Bhishma Panchak 2022 Date: भीष्मपंचक व्रत क्‍या है, इन 5 दिनों में भूलकर भी न करें किसी बुजुर्ग का अपमान

Bhishma Panchak 2022 Significance: भीष्मपंचक का आरंभ देवउठान एकादशी से होता है और यह कार्तिक पूर्णिमा तक चलता है। इस व्रत का संबंध पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार महाभारत के सबसे महत्‍वपूर्ण पात्र भीष्‍म पितामह से माना गया है। इन 5 दिनों में हमें कुछ विशेष नियमों का पालन करना चाहिए और दीपदान करना चाहिए।

Bhishma Panchak 2022 Date
Bhishma Panchak 2022 Date
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भीष्मपंचक व्रत का आरंभ कार्तिक देव प्रबोधिनी एकादशी से माना जाता है और यह कार्तिक पूर्णिमा तक रहता है। पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्‍ल पक्ष की एकादशी से पूर्णिमा तक चलने वाले इस पांच दिवसीय व्रत के प्रभाव से जातकों को समस्‍त पापों से मुक्ति मिलती है। इस व्रत को करके सदाचारी एवं संयमी व्यक्ति जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकता है। इतना ही नहीं इन 5 दिनों तक रोजाना तुलसी के पेड़ पर दीपदान करने से मां लक्ष्‍मी भी आपसे प्रसन्‍न होकर आपको सदैव सुखी और संपन्‍न रखती हैं। आइए आपको बताते हैं कि भीष्‍म पंचक का महत्‍व और आपको किन नियमों का पालन करना चाहिए।

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भीष्‍म पंचक का महत्‍व
इस व्रत का संबंध भीष्‍म पितामह से माना गया है।
महाभारत का युद्ध समाप्त होने पर जिस समय भीष्म पितामह सूर्य के उत्तरायण होने की प्रतीक्षा में बाणशैय्या पर लेटे थे तो भगवान कृष्ण पांडवों के साथ उनके पास गए और भीष्म पितामह से उपदेश देने का आग्रह किया। जब पितामह ने पांच दिनों तक राज धर्म ,वर्णधर्म मोक्षधर्म आदि पर उपदेश दिया था। उनका उपदेश सुनकर श्रीकृष्ण संतुष्‍ट होकर बोले, ‘पितामह! आपने शुक्ल एकादशी से पूर्णिमा तक पांच दिनों में जो धर्ममय उपदेश दिया है उससे मुझे बड़ी प्रसन्नता हुई है। मैं इस स्मृति में आपके नाम पर भीष्म पंचक व्रत स्थापित करता हूं । जो लोग इसे करेंगे वे जीवन भर विविध सुख भोगकर अन्त में मोक्ष प्राप्त करेंगे।’ इसलिए इन 5 दिनों में भूलकर भी किसी बुजुर्ग का अपमान न करें।

भीष्म पंचक व्रत में करें इन नियमों का पालन

  • भीष्म पंचक के दौरान 5 दिन हमें ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
  • इन पांच दिनों में अन्न का त्याग करें। कंदमूल, फल, दूध अथवा हविष्य (विहित सात्त्विक आहार जो यज्ञ के दिनों में किया जाता है) लें।
  • इन 5 दिनों में रोजाना तुलसी के पेड़ के नीचे घी का दीपक जलान चाहिए।
  • इन 5 दिनों में पीपल के पेड़ पर रोजाना भीष्‍म पितामह के निमित्‍त तर्पण करना चाहिए।
  • इन 5 दिनों तक अखंड ज्‍योति प्रज्‍जवलित करके रखनी चाहिए और गीता लगातार पाठ करना चाहिए।
  • पांचवें दिन यानी कि कार्तिक पूर्णिमा पर पूरे परिवार के साथ हवन करना चाहिए और सत्‍य नारायण भगवान की पूजा करनी चाहिए।