दिल्ली पुलिस ने नफरत फैलाने और धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोप में दो एफआईआर दर्ज की हैं. एक में भाजपा की पूर्व राष्ट्रीय प्रवक्ता नुपुर शर्मा को आरोपी बनाया गया है, जबकि दूसरी प्राथमिकी में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और विवादित पुजारी यति नरसिंहानंद समेत 31 लोगों को नामज़द किया गया है. अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को कहा कि सोशल मीडिया का विश्लेषण करने के बाद प्राथमिकियां दर्ज की गयी हैं.
दूसरी प्राथमिकी में दिल्ली भाजपा के मीडिया प्रकोष्ठ के पूर्व प्रमुख नवीन कुमार जिंदल, पत्रकार सबा नकवी और अन्य शामिल हैं. जिंदल को पैगंबर मोहम्मद पर अपमानजनक टिप्पणी करने के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया गया है. पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘उन लोगों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं, जिन्होंने सार्वजनिक शांति भंग करने और विभाजनकारी आधार पर लोगों को भड़काने के लिए संदेश पोस्ट तथा साझा कर रहे थे.’’
इन गंभीर धाराओं में केस दर्ज
उन्होंने बताया कि भारतीय दंड संहिता की धारा 153 (दंगा भड़काने के इरादे से जानबूझकर उकसाना), 295 (किसी भी धर्म के अपमान के इरादे से प्रार्थना स्थलों का अपमान करना) और 505 (सार्वजनिक शरारत वाले बयान देना) के तहत मामले दर्ज किए गए हैं. प्राथमिकी दर्ज होने पर प्रतिक्रिया देते हुए हैदराबाद से सांसद ओवैसी ने कहा कि वह ऐसी हरकतों से नहीं डरेंगे और नफरत फैलाने वाले भाषण की आलोचना करना और नफरती भाषण देना दोनों एक समान नहीं हो सकता है.
दिल्ली पुलिस द्विपक्षवाद और संतुलनवाद से ग्रस्त: ओवैसी
ओवैसी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला करते हुए आरोप लगाया कि अगर वह गंभीर होते तो वह ‘फर्जी संतुलन-वाद’ में शामिल हुए बिना ही नफरती भाषण को खत्म कर चुके होते हैं. एआईएमआईएम प्रमुख ने आरोप लगाया कि दिल्ली पुलिस ‘द्विपक्षवाद’ और ‘संतुलनवाद’ से ग्रस्त है. उन्होंने कहा, “एक पक्ष ने खुलेआम हमारे पैगंबर का अपमान किया है जबकि दूसरे पक्ष को भाजपा समर्थकों को तुष्ट करने और यह दिखाने के लिए नामज़द किया गया है कि दोनों पक्षों की ओर से नफरतभरा भाषण दिया गया.’’पुलिस अधिकारी ने बताया कि जानकारियों के लिए सोशल मीडिया मंचों को नोटिस भेजे जाएंगे. प्राथमिकी के मुताबिक, इसमें 31 लोग नामज़द हैं. वे जानबूझकर या इसकी जानकारी होने के बावजूद नफरती भाषा का उपयोग कर रहे थे कि इस प्रकार की भाषा का उपयोग और दावा न केवल भेदभावपूर्ण है बल्कि विभिन्न धर्मों में विश्वास रखने वाले व्यक्तियों के विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता की स्थिति पैदा करने के लिए पर्याप्त से भी अधिक है.
सोशल मीडिया विश्लेषण के आधार पर की गई दो एफआईआर
प्राथमिकी में कहा गया है कि यह निश्चित रूप से देश में सार्वजनिक शांति और लोक व्यवस्था को बनाए रखने के लिये एक गंभीर खतरा होगा, जहां लोग शांति से रह रहे हैं. प्राथमिकी कहती है कि ऐसी भाषा का प्रसारण और प्रकाशन इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से किया गया है, जिसकी प्रकृति बहुत खराब है और जो व्यक्ति इसे देखता है या सुनता है, उसे पथभ्रष्ट करने के लिए पर्याप्त है.
दिल्ली पुलिस ने ट्वीट किया, “हमने सोशल मीडिया विश्लेषण के आधार पर सार्वजनिक शांति भंग करने और विभाजन के आधार पर लोगों को उकसाने की कोशिश करने के खिलाफ उचित धाराओं के तहत दो प्राथमिकियां दर्ज की हैं. एक प्राथमिकी नुपुर शर्मा तथा दूसरी सोशल मीडिया पर सक्रिय कई अन्य लोगों के खिलाफ है.’’ उसने कहा, ‘‘इन अकाउंट के लिये जिम्मेदार लोगों की जानकारियों के लिए सोशल मीडिया मंचों को भी नोटिस भेजे जा रहे हैं. वहीं दिल्ली पुलिस सभी से ऐसे संदेश पोस्ट करने से बचने की अपील करती है, जो सामाजिक और साम्प्रदायिक सौहार्द्र को बिगाड़ते हों.’’
पुलिस ने बताया कि विशेष शाखा की इंटेलीजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशन (आईएफएसओ) इकाई ने प्राथमिकियां दर्ज की हैं.
दिल्ली पुलिस ने पहले दी थी नूपुर शर्मा को सुरक्षा
बुधवार को, पुलिस ने कहा था कि इकाई साइबर जगत में अशांति पैदा करने के इरादे से झूठी और गलत सूचनाओं को बढ़ावा देने में विभिन्न सोशल मीडिया संस्थाओं की भूमिकाओं की जांच करेगी, जिसका वास्तविक जगत पर भी प्रभाव पड़ता है, जिससे देश के सामाजिक ताने-बाने के साथ समझौता होता है. पहले, दिल्ली पुलिस ने उस शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज करने के बाद शर्मा और उनके परिवार को सुरक्षा प्रदान की थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि भाजपा की पूर्व नेता को पैगंबर मोहम्मद पर उनकी विवादास्पद टिप्पणी को लेकर जान से मारने की धमकी मिल रही हैं. उन्होंने धमकी मिलने का हवाला देते हुए पुलिस से सुरक्षा मुहैया कराने का अनुरोध किया था.
भाजपा ने पैगंबर पर टिप्पणी को लेकर मुस्लिम देशों से तीखी प्रतिक्रिया आने के बाद पांच जून को शर्मा को पार्टी से निलंबित कर दिया था और जिंदल को पार्टी से निष्कासित कर दिया था.
एफआईआर दर्ज होने पर ओवैसी ने कहा- वह अपने वकीलों से सलाह करेंगे
ओवैसी ने ट्विटर पर कहा कि प्राथमिकी दर्ज किये जाने के बाद वह जरूरत पड़ने पर अपने वकीलों से सलाह-मशविरा करेंगे एवं इस मुद्दे से निपटेंगे. सांसद ने ट्वीट किया, “मुझे प्राथमिकी का एक अंश मिला है. मैंने ऐसी पहली प्राथमिकी देखी है जो यह साफ नहीं कर रही है कि अपराध क्या है. एक हत्या की प्राथमिकी के बारे में कल्पना करें जहां पुलिस हथियार का या पीड़ित के खून बह जाने से मृत्यु होने का जिक्र नहीं करती है. मुझे नहीं पता कि मेरी किस विशिष्ट टिप्पणी की वजह से प्राथमिकी दर्ज की गई है.”
उन्होंने आरोप लगाया, “ऐसा प्रतीत होता है कि दिल्ली पुलिस में यति, नुपुर शर्मा और नवीन जिंदल आदि के खिलाफ मामला चलाने की हिम्मत नहीं है. इसीलिए देरी से और कमजोर प्रतिक्रिया आई है.” एआईएमआईएम प्रमुख ने आरोप लगाया कि असल में विवादित यति ने मुसलमानों के खिलाफ नरसंहार और इस्लाम का अपमान करके जमानत शर्तों का बार-बार उल्लंघन किया है. ओवैसी ने आरोप लगाया, “दिल्ली पुलिस शायद हिंदुत्ववादी कट्टर लड़के-लड़कियों को ठेस पहुंचाए बिना इन लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का तरीका सोचने की कोशिश कर रही थी.”