मनीष सिसोदिया को तगड़ा झटका, करीबी ने मांगी सरकारी गवाह बनने की इजाजत

Big News: दिल्ली के मंत्री मनीष सिसोदिया के करीबी दिनेश अरोड़ा ने शराब नीति केस में सरकारी गवाह बनाए जाने की अपील की है. (File-PTI)

Big News: दिल्ली के मंत्री मनीष सिसोदिया के करीबी दिनेश अरोड़ा ने शराब नीति केस में सरकारी गवाह बनाए जाने की अपील की है.

नई दिल्ली. दिल्ली की शराब नीति को लेकर उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को तगड़ा झटका लगा है. सिसोदिया के करीबी और आबकारी नीति मामले में आरोपी दिनेश अरोड़ा ने सरकारी गवाह बनने की इजाजत मांगी. दिनेश अरोड़ा ने शपथ ली है कि वह बिना किसी दबाव के सरकारी गवाह बनना चाहता है. उसने अपने ऊपर लगे आरोपों को माफ किए जाने (क्षमादान) की अर्जी दाखिल की. उसकी अर्जी पर कोर्ट 14 नवंबर को सुनवाई करेगा और उसका बयान दर्ज होगा. राऊज एवेन्यू कोर्ट उसके बाद तय करेगा कि दिनेश अरोड़ा को सरकारी गवाह बनाया जाए या नहीं.

गौरतलब है कि सीबीआई ने भी कहा था कि दिल्ली उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के करीबी शराबी नीति केस में सरकारी गवाह होंगे. बता दें, सिसोदिया के करीबी व्यवसायी दिनेश अरोड़ा को कोर्ट ने जमानत दे दी थी और सीबाआई ने इसका विरोध भी नहीं किया था. सीबीआई ने कोर्ट में अपील दायर कर कहा कि अरोड़ा मनीष सिसोदिया के खिलाफ केस में उसके गवाह होंगे. सीबीआई ने कोर्ट को बताया कि अरोड़ा ने जांच के दौरान सहयोग किया और सारी अहम जानकारियां दीं.

पहले भी हो चुकी गिरफ्तारी
जानकारी के मुताबिक, अरोड़ा की अग्रिम जमानत की अर्जी उस वक्त पेश हुई जब सीबीआई ने विजय नायर और ईडी ने समीर महेंद्रू को गिरफ्तार किया. आरोप है कि महेंद्रू ने एक करोड़ रुपये राधा इंडस्ट्रीज के अकाउंट में ट्रांसफर किए. यह इंडस्ट्री अरोड़ा की है. यह भी आरोप है कि एंटरटेनमेंट-इवेंट मैनेजमेंट फर्म ‘ओनली मच लाउडर’ के पूर्व सीईओ महेंद्रू ने विजय नायर के लिए 2 से 4 करोड़ रुपये अर्जुन पांडे को दिए. पांडे भी सिसोदिया का करीबी है.

ईडी इकट्ठे कर रही दस्तावेज और गवाह
सीबीआई ने इस मामले में इन आरोपियों के अलावा हैदराबाद के व्यवसायी अभिषेक बोईनपल्ली को भी गिरफ्तार किया है. दूसरी ओर, ईडी इस मामले से जुड़े दस्तावेज और डिजिटल गवाहों को इकट्ठा कर रही है, ताकि इस मामले में हुई मनी लॉन्ड्रिंग का पता चल सके. बता दें, दिल्ली की शराब नीति 2021-22 पर उस वक्त विवाद शुरू हुआ जब दिल्ली के उप-राज्यपाल ने इसे लेकर सीबीआई जांच की मांग की. इस नीति में अनियमितताओं के आरोप लगे. उप-राज्यपाल ने इस मामले में आबकारी विभाग के 11 अधिकारियों को भी गिरफ्तार किया.