Afghanistan Shekay District NRF Control: अफगानिस्तान के एक जिले पर अब तालिबानी विरोधी नैशनल रजिस्टेंस फ्रंट के लड़ाकुओं का पहली बार कब्जा हो गया है। इस जिले का नाम शाकय है और यह ताजिकिस्तान की सीमा पर है। इसी इलाके से पंजशीर घाटी तक विद्रोहियों की सप्लाइ लाइन जाती है। इसलिए इसे तालिबान को बड़ा झटका माना जा रहा है।
काबुल: अफगानिस्तान में अमेरिका की वापसी के बाद सत्ता में आए तालिबान को अहमद मसूद की सेना ने बड़ा झटका दिया है। पहली बार अहमद मसूद के नेतृत्व वाले विद्रोही गुट नैशनल रजिस्टेंस फ्रंट के लड़ाकुओं ने अफगानिस्तान के एक जिले पर कब्जा कर लिया है। इस जिले का नाम शकाय है और यह देश के बदख्शान प्रांत का हिस्सा है जो ताजिकिस्तान की सीमा से सटा हुआ है। अब इस शकाय जिले पर विद्रोहियों का पूरी तरह से कब्जा हो गया है। एनआरएफ ने तालिबान के जिला गवर्नर मावली अकरम को पकड़ने का दावा किया है।
एनआरएफ ने बताया कि उसने 10 तालिबानियों को भी अपने हिरासत में ले लिया है। अफगान मीडिया के मुताबिक मसूद समर्थक विद्रोहियों ने शकाय जिले पर ठीक उस समय कब्जा किया है जब तालिबान का रक्षा मंत्री मुल्ला याकूब बदख्शान प्रांत के वखान इलाके के दौरे पर था। एनआरएफ के एक वरिष्ठ सदस्य ने कहा, ‘हमारे पास वीडियो है जो तालिबान के शकाय जिला के गवर्नर और 10 अन्य तालिबानियों को पकड़ने की पुष्टि करता है। हम इसका वीडियो जारी कर रहे हैं।’
तालिबानी प्रांत पर अपना कब्जा बरकरार नहीं रख पा रहे
अफगानिस्तान का बदख्शान प्रांत रणनीतिक रूप से एनआरएफ के सप्लाई मार्ग के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। इसी प्रांत के जरिए एनआरएफ के सदस्य पंजशीर और काबुल के उपनगरीय इलाके तक जाते हैं। तालिबानी इस प्रांत पर अपना कब्जा बरकरार नहीं रख पा रहे हैं और इसकी वजह यह है कि यहां की जनता तालिबान का विरोध करती है। विश्लेषकों का मानना है कि लगातार लड़ाई तालिबान के कमजोर शासन के लिए बहुत ही घातक और खर्चीला साबित हो सकता है।
एनआरएफ ने बताया कि पिछले सप्ताह हुई लड़ाई में तालिबान का ब्रिगेड कमांडर मावली अब्दुल रहमान घायल हो गया था। इस बीच अब एनआरएफ ने एक वीडियो जारी करके दिखाया है कि शाकय जिले का तालिबानी गवर्नर उनके कब्जे में है। इस कब्जे के बाद यह साफ हो गया है कि तालिबान को इस प्रांत पर अपना कब्जा बरकरार रखने में बहुत ही मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। यही नहीं तालिबान को अभी भी कई प्रतिबंधों का सामना करना पड़ रहा है। दुनिया ने तालिबान की सरकार को मान्यता भी नहीं दी है।