बड़ा सवाल : आखिर कब तक रेनशल्टर में पढ़ाई करते रहेंगे हाब्बन स्कूल के बच्चे

आखिर कब तक हाब्बन स्कूल के बच्चे वर्षा शालिका में शिक्षा ग्रहण करते रहेगें। यह यक्ष सवाल भविष्य के गर्भ में हैं। पांच वर्ष बीत चुके हैं परंतु राजकीय माध्यमिक पाठशाला हाब्बन के नए भवन के नाम पर एक ईंट भी नहीं लग पाई है। यदि विभाग निर्माण कार्य आरंभ कर भी देता है तो भी करीब दो से तीन वर्ष का समय नए भवन के निर्माण में लग सकता है। 

सवाल यह है कि क्या यह वातावरण बच्चों की पढ़ाई के लिए उत्तम है। आधुनिकता के युग में रेन शल्टर में पढ़ाई की बातें बेमानी सी लगती है। जब सरकार शिक्षा क्षेत्र में राष्ट्रस्तर के पुरस्कार पाने के दावे करती है परंतु धरातल में स्थिति बिल्कुल वितरित है।

गौर रहे कि कालांतर में बच्चे गुरूकुल में पेड़ के नीचे बैठकर शिक्षा ग्रहण करने की कहानियां सुनी जाती थी। परंतु अब आधुनिकता के युग में हाब्बन स्कूल के बच्चे रेन शल्टर में बैठकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं। क्षेत्र के जन प्रतिनिधि व शिक्षा विभाग कुंभकर्णी नींद में सोए हैं। बेहतरीन एवं गुणात्मक शिक्षा प्रदान के सरकार के खोखले दावों की जीवंत तस्वीर इस स्कूल में देखने को मिल रही है।

बता दें कि वर्ष 2017 के दौरान वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला हाब्बन के पुराने भवन में बरसात से भारी भू-स्खलन होने के कारण गाद भर गई थी और स्कूल भवन को काफी नुकसान हो गया था। वर्ष 2003 में निर्मित यह भवन बच्चों के बैठने के लिए असुरक्षित हो गया था। बच्चों के भविष्य को देखते हुए लोगों द्वारा स्थानीय स्तर पर खाली पड़े मकानों में बैठने की व्यवस्था की गई थी जोकि नाकाफी थी जिसके चलते शिक्षकों को मजबूरन वर्षा शालिका में बच्चों को बिठाना पड़ रहा है। 

स्वतंत्रता सैनानी कल्याण समिति के अध्यक्ष जय प्रकाश चौहान और पूर्व जिप सदस्य शकुंतला प्रकाश, देशराज शर्मा ने बताया कि पिछले पांच वर्षों से लगातार स्कूल की दुर्दशा के बारे में पूर्व व वर्तमान सरकार के साथ काफी पत्राचार किया जा रहा था। जिसके फलस्वरूप सरकार द्वारा 1.40 करोड़ रूपये की राशि स्वीकृत की गई। परंतु लोक निर्माण विभाग के लेटलतीफी होने के कारण इस भवन का निर्माण आज तक नहीं हो सका है। जय प्रकाश चौहान का कहना है कि लोक निर्माण विभाग की लापरवाही के चलते बच्चे रेन शल्टर में पढ़ाई करने को मजबूर है।

इनका कहना है कि बीते दो वर्षों से कोरोना महामारी के चलते स्कूल बंद रहे जिसके चलते बच्चों को रेन शल्टर मेें बैठने से राहत मिली थी। इनका कहना है कि निर्माण कार्य शुरू होने के बाद भी बच्चों को अभी करीब तीन वर्ष तक रेन शल्टर में ही कक्षाएं लगानी पड़ेगी। 

सहायक अभियंता लोक निर्माण उप मंडल हाब्बन शिव कुमार ने बताया कि स्कूल के नए भवन निर्माण के लिए सरकार द्वारा 1.40 करोड़ की राशि स्वीकृत की गई है तथा शीघ्र ही निर्माण कार्य आरंभ कर दिया जाएगा।