भारतीय मजदूर संघ की जिला इकाई ने बुधवार को जिला मुख्यालय के एमसी पार्क में जोरदार नारेबाजी करते हुए केंद्र और प्रदेश सरकार के समक्ष अपनी मांगों को उठाया। संगठन के पूर्व राष्ट्रीय संगठन मंत्री राकेश शर्मा व जिला अध्यक्ष हरिकिशन सैनी के साथ आशा कार्यकर्ता संघ की प्रदेश सचिव सुमन संदल ने भी इस कार्यक्रम में कार्यकर्ताओं के साथ विशेष रूप से भाग लिया।
इस मौके पर भारतीय मजदूर संघ के पूर्व राष्ट्रीय संगठन सह मंत्री राकेश शर्मा ने कहा कि सरकार का यह दायित्व है कि देश के सभी नागरिकों को सामाजिक सुरक्षा उपलब्ध कराई जाए, ताकि वह अपना जीवन-यापन सुगमता से कर सके। इसके साथ ही ठेकेदारी प्रथा पर अंकुश लगाने की मांग भी भारतीय मजदूर संघ ने उठाई, ताकि कर्मचारियों को शोषण से बचाया जा सके। भारतीय मजदूर संघ ने आर्थिक विकास के लिए राष्ट्रीय नीति बनाने का भी मसौदा तैयार करने की मांग की है।
भारतीय मजदूर संघ ने न्यूनतम मजदूरी के स्थान पर जीविका मजदूरी तय करने की मांग की है, जिसमें प्रति परिवार 4 से 6 लोगों को सम्मिलित करते हुए जीविका मजदूरी का निर्धारण किया जाए, ताकि कामगारों को अपने परिवारों का पालन पोषण करने में परेशानी का सामना नहीं करना पड़े।
आशा कार्यकर्ता संघ की प्रदेश सचिव सुमन संदल ने कहा कि आशा वर्कर्स को ईपीएफ और ईएसआई और पेंशन का भुगतान किया जाना चाहिए। आशा वर्करों के साथ कार्य के दौरान दुर्घटना होने या मृत्यु होने पर 5 लाख रुपये की राशि का वादा किया जाना चाहिए। उन्हें रिटायरमेंट बेनिफिट के रूप में एकमुश्त 5 लाख रुपए की राशि का भुगतान भी सुनिश्चित किया जाए, जबकि अनुभवी आशा वर्कर्स को टीकाकरण का प्रशिक्षण दिलाने की व्यवस्था भी मांगी गई है।
उन्होंने कहा कि उम्र का बंधन हटाते हुए योग्यताधारी आशा वर्करों को एएनएम के पदों के लिए और भर्ती प्रक्रिया में प्राथमिकता दी जानी चाहिए आशा वर्करों को 2 वर्ष में दो बार यूनिफॉर्म उपलब्ध करवाना भी सरकार की जिम्मेदारी होना चाहिए। आशा वर्करों ने चिकित्सालय में अपने लिए विश्राम स्थल का प्रावधान करने की भी मांग उठाई, वही अपने कर्तव्य का निर्वहन करने के लिए आशा कार्यकर्ताओं के द्वारा किए गए सफर का यात्रा भत्ता भी देने की मांग की गई है।
उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा प्रतिमाह दिया जाने वाला 4700 रुपए का मानदेय बेहद कम है और आशा वर्करों को न्यूनतम वेतन 18000 रुपए प्रतिमाह दिया जाना चाहिए।