP: सुरक्षा पर सवाल, जानें भारतीय और विदेशी कारों के सेफ्टी स्टैंडर्ड में है कितना अंतर

 

भारत की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी Maruti Suzuki (मारुति सुजुकी) के चेयरमैन आरसी भार्गव ने कहा कि सरकार को भारत में Bharat-NCAP (भारत-एनसीएपी) मानदंडों को अनिवार्य नहीं बनाना चाहिए। यहां जानेंगे कि आखिर क्यों नितिन गडकरी भारत एनसीएपी को लागू करना चाहते हैं। 

Nitin Gadkari
भारत की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी Maruti Suzuki (मारुति सुजुकी) के चेयरमैन आरसी भार्गव ने कहा कि सरकार को भारत में Bharat-NCAP (भारत-एनसीएपी) मानदंडों को अनिवार्य नहीं बनाना चाहिए। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के न्यू कार एसेसमेंट प्रोग्राम (भारत एनसीएपी) को मंजूरी देने के बाद भार्गव ने यह बयान दिया है। 
आरसी भार्गव ने मीडिया से एक बातचीत में यह बयान दिया। उनका कहना है कि भारतीय बाजार पश्चिमी, पूर्ण विकसित बाजारों से बहुत अलग है। वहां इस तरह के एनसीएपी बेंचमार्क आम हैं। भार्गव ने कहा कि एनसीएपी भारत में अनिवार्य नहीं होना चाहिए क्योंकि यह यूरोपीय बाजार से काफी अलग है। उन्होंने कहा, 

NCAP अनिवार्य नहीं होना चाहिए, भारत यूरोपीय बाजार से अलग है। हम यूरोप के सड़क सुरक्षा उपाय का पालन नहीं कर सकते हैं, हमें यह देखना चाहिए कि दोपहिया चलाने वालों को बेहतर परिवहन देने के लिए क्या किया जा सकता है। हम भारत में अपने सभी वाहनों में सुरक्षा के यूरोपीय मानकों का पालन नहीं कर सकते क्योंकि हम इसे दोपहिया वाहनों पर लागू नहीं कर सकते। क्या हम दोपहिया वाहन मालिकों को सुरक्षा के दायरे से बाहर छोड़कर इसे सिर्फ अमीर लोगों पर लागू करने जा रहे हैं? निश्चित रूप से, हमें यह देखना चाहिए कि दोपहिया वाहनों का इस्तेमाल करने वाले लोगों को बेहतर परिवहन देने के लिए क्या किया जा सकता है। 

Maruti Suzuki India Ltd Chairman RC Bhargava
भार्गव ने इस साल की शुरुआत में कहा था कि बढ़ती लागत के कारण छोटी कारों का बाजार पहले से ही सिकुड़ रहा है। उन्होंने कहा कि पिछले तीन वर्षों में, छोटी कारों का बाजार सिकुड़ा है, क्योंकि छोटी कारों की कीमतों में भारी बढ़ोतरी हुई है। इससे ये कई मध्यम वर्ग के लोगों की खरीदारी की पहुंच से बाहर हो रहे हैं, जो ज्यादातर पहली बार कार खरीदने वाले हैं और इन कारों को टू व्हीलर से अपग्रेड कर अपनी पहली कार के रूप में खरीदते हैं। अपने एक बयान में उन्होंने कहा कि छोटी कारें कार निर्माताओं की रोजी-रोटी हुआ करती थी। अब रोजी चली गई है और सिर्फ रोटी बची है।

मारुति इसलिए कर रही विरोध
मारुति सुजुकी भारत में अपनी बाजार हिस्सेदारी में गिरावट का सामना कर रही है, जो वित्त वर्ष 22 में गिरकर 43.4 प्रतिशत हो गई है। इसके पीछे वजह के तौर पर, छोटी कारों में लोगों की कम होती दिलचस्पी और प्रतिद्वंद्वी कार निर्माताओं से ज्यादा कॉम्पैक्ट और मिड-साइज एसयूवी की लॉन्चिंग को माना जा सकता है। 

गडकरी ने क्या कहा जिसके विरोध में है मारुति

Nitin Gadkari
अब समझते हैं कि आखिर केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने सोमवार को क्या कहा जिस पर आरसी भार्गव को बयान देना पड़ा। गडकरी भारत-NCAP शुरू करने को मंजूरी दे चुके हैं। यानी अब भारत में तैयार होने वाली कारों को देश के बाहर क्रैश टेस्ट कराने या सेफ्टी रेटिंग के लिए नहीं जाना होगा। बल्कि इन्हें देश में ही क्रैश टेस्ट और सेफ्टी रेटिंग दी जाएगी। 

अभी देश के वाहन निर्माता ग्लोबल NCAP कार क्रैश टेस्ट से सुरक्षा रेटिंग हासिल करते हैं। दुनियाभर में कारों के क्रैश टेस्ट को यूरो NCAP, आसियान NCAP, ग्लोबल NCAP, ऑस्ट्रेलियन NCAP, जापान NCAP, लेटिन NCAP, कोरिया NCAP, चीन China NCAP, USA के लिए IIHS कर रही हैं। अब इस सूची में नया नाम भारत NCAP का शामिल हो गया है। सुरक्षा के  दोहरे मापदंड के लिए लताड़ा

Nitin Gadkari
इसके साथ ही गडकरी ने दोहरे मापदंड अपनाने के लिए वाहन निर्माता कंपनियों को लताड़ा। उन्होंने कहा कि हर इंसान की जिंदगी की कीमत होती है। लेकिन ज्यादातर कार कंपनियां विदेश में तो सुरक्षा मानकों का ख्याल रखती हैं लेकिन भारत में लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ करती हैं। गडकरी ने कहा कि हमने कारों में छह एयरबैग को अनिवार्य बनाने का निर्णय लिया है, यहां तक कि इकोनॉमिक मॉडल में भी। लेकिन अब कुछ कंपनियां भारत में ऐसी कारें बना रही हैं, जो अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप नहीं हैं। लेकिन वे उसी मॉडल को विदेशी बाजारों के लिए अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बना रही हैं। 

6 एयरबैग लगाने से बचेगी जान

गडकरी ने ये भी कहा कि कुछ वाहन निर्माता कारों में 6 एयरबैग अनिवार्य करने के नियम का लगातार विरोध कर रहे हैं, जिसे सिर्फ लोगों की जान बचाने के लिए प्रस्तावित किया गया है। 
छह एयरबैग के प्रस्ताव की घोषणा करते हुए, गडकरी ने मार्च में संसद को यह भी बताया था कि छह कार्यात्मक एयरबैग की तैनाती से 2020 में 13,000 लोगों की जान बचाई जा सकती थी। मंत्री ने कहा कि जब ऑटोमोबाइल उद्योग में वृद्धि होती है और वाहनों की संख्या में वृद्धि होती है, तो सुरक्षा का ख्याल रखना भी हमारी जिम्मेदारी है। भारत के पास दुनिया भर में बमुश्किल 1 प्रतिशत वाहन हैं, लेकिन देश में सड़क दुर्घटना से होने वाली मौतें दुनिया के मुकाबले 10 प्रतिशत ज्यादा है। 

6 एयरबैग महंगा सौदा

6 Airbag in car
6 Airbag in car – फोटो : For Reference Only
भार्गव का कहना है कि 6 एयरबैग्स लगाने से एंट्री-लेवल कारों की कीमत में 60 हजार रुपये तक का इजाफा हो जाएगा, जो किसी भी एंट्री लेवल कार के लिए बड़ा मार्जिन है। इस वजह से जिन मॉडल में चार एयरबैग दिए जाएंगे उनके कई स्ट्रक्चरल बदलाव करने होंगे। जिन कारों की कीमत 5 लाख से कम है उनके दाम बढ़ जाएंगे। अभी एंट्री लेवल कारों में सिर्फ 2 एयरबैग शामिल करने पर 30 हजार रुपये खर्च आता है। 

सेफ्टी स्टैंडर्ड में क्या हैं अंतर

Global NCAP
वाहनों की सुरक्षा रेटिंग की नई पहल के बारे में ट्वीट करते हुए गडकरी ने कहा, “भारत-एनसीएपी एक उपभोक्ता-केंद्रित मंच के रूप में काम करेगा, जिससे ग्राहक सुरक्षित वाहनों के निर्माण के लिए भारत में ओरिजिनल इक्यूप्मेंट मैन्युफेक्चर्र (ओईएम) के बीच एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देते हुए अपनी स्टार रेटिंग के आधार पर सुरक्षित कारों का विकल्प चुन सकेंगे। भारत एनसीएपी के टेस्टिंग प्रोटोकॉल को मौजूदा भारतीय नियमों में ग्लोबल क्रैश टेस्ट प्रोटोकॉल के साथ जोड़ा जाएगा। जिससे ओईएम भारत के इन-हाउस टेस्टिंग फेसिलिटी में अपने वाहनों का परीक्षण कर सकेंगे।” 
Maruti s-presso Global ncap
तो, ओईएम के लिए वास्तव में क्या बदलेगा। पहला, टेस्टिंग के लिए अतिरिक्त लागत और परीक्षण आवश्यकताओं का अनुपालन करने के लिए एक बढ़ी हुई लागत होगी। इस समय ऑटोमोटिव टेस्टिंग के तरीकों के मुताबिक, जिनका ओईएम पालन करते हैं, केंद्र सरकार की फ्रंट ऑफसेट टेस्टिंग 56 किमी प्रति घंटे की रफ्तार पर की जाती है। जबकि ग्लोबल एनसीएपी की फ्रंट ऑफसेट क्रैश टेस्टिंग 64 किमी प्रति घंटे की रफ्तार पर की जाती है। इससे पता चलता है कि ग्लोबल रेटिंग की तुलना में भारतीय वाहन कई मायनों में कम हैं। 

कितनी जरूरी है सुरक्षा रेटिंग

Latin NCAP Safety Crash Tests
फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विंकेश गुलाटी ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि सरकार का कदम सही दिशा में है, हालांकि, इसमें एकमात्र कमी यह है कि यह अभी भी स्वैच्छिक है।
उन्होंने कहा, “यह पहल सड़क सुरक्षा के लिए अच्छी है और इसके अलावा, यह ग्राहकों की जानकारी भी बढ़ाएगा, और कार खरीदते समय ग्राहक इसे महत्व देंगे क्योंकि यह उनके निर्णय लेने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इसे सभी कारों के लिए अनिवार्य बनाया जाना चाहिए कि उनका मूल्यांकन हो और फिर ग्राहक को यह तय करने दें कि वह क्या चाहता है।”

तो ग्लोबल एनसीएपी मानदंडों के मामले में भारतीय कारें कहां खड़ी हैं? उन्होंने कहा, “सिर्फ 20 प्रतिशत उत्पाद वास्तव में ग्लोबल एनसीएपी के तहत आते हैं और 80 प्रतिशत उत्पाद की टेस्टिंग भी नहीं की जाती है। सिर्फ टाटा और महिंद्रा जैसे बड़े वाहन निर्माता ग्लोबल एनसीएपी को महत्व देते हैं और अपने वाहनों की टेस्टिंग करवाते हैं।” 

सुरक्षा संस्कृति की पड़ेगी नींव

Euro NCAP Crash Test
रिपोर्ट के मुताबिक सेव लाइफ फाउंडेशन की करुणा रैना का कहना है कि, 4 लाख से ज्यादा लोग हर साल सड़कों पर अपनी जान गंवाते हैं। और सरकार का यह कदम उपभोक्ताओं के दिमाग में सुरक्षा संस्कृति डालने की दिशा में पहला कदम हो सकता है।

उन्होंने कहा, “सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है क्योंकि यह भारत में कारों की टेस्टिंग के स्टैंडर्ड तय करने (मानकीकरण) की प्रक्रिया को सरल बनाता है और उपभोक्ताओं के दिमाग में सुरक्षा संस्कृति डालने में मदद करता है। हालांकि, कंपनियां जो अपनी कारों को टेस्टिंग के लिए भेजती हैं, सिर्फ कुछ का ही टेस्ट हो पाता है, और इसलिए जब क्रैश टेस्टिंग की बात आती है तो वाहन सुरक्षा की भविष्यवाणी करना मुश्किल होता है।”