शिरोमणि अकाली दल ने बीबी जागीर कौर को पार्टी से निष्कासित कर दिया। वह 9 नवंबर को एसजीपीसी चुनाव लड़ने के अपने फैसले के बारे में स्पष्टीकरण देने के लिए अनुशासन समिति के सामने पेश नहीं हुईं।
अपना पक्ष रखने के लिए तीन अवसर देने के बाद शिरोमणि अकाली दल (शिअद) की अनुशासन समिति ने सोमवार को वरिष्ठ नेता बीबी जागीर कौर को पार्टी से निष्कासित कर दिया।
जागीर कौर ने पार्टी के फैसले को अनदेखा करते हुए 9 नवंबर को होने वाले एसजीपीसी के अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने का ऐलान किया था। इस पर पार्टी ने उन्हें निलंबित करते हुए 48 घंटे में जवाब देने के लिए नोटिस जारी किया था। लेकिन जागीर कौर ने कोई जवाब नहीं दिया। तब अनुशासन समिति ने उन्हें 24 घंटे का और समय दिया और उसके बाद सोमवार को दोपहर 12 बजे तक पेश होकर अपना पक्ष रखने का मौका दिया। लेकिन जागीर कौर समिति के सामने पेश भी नहीं हुई। पार्टी ने इस रवैये को देखते हुए बीबी जागीर कौर को पार्टी से निकालने का फैसला सुना दिया।
शिअद अनुशासन कमेटी के चेयरमैन सिकंदर सिंह मलूका, विरसा सिंह वल्टोहा, डा. सुखविंदर सुक्खी व शरणजीत सिंह ढिल्लों ने संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस मे ंकहा कि बीबी जागीर कौर का अब पार्टी से कोई लेना देना नहीं है। उनकी सदस्यता खत्म कर दी गई है।
दो-तीन लोग मुझे पार्टी से नहीं निकाल सकते: जागीर कौर
शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) की पूर्व चेयरपर्सन बीबी जागीर कौर ने शिअद द्वारा उन्हें पार्टी से निकाले जाने के फैसले पर कहा कि दो-तीन लोग उन्हें पार्टी से बाहर नहीं कर सकते। बीबी जागीर कौर ने कहा कि पार्टी के संविधान के मुताबिक अनुशासन समिति का गठन नहीं किया गया है।
बीबी जागीर कौर तीन बार एसजीपीसी की अध्यक्ष रह चुकी हैं। पहली बार वह 16 मार्च 1999 से 30 नवंबर 2000 तक, दूसरी बार 23 सितंबर 2004 से 22 नवंबर 2005 तक और तीसरी बार 27 नवंबर 2020 से 29 नवंबर 2021 तक उन्होंने एसजीपीसी का अध्यक्ष पद संभाला। अब आगामी नौ नवंबर को होने वाले एसजीपीसी चुनाव की जागीर कौर ने भी तैयारी शुरू कर दी है।
एसजीपीसी चुनाव में लिफाफा कल्चर खत्म होना चाहिए: जागीर कौर
पार्टी से निलंबन के बाद ही बीबी जागीर कौर पार्टी के खिलाफ खुलकर सामने आ गईं थीं। उन्होंने कहा कि अब यह बात आम लोगों तक पहुंच चुकी है कि एसजीपीसी के अध्यक्ष के नाम का एलान बादलों द्वारा एक लिफाफा खोलकर किया जाता है। पार्टी की एक बैठक होती है, जहां एक नेता बादलों द्वारा रखे गए लिफाफे को खोलता है और उसमें जिस नाम की पर्ची निकलती है, उसे एसजीपीसी का अध्यक्ष बना दिया जाता है। यह कल्चर खत्म होना चाहिए।
सर्वोच्च धार्मिक संस्था के लिए प्रधान का चुनाव सर्वसम्मति से होना चाहिए। उन्होंने पार्टी अध्यक्ष से भी यही आग्रह किया था कि जो भी चुनाव लड़ना चाहते हैं, उन्हें अवसर दिया जाए। वे नहीं जानती कि पार्टी अध्यक्ष ने उनकी इस राय को किस ढंग से लिया है, जिसका नतीजा निलंबन के तौर पर सामने आया है। बीबी जागीर कौर ने कहा कि बादलों ने ही उन्हें यह अवसर प्रदान किया था और वह इसके लिए उनकी आभारी भी हैं।